नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): कोरोना महामारी की दहशत के कारण विश्वभर में अधिकांश लोगों ने 2020-21 में घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) किया है। इसके बावजूद चैट ग्रुप्स, सोशल मीडिया और यहां तक कि माउथ टू माउथ फेक खबरें प्रसारित होने से नहीं रुकी हैं। जागरण की सहयोगी फैक्ट चेक इकाई विश्वास न्यूज ने जनवरी से दिसंबर तक 3,137 फैक्ट चेक न्यूज प्रकाशित किए हैं, जो अगस्त 2018 से प्रकाशित कुल फैक्ट चेक 7,938 का 39.5 प्रतिशत है।
इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा अधिक फैक्ट चेक किए गए, क्योंकि विश्वास न्यूज में हमने अपने फैक्ट चेक के प्रयास को तेज किया और प्रकाशित लेखों की संख्या में वृद्धि की। इससे न सिर्फ हानिकारक गलत सूचनाओं के प्रसारण पर रोक लगने में मदद मिली, बल्कि इस प्रयास से डिस इन्फॉर्मेशन पर हमारे शोध को भी बल मिला। 2021 में कोविड-19 और अन्य ट्रेंडिंग खबरों को लेकर गलत पोस्ट काफी संख्या में वायरल हो रहे थे।
विश्वास न्यूज पर प्रकाशित खबरों में कोविड-19 के संबंध में 40 प्रतिशत खबरें थी, तो पिक्चर और वीडियो से छेड़छाड़ के संदर्भ में 40 प्रतिशत खबरें थीं और बाकी के 20 प्रतिशत राजनीति से प्रेरित थे, जिसमें गलत उद्धरण और पब्लिक ऑफिशियल्स से संबंधित बयान थे।
138 देशों में कोविड-19 से संबंधित मिस-इन्फॉर्मेशन के बारे में सेज इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिएशंस एंड इंस्टीट्यूशंस जर्नल में 9,657 आर्टिकल पर किए गए एक सर्वे के अनुसार, सभी देशों में भारत ने सोशल मीडिया के जरिए सबसे अधिक (18.07 प्रतिशत) मिस इन्फॉर्मेशन प्रसारित किए गए। इसका कारण यह है कि भारत में इंटरनेट की पहुंच गांव-गांव तक हो चुकी है। सोशल मीडिया पर लोग ज्यादा समय देने लगे हैं और जो सबसे बड़ा कारण है, वह है- लोगों में इंटरनेट साक्षरता की कमी है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि लोगों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें क्या शेयर करनी चाहिए और क्या नहीं। इस रिसर्च ने यह भी साबित किया कि भारत (15.94 प्रतिशत), अमेरिका (9.74 प्रतिशत), ब्राजील (8.57 प्रतिशत) और स्पेन (8.03 प्रतिशत) चार ऐसे देश हैं, जहां सबसे अधिक मिस-इन्फॉर्मेशन प्रसारित होते हैं।
नकली समाचारों का प्रसार भारतीय दंड संहिता की धारा 505 के तहत दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, जो भी व्यक्ति गलत सूचना/खबर अफवाह या जिससे समाज में वैमनस्यता बढ़ सकती हो, ऐसे समाचार बनाता हो, प्रकाशित या प्रसारित करता हो उसे तीन साल तक की सजा दी जी सकती है या अर्थदंड दिया जा सकता है या कारावास की सजा और अर्थदंड दोनों हो सकता है।
भारत में 2021 में क्या और किसके बारे में झूठ बोला गया था?
हमने जनवरी से लेकर दिसंबर तक प्रकाशित 3,137 फैक्ट चेक आर्टिकल्स को चेक किया और सभी को कवर किए गए विषयों के अनुसार, प्रकाशित होते ही उनका लेबल किया था।
विश्वास न्यूज द्वारा मिस इन्फॉर्मेशन के क्षेत्र में विश्लेषित किए गए कुछ न्यूज इस तरह से हैं:
1. सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया गया कि प्याज में ब्लैक मोल्ड और रेफ्रीजरेटर में रखने से ब्लैक फंगस हो सकता है। विश्वास न्यूज ने इस दावे की पड़ताल की और पाया कि यह वायरल पोस्ट फर्जी है।
विश्वास न्यूज ने पीजीआई चंडीगढ़ के एमेरिटस प्रोफेसर प्रो. आमोद गुप्ता से इस दावे के संबंध में बात की।
क्या प्याज पर काले फफूंद होने और रेफ्रीजरेटर में रखने से म्यूकोर्मिकोसिस हो सकता है? पीजीआई चंडीगढ़ के एंडवांस्ड आई सेंटर के एमिरेट्स प्रोफेसर प्रोफेसर आमोद गुप्ता ने विश्वास न्यूज के साथ बातचीत में इस दावे को फर्जी बताया। #ब्लैकफंगस #कालीफफूंदी
प्याज पर पाया जाने वाला काला सांचा (छिलका) और फ्रिज में जो बनता है, दोनों ही काले फफूंद पैदा करने वाले म्यूकोर्मिकोसिस से अलग होता है। वायरल पोस्ट फर्जी थी।
पूरी फैक्ट चेक को यहां पढ़ सकते हैं।
2. एक वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को यह दावा करते हुए दिखाया गया है कि सात व्यायाम करने से कोरोना वायरस को रोका जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की और इसे फर्जी पाया। वीडियो में डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ, ग्वालियर मध्य प्रदेश थे। विभाग ने उन्हें इस तरह का भ्रामक वीडियो शेयर करने पर नोटिस जारी किया था।
पूरी फैक्ट चेक को यहां पढ़ सकते हैं।
3. 18 नवंबर को पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में भारतीय वायु सेना का एक एमआई-17 विमान क्रैश कर गया था उस विमान के वीडियो को यह कहते हुए वायरल किया गया कि यह वही विमान है, जिसमें सीडीएस बिपिन रावत शहीद हो गए थे।
8 दिसंबर 2021 को भारतीय वायु सेना ने ट्वीट किया कि IAF MI-17V5 हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया है जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत सवार थे। इसके तुरंत बाद एक वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने लगा, जिसमें दावा किया गया कि यह वही हेलिकॉप्टर है, जिसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैनिक अधिकारी शहीद हो गए हैं। विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे की पड़ताल की और पाया कि वायरल वीडियो में भारतीय वायु सेना के MI-17 हेलिकॉप्टर की बात की जा रही है, वह पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में 18 नवंबर को दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। वहीं, जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य अधिकारियों को ले जा रहा हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कन्नूर में 8 दिसंबर को दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिसमें सभी शहीद हो गए।
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4. एक वायरल फेक पोस्ट के जरिये यह दावा किया गया कि कोविड-19 टेस्ट के लिए नमूने के रूप में लिए गए नाक के स्वैब का उपयोग मस्तिष्क में चिप्स और अन्य वायरस को प्लांट करने में किया जा सकता है। इससे ब्रेन डैमेज हो सकता है।
विश्वास न्यूज ने वायरल फेक पोस्ट की जांच की और दावे को झूठा पाया। नाकोफिरिन्जियल स्वैब में चिप्स नहीं होते हैं और न ही ब्रेन को प्रभावित करने वाले वायरस को इसके जरिए प्रत्यारोपित किया जा सकता है। स्वैब का उपयोग नासोफैरिन्स से नमूने एकत्रित करने के लिए किया जाता है और मस्तिष्क में किसी वायरस या अन्य को प्लांट करने में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
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5. उद्योगपति मुकेश अंबानी की पत्नी और समाजसेवी नीता अंबानी के बारे में एक तस्वीर यह दावा करते हुए वायरल किया गया कि वह दुनिया का सबसे महंगा बोतलबंद पानी एक्वा डि क्रिस्टालो ट्रिब्यूटो ए मोदिग्लिआनी पीती हैं। फोटो में नीता अंबानी को सोने जैसी बोतल में पानी पीते हुए दिखाया गया है। यह एडिटेड फोटो थी।
नीता अंबानी की एक पुरानी फोटो को छेड़छाड़ करते हुए उन्हें दुनिया के सबसे महंगे बोतलबंद पानी एक्वा डि क्रिस्टालो ट्रिब्यूटो ए मोदिग्लिआनी पीते हुए दिखाया गया था।
पूरी फैक्ट चेक यहां पढ़ सकते हैं।
6. मेक्सिको में मगरमच्छ के हमले का वीडियो गोरखपुर के नाम से वायरल
वायरल हो रह एक वीडियो में एक महिला को जबड़े में पकड़कर पानी में तैरते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने इस वीडियो को यह कहते हुए शेयर किया कि यह वीडियो गोरखपुर का है, जहां रामगढ़ताल में एक मगरमच्छ ने सेल्फी ले रही एक महिला पर हमला कर उसे मार डाला। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा झूठा साबित हुआ। दरअसल, यह वीडियो गोरखपुर का नहीं, बल्कि मेक्सिको का है।
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7. भोपाल के जिम में मारपीट के वीडियो को ‘लव जिहाद’ के झूठा क्लेम से वायरल किया गया
मारपीट के इस वीडियो को झूठे दावे के साथ शेयर किया गया कि यह लव जिहाद का मामला है। विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा फेक पाया गया।
पूरी फैक्ट चेक यहां पढ़ सकते हैं।
इस वर्ष चल रही कोरोना महामारी और अन्य घटनाओं के बीच अभी भी अनिश्चितता का माहौल जारी है। हम सभी को इस तरह की गलत सूचनाओं को प्रसारित होने से बचने के लिए बेहद सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि गलत सूचनाओं के प्रचार-प्रसार पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।
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