Fact Check:  जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया स्क्रिप्टेड वीडियो गलत दावे के साथ हुआ वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाया गया स्क्रिप्टेड वीडियो है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर एक महिला को “प्रसाद” खाने के बाद एक गिरोह द्वारा लूटे जाने का सीसीटीवी फुटेज दिखाया जा रहा है। वीडियो में देखा जा सकता हैं कि एक महिला बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रही है। इसी बीच दो महिलाएं आकर उस महिला को प्रसाद के रूप में कुछ नशीला पदार्थ खाने के लिए देती है और महिला उसे खा लेती है। इसके बाद महिला होश खो बैठती है और बेहोश हो जाती है। इतनी देर में वो दोनों महिलाएं और एक तीसरा पुरुष आकर महिला का सारा सामान और ज्वैलरी लूटकर वहां से फरार हो जाते हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि लोगों ने लूटने का ये नया तरीका निकाला है, वो प्रसाद खिलाकर पहले बेहोश करते हैं फिर लूटकर फरार हो जाते हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को गलत पाया। वीडियो जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह वीडियो स्क्रिप्टेड है, इसे कलाकारों द्वारा बनाया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Anjali Chauhan ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “जब भी आप घर से बहार निकले तो कोई भी प्रसाद ना ले किसी से वीडियो कहाँ की हैं मालूम नहीं महिला भी महिलाओं का शिकार बना रही है, सावधान रहें सतर्क रहे।”

 फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को हूबहू लिखा गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है। 

पड़ताल –

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने वायरल वीडियो को गौर से देखा। हमने पाया कि वीडियो के आखिर में लिखकर आता है कि लड़कियां ऐसी घटनाओं से सावधान रहें। इसे देखने के बाद हमें वायरल वीडियो के स्क्रिप्टेड होने का संदेह हुआ। फिर हमने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए इनविड टूल का इस्तेमाल करते हुए वीडियो के कई ग्रैब्स निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें असली वीडियो 9 अप्रैल 2022 को 3RD EYE नाम से यूट्यूब चैनल पर अपलोड मिली। डिस्क्रिप्शन में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह एक स्क्रिप्टेड ड्रामा है, जिसका मकसद लोगों को जागरूक करना है।

https://www.youtube.com/watch?v=YnqBETOb2GA

इसके बाद 3RD EYE यूट्यूब चैनल को खंगालना शुरू किया। इस दौरान हमें पता चला कि यह चैनल इसी तरह के स्क्रिप्टेड वीडियोज बनाता है। कई वीडियोज मजाकिया मुद्दों पर आधारित होते हैं, तो वहीं कई गंभीर मुद्दों पर आधारित होते हैं। ये सभी वीडियो कलाकारों द्वारा बनाए जाते हैं। इनका सच्चाई से कोई संबंध नहीं होता है।

पड़ताल के दौरान हमें ये वीडियो Priya नामक एक फेसबुक पेज पर 6 मई 2017 को अपलोड मिला। Priya ने वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा हुआ है कि इस पेज पर स्क्रिप्टेड, ड्रामा और पैरोडीज वीडियोज हैं। इनको जागरूकता के लिए बनाया गया है। इस फेसबुक पेज को खंगालने के बाद हमने पाया कि Priya अक्सर इस तरह के स्क्रिप्टेड वीडियो शेयर करती रहती हैं।

अधिक जानकारी के लिए हमने 3RD EYE पेज को चलाने वाले राहुल कश्यप से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया- वायरल दावा गलत है। यह वीडियो शिक्षा और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है। यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह के स्क्रिप्टेड वीडियो को लोगों ने सच मानकर शेयर किया हो। पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है। हमारे द्वारा किए गए ऐसे अन्य फैक्ट चेक को आप यहां पर पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के अंत में पोस्ट को वायरल करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर Anjali Chauhan के सोशल स्कैनिंग में पता चला कि यूजर के फेसबुक पर चार हजार पांच सौ से ज्यादा फ्रेंड्स मौजूद हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाया गया स्क्रिप्टेड वीडियो है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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