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Fact Check : कोविड एक्सबीबी वेरिएंट को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई भ्रामक पोस्ट  

कोविड-19 के सब- वेरिएंट ओमिक्रॉन एक्सबीबी को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक दावा वायरल हो रहा है। अभी तक सब- वेरिएंट एक्सबीबी को लेकर कोई साफ रिसर्च रिपोर्ट सामने नहीं आई है। ऐसे में ये कहना कि एक्सबीबी, डेल्टा वेरिएंट से ‘पांच गुना अधिक खतरनाक’ है, गलत है।

  • By: Devika Mehta
  • Published: Dec 23, 2022 at 04:27 PM
  • Updated: Dec 29, 2022 at 07:17 PM

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। देश में बढ़ते कोविड मामलों के बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन का एक्सबीबी सब-वेरिएंट, जिसे पहली बार अगस्त में खोजा गया था, कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी डेल्टा संस्करण की तुलना में 5 गुना अधिक वायरल है और इसकी मृत्यु दर अधिक है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 22 दिसंबर, 2022 को एक ट्वीट कर पोस्ट को ‘गलत’ करार दिया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर राधा रानी ने फेसबुक पर एक लंबा सोशल मीडिया पोस्ट शेयर किया है, जिसमें दावा किया गया, “कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी डेल्टा वेरिएंट से पांच गुना ज्यादा खतरनाक है और इसकी डेल्टा से ज्यादा मृत्यु दर है।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने सोशल मीडिया पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें दावे से जुड़ी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। हालांकि, वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के एक शोध के मुताबिक, ये वेरिएंट ओमिक्रोन के मुकाबले ज्यादा जल्दी ट्रांसफर होते हैं। 

हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। इस दौरान हमें एक्सबीबी वेरिएंट को लेकर 27 अक्टूबर, 2022 को जारी एक प्रेस रिलीज मिली। रिपोर्ट के अनुसार, एक्सबीबी सब-वेरिएंट को लेकर शोध जारी है। इसके बारे में अभी ज्यादा नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इसके लेकर ज्यादा डेटा या जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि ये वेरिएंट ओमिक्रोन के मुकाबले ज्यादा जल्दी ट्रांसफर होते हैं। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने पोस्ट में मौजूद दावों को एक-एक कर जांचने का फैसला किया। 

वायरल मैसेज के पहले दावे की सच्चाई जानने के लिए, हमने क्रिटिकल केयर मेडिसिन और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ निखिल मोदी से संपर्क किया, जो कि दिल्ली के सरिता विहार में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भी प्रैक्टिस करते हैं। उन्होंने हमें बताया, “सोशल मीडिया पर फैल रही यह जानकारी गलत है। इस वेरिएंट के बारे में अभी ज्यादा कुछ कह पाना मुश्किल है, क्योंकि फिलहाल इस वेरिएंट को लेकर अभी ज्यादा जानकारी और डेटा नहीं है। अभी तक इस वेरिएंट को लेकर कोई गंभीर और अलग लक्षण सामने नहीं आए हैं। अभी तक जो लक्षण सामने आए हैं, वो खांसी, बुखार और नाक बहना ही हैं।”

विश्वास न्यूज ने डॉ राजीव जयदेवन, एमडी, डीएनबी, एमआरसीपी (यूके), एबीआईएम (मेडिसिन, न्यूयॉर्क) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कोच्चि चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष से बातचीत की। उन्होंने वायरल मैसेज को फर्जी बताया और अपने वॉट्सऐप ग्रुप पर मिले मैसेज का स्क्रीनशॉट शेयर किया। उन्होंने आगे बताया कि यह दावा पूर्वी देशों से भारत में फैल है, जिसे अब लोग भारत में साझा कर रहे हैं। कृपया जागरूक रहें, घबराएं नहीं। यह पोस्ट केवल लोगों को गुमराह करने के लिए है।” 

डॉक्टरों का कहना है कि वायरल पोस्ट में किए जा रहा दावे भ्रामक हैं। सभी डॉक्टर्स ने कोविड से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करने की सलाह दी है। 

इस पोस्ट को लेकर माइक्रोबायोलॉजी विभाग, चिक्कामगलुरु इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कर्नाटक के सहायक प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. लावण्या जगदीश का कहना है, “हमें मृत्यु दर के बारे में अभी तक डेटा प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन संभावना है कि यह खतरनाक हो सकता है और इसमें टीकाकृत व्यक्तियों को फिर से संक्रमित करने की क्षमता हो सकती है। नया वेरिएंट बार-बार उभर रहा है। बीएफ7, बीएफ5 के परिवार का ही हिस्सा है। फिलहाल भारत में इन संक्रमणों से जुड़े  लगभग 4 मामलों का पता चला है। दो ओडिशा से और दो गुजरात से। अगर आपको खुद को संक्रमित होने से बचाना है, तो मास्क पहने, छह फीट की दूरी बनाए रखने और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।”

अनुराग अग्रवाल, एमडी पीएचडी, डीन बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च, त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, अशोका यूनिवर्सिटी, हरियाणा ने हमें ईमेल का जवाब यह बताया है, “यह गलत जानकारी है और इस पर भरोसा ना करें है।”

डॉ एडमंड फर्नांडीस, सीएचडी ग्रुप के संस्थापक और एडवर्ड एंड सिंथिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक का कहना है, “सोशल मीडिया पर लोग बिना सच जाने इस पोस्ट को जमकर शेयर कर रहे हैं। मैं लोगों से अपील करना चाहूंगा। बिना किसी डॉक्टर से किए और सलाह लिए इस पोस्ट को आगे शेयर ना करें। किसी अन्य देश पर इस वायरस के कारण क्या प्रभाव पड़ रहा है, इससे हम ये नतीजा नहीं निकाल सकते हैं कि भारत या दक्षिण एशिया में उससे क्या प्रभाव होगा। 

सोशल मीडिया पर पोस्ट के वायरल होने के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी ट्विटर कर इस दावे को फेक बताया है। स्वास्थ्य विभाग ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “#FakeNews। यह संदेश #COVID19 के XBB वेरिएंट के संबंध में एक व्हाट्सएप  मैसेज वायरल हो रहा है, उस पर भरोसा न करें। वायरल पोस्ट फेक है। 

भारत में COVID मामलों से जुड़े डेटा को आप यहां पर देख सकते हैं।

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाली यूजर की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक डिजिटल क्रिएटर हैं।  फेसबुक पर यूजर के 19k फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: कोविड-19 के सब- वेरिएंट ओमिक्रॉन एक्सबीबी को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक दावा वायरल हो रहा है। अभी तक सब- वेरिएंट एक्सबीबी को लेकर कोई साफ रिसर्च रिपोर्ट सामने नहीं आई है। ऐसे में ये कहना कि एक्सबीबी, डेल्टा वेरिएंट से ‘पांच गुना अधिक खतरनाक’ है, गलत है।

  • Claim Review : ओमिक्रॉन एक्सबीबी, डेल्टा संस्करण की तुलना में पांच गुना ज्यादा खतरनाक है।
  • Claimed By : Fb User: Radha Rani
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