Fact Check: रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित किए जाने को लेकर वायरल दावा गलत

रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित किए जाने को लेकर वायरल दावा गलत है। इसको लेकर केंद्र सरकार ने ऐसा कोई एलान नहीं किया है। केवल तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने ऐसा दावा किया है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। रामचरित मानस को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। कुछ यूजर्स दावा कर रहे हैं कि रामचरित मानस ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनेगा और इसकी निंदा करने वालों पर राष्ट्रद्रोह का केस चलेगा।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी जांच में पाया कि केंद्र सरकार की तरफ से ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है। हां, तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने बिहार में ऐसा दावा किया था कि 2024 में फिर से भाजपा सरकार बनने पर रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित कर दिया जाएगा। सोशल मीडिया पर वाायरल दावा गलत है।

क्या है वायरल पोस्ट

फेसबुक यूजर ‘बृजेश गुड्डू‘ (आर्काइव लिंक) ने 15 नवंबर को लिखा,

“रामचरितमानस बनेगा राष्ट्रीय ग्रंथ, निंदा करने वाले पर लगेगा राष्ट्र द्रोह
जय श्री राम”

फेसबुक पर कुछ अन्य यूजर्स ने भी इस दावे को पोस्ट किया है।

पड़ताल

रामचरित मानस को लेकर वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे वायरल दावे की पुष्टि हो सके। अगर ऐसा कोई एलान होता, तो मीडिया रिपोर्ट जरूर होती।

दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 3 नवंबर को छपी खबर में लिखा है कि बिहार के चंपारण में श्रीराम कथावाचन कार्यक्रम के दौरान तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने दावा किया है कि रामचरितमानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाया जाएगा और इसकी निंदा करने वाले पर राष्ट्रद्रोह का केस चलेगा।

4 नवंबर को हिन्दुस्तान में भी इस बारे में खबर छपी है। इसमें दिया गया है कि तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य का दावा है कि 2024 में नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। उसके बाद श्री रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने उसकी निंदा किए जाने पर चुप नहीं बैठने की बात भी कही।

इस बारे में हमने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से बात की। उनका कहना है, “भाजपा की ऐसी कोई योजना नहीं है। अगर ऐसा कुछ वायरल हो रहा है, तो यह गलत है। हम तुलसी पीठाधीश्वर रामभ्रदाचार्य की सम्मान करते हैं, लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई है।

अंत में हमने भ्रामक पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया। इसके मुताबिक, यूजर के करीब 4500 फॉलोअर्स हैं और वह एक विचारधारा से प्रभावित हैं।

निष्कर्ष: रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित किए जाने को लेकर वायरल दावा गलत है। इसको लेकर केंद्र सरकार ने ऐसा कोई एलान नहीं किया है। केवल तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने ऐसा दावा किया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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