Fact Check: RSS के जातीय जनगणना का विरोध करने का दावा FAKE, मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से बने फैन पेज से किया गया गलत दावा

जातीय जनगणना का राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ (आरएसएस) के विरोध का दावा गलत और दुष्प्रचार है।  केरल के पलक्कड़ में आयोजित अखिल भारतीय समन्वय बैठक के बाद संघ ने वंचित और पिछड़े समुदाय के जनकल्याण के लिए जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। संघ ने स्पष्ट किया कि जनकल्याणकारी कार्यों के लिए सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है और ऐसा पहले भी किया जा चुका है। इसलिए समाज में पिछड़े रह गए जाति या समुदाय की भलाई के लिए जनकल्याणकारी कार्यों के लिए जातिगत जनगणना के डेटा के इस्तेमाल में संघ को कोई आपत्ति नहीं है।

Fact Check: RSS के जातीय जनगणना का विरोध करने का दावा FAKE, मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से बने फैन पेज से किया गया गलत दावा

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसका खुलकर ‘विरोध’ करते हुए कहा है कि इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। वायरल वीडियो क्लिप में ऐसा दावा एक न्यूज रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। केरल के पलक्कड़ में आयोजित अखिल भारतीय समन्वय बैठक के बाद संघ ने जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए यह दावा गलत है कि संघ ने जातीय जनगणना का विरोध किया है। संघ ने कहा कि जनकल्याण के कार्यों के लिए सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है और यह एक स्थापित प्रक्रिया है। इससे पहले भी सरकार ऐसा करती रही है और दुबारा भी ऐसा किया जा सकता है। संघ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसका इस्तेमाल समुदायों और जातियों की भलाई में किया जाना चाहिए, न कि इसका इस्तेमाल चुनाव के लिए राजनीतिक हथियार के तौर पर किया जाना चाहिए।  

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘mallikarjunkharge_inc’ ने वायरल वीडियो क्लिप (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “RSS ने खुलकर किया जातिगत जनगणना का विरोध।”

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट।

पड़ताल किए जाने तक इस वीडियो क्लिप को करीब दो हजार से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। 

पड़ताल

वायरल वीडियो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जातीय जनगणना का खुलकर ‘विरोध’ करने का दावा किया गया है। इस दावे की सच्चाई का पता लगाने के लिए हमने न्यूज सर्च की मदद ली। न्यूज सर्च में हमें ऐसी कई रिपोर्ट्स मिली, जिसमें जातीय जनगणना पर संघ के बयान का जिक्र है।

द इंडियन एक्सप्रेस की तीन सितंबर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, “ऐसे समय में जब विपक्ष ने जातीय जनगणना को प्रमुख मुद्दा बना रखा है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसका समर्थन करने का संकेत देते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल चुनावी या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।”

इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर तीन सितंबर 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट, जिसमें जातीय जनगणना के मुद्दे पर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के बयान का जिक्र है।

केरल में आरएसएस की बैठक के आखिरी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, “आरएसएस का निश्चित रूप से मानना है कि सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए, विशेष रूप से ऐसे समुदायों या जातियों को लक्षित करने के लिए जो पीछे छूट रहे हैं और जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, के लिए सरकार को कभी कभी आंकड़ों की जरूरत होती है और यह एक स्थापित प्रक्रिया है। पहले भी वह (सरकार) ऐसा डेटा ले चुकी है और ऐसा और इसलिए वह दोबारा ऐसा कर सकती है। लेकिन यह उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए। इसे चुनाव के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।”

हमें अन्य रिपोर्ट्स भी मिली, जिसे इस बयान का समान संदर्भ में जिक्र किया गया है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएस ने कहा कि वंचितों के जनकल्याणकारी कार्यों के लिए जातीय जनगणना का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसका दुरुपयोग चुनाव के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र है और रिपोर्ट के मुताबिक, “आरएसएस ने जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल पहले भी होता रहा है और यह एक स्थापित प्रक्रिया है, लेकिन इसका इस्तेमाल हमेशा ही समुदायों के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए, न कि इसका इस्तेमाल चुनावी लाभ लेने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में किया जाना चाहिए।”

सभी रिपोर्ट्स में केरल के पलक्कड़ में आयोजित संघ के तीन दिवसीय समन्वय समिति की बैठक का जिक्र है। इसलिए हमने इसके ऑरिजिनल सोर्स को चेक किया। सर्च में हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो मिला, जिसे संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संबोधित किया था।

वीडियो में (13 मिनट 30 सेकेंड के फ्रेम) साफ तौर पर उन्हें पिछड़े समुदायों की भलाई के लिए योजना निर्माण के मकसद से जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए सुना जा सकता है। वह कहते हैं कि ऐसा पहले भी हुआ है और अभी भी किया जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक हथियार के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बात करते हुए जातिगत जनगणना के संबंध में सुनील आंबेकर ने कहा, “मेरा मानना है कि संघ ने इस मुद्दे पर पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दिया है। संघ का मानना है कि जनकल्याणकारी कार्यों के लिए सरकार को नंबर की जरूरत होती है और ऐसा पहले भी किया जा चुका है। समाज में पिछड़े रह गए जाति या समुदाय की भलाई के लिए जनकल्याणकारी कार्यों के लिए जातिगत जनगणना के डेटा के इस्तेमाल में हमें कोई दिक्कत नहीं है।” उन्होंने कहा, यह समाज में पिछड़े जाति और समुदाय की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, चुनाव में लाभ पाने की दृष्टि से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

वायरल वीडियो क्लिप में जिस रिपोर्ट का इस्तेमाल किया गया है, वह आजतक.कॉम की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट है और इस रिपोर्ट में भी सुनील आंबेकर के हवाले से कहा गया है, “….हमारे समाज में जातिगत प्रतिक्रियाएं एक संवेदनशील मुद्दा है और यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।” इस रिपोर्ट में भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि आरएसएस ने जातीय जनगणना का विरोध किया है।

सर्च में हमें कई सोशल मीडिया यूजर्स की तरफ से इसी चैनल की तरफ से किए गए उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट मिला, जिसमें RSS के हवाले से कहा गया था कि समाज की एकता और अखंडता के लिए जातीय जनगणना खतरा है। हालांकि, यह ट्वीट अब डिलीट किया जा चुका है।

हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल पोस्ट में किया गया यह दावा गलत है कि संघ ने जातीय जनगणना का विरोध किया है। वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का फैन अकाउंट है, जिसे इंस्टाग्राम पर करीब चार लाख लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: जातीय जनगणना का राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ (आरएसएस) के विरोध का दावा गलत और दुष्प्रचार है। केरल के पलक्कड़ में आयोजित अखिल भारतीय समन्वय बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए संघ ने वंचित और पिछड़े समुदाय के जनकल्याण के लिए जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। संघ ने स्पष्ट किया कि जनकल्याणकारी कार्यों के लिए सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है और ऐसा पहले भी किया जा चुका है। इसलिए समाज में पिछड़े रह गए जाति या समुदाय की भलाई के लिए जनकल्याणकारी कार्यों के लिए जातिगत जनगणना के डेटा के इस्तेमाल में संघ को कोई आपत्ति नहीं है।

False
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