Fact Check : पाकिस्तान का तुर्किये से कर्ज मांगे जाने के दावे के साथ वायरल स्क्रीनशॉट व्यंग्यात्मक आर्टिकल का है

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह कोई असली घटना नहीं, बल्कि हास्य-विनोद के मकसद से लिखे गए काल्पनिक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है। इस आर्टिकल को ‘द फॉक्सी’ नाम की वेबसाइट पर छापा गया था। यह वेबसाइट केवल काल्पनिक और व्यंग्यपूर्ण कहानियां प्रकाशित करती है।

Fact Check : पाकिस्तान का तुर्किये से कर्ज मांगे जाने के दावे के साथ वायरल स्क्रीनशॉट व्यंग्यात्मक आर्टिकल का है

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट तेजी से वायरल हो रहा है। रिपोर्ट पर लिखा हुआ है, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि हमने तुर्किये की हालात देखते हुए उसकी मदद करने का फैसला किया है। साथ ही हम अगले महीने तक तुर्किये से कोई लोन नहीं मांगेंगे। सोशल मीडिया यूजर्स इस रिपोर्ट को सच समझकर शेयर कर रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह कोई असली घटना नहीं, बल्कि हास्य-विनोद के मकसद से लिखे गए काल्पनिक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है। इस आर्टिकल को ‘द फॉक्सी’ नाम की वेबसाइट पर छापा गया था। यह वेबसाइट केवल काल्पनिक और व्यंग्यपूर्ण कहानियां प्रकाशित करती है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर दिनेश सिंह ठाकुर ने 14 फरवरी 2023 को वायरल स्क्रीनशॉट को शेयर किया है। यूजर ने स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा है, “लो कल्लो बात ! पाकिस्तान के पीएम ने तुर्की की इतनी बड़ी मदद कर दी ! उसने कह दिया है कि पाकिस्तान,तुर्की से एक महीने तक कर्जा नहीं मांगने का भरोसा देता है।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

एक अन्य फेसबुक यूजर साहेब जादी ने वायरल स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा है, क्या ये प्रधानमंत्री की कुर्सी को योग्य हैं।

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें। दूसरे यूजर्स भी इस दावे को सच मानकर शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने स्क्रीनशॉट को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी असली रिपोर्ट द फॉक्सी की वेबसाइट पर 7 फरवरी 2023 को प्रकाशित मिली। असली रिपोर्ट को पढ़ने के बाद हमें पता चला कि यह लेख हास्य-विनोद के मकसद से लिखा गया एक काल्पनिक आर्टिकल है। खबर के अंत में लिखा हुआ है कि इस लेख को मनोरंजन के लिए लिखा गया है। हम अपने पाठकों से अपील करते हैं कि इस लेख में लिखी गई बातों को सच ना समझें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज़ ने द फॉक्सी की वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। वेबसाइट के अबाउट सेक्शन को खंगालने पर हमने पाया कि द फॉक्सी एक व्यंग्य वेब पोर्टल है। इस वेबसाइट पर प्रकाशित सभी खबरें और रिपोर्ट सिर्फ मनोरंजन के मकसद से लिखी गई है। इनमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है। वेबसाइट द्वारा लिखे गए लेखों को सच न समझें।

अधिक जानकारी के लिए विश्वास न्यूज ने द फॉक्सी से संपर्क किया। द फॉक्सी ने हमें बताया कि हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित सभी रिपोर्ट्स मजाकिया तौर पर मनोरंजन के लिए लिखी गई है। सारी पोस्ट केवल हास्य के लिए डाली गई है और इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।

इस गलत पोस्ट को कई लोगों ने शेयर किया, जिनमें से एक हैं फेसबुक यूजर दिनेश सिंह ठाकुर , जिनकी पोस्ट की हमने पड़ताल की। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर चंडीगढ़ का रहने वाला है। यूजर फेसबुक पर सितंबर 2009 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह कोई असली घटना नहीं, बल्कि हास्य-विनोद के मकसद से लिखे गए काल्पनिक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है। इस आर्टिकल को ‘द फॉक्सी’ नाम की वेबसाइट पर छापा गया था। यह वेबसाइट केवल काल्पनिक और व्यंग्यपूर्ण कहानियां प्रकाशित करती है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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