विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भैरव बाबा की मूर्ति के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो करीब दो साल से ज्यादा पुराना है और राजस्थान के सिमलिया गांव का है। जहां पर भैरव बाबा की मूर्ति (पत्थर का बड़ा टुकड़ा) को इस तरह से लकड़ियों पर रखकर ट्रैक्टर की मदद से या फिर इंसानों द्वारा खींचकर ले जाने की परंपरा है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न मान्यताओं के साथ इस परंपरा का चलन रहा है। इसी परंपरा के वीडियो को भैरव बाबा के अपमान के गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में भैरव बाबा की मूर्ति को तोड़कर ट्रैक्टर से घसीटा गया। वीडियो को देवता के अपमान से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो करीब दो साल से ज्यादा पुराना है और राजस्थान के सिमलिया गांव का है। जहां पर भैरव बाबा की मूर्ति (पत्थर का बड़ा टुकड़ा) को इस तरह से लकड़ियों पर रखकर ट्रैक्टर की मदद से या फिर इंसानों द्वारा खींचकर ले जाने की परंपरा है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न मान्यताओं के साथ इस परंपरा का चलन रहा है। इसी परंपरा के वीडियो को भैरव बाबा के अपमान के गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘विजय राज घाटवा’ ने 19 सितंबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “वीडियो राजस्थान की बताई जा रही है जहां भैरों बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है…सवाल -: क्या गहलोत सरकार द्वारा कभी किसी अवैध मजार या दरगाह को भी तोड़ा गया है।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को गौर से देखा। हमने पाया कि वीडियो में मौजूद पुलिस वाले ने मास्क लगाया हुआ है। इससे हमें वीडियो के पुराने होने का संदेह हुआ। इसी आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें इससे मिलता-जुलता एक वीडियो न्यूज 18 की रिपोर्ट में मिला। मौजूद जानकारी के मुताबिक, “राजस्थान के कई गांव में बीमारियां, परेशानियों को रोकने और बारिश लाने के लिए इस तरीके से भैरव बाबा की मूर्ति को खींचकर ले जाया जाता है। यह एक तरह से परंपरा है।”
इस परंपरा से जुड़ी रिपोर्ट हमें पत्रिका के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड हुई मिली।
पड़ताल के दौरान हमें इस परंपरा के कई वीडियो यूट्यूब पर अपलोड हुए मिले। हमें सोशल मीडिया की कई पोस्ट मिली, जिसमें लोगों ने कमेंट्स में यही जानकारी दी है कि भैरव बाबा की मूर्ति को इस तरह से खींचना एक तरह की परंपरा है।
वीडियो के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने एक बार फिर गूगल पर अन्य कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें यह वीडियो धर्मेन्द्र हरसी पटेल सोप नामक एक फेसबुक अकाउंट पर शेयर हुआ मिला। वीडियो को 15 मई 2021 को शेयर किया गया है। पोस्ट के अनुसार, वायरल वीडियो सिमलिया गांव का है।
अधिक जानकारी के लिए हमने राजस्थान दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ नरेंद्र शर्मा से संपर्क किया।। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। हाल-फिलहाल में यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर गलत जानकारी के साथ शेयर किया जा रहा है। भैरव की मूर्ति को इस तरह से खींचकर लेकर जाना एक तरह की परंपरा है। यह कई गांवों में होती है। यह वीडियो भी काफी पुराना है।”
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के करीब नौ सौ फॉलोअर्स हैं। प्रोफाइल पर यूजर ने खुद को राजस्थान का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भैरव बाबा की मूर्ति के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो करीब दो साल से ज्यादा पुराना है और राजस्थान के सिमलिया गांव का है। जहां पर भैरव बाबा की मूर्ति (पत्थर का बड़ा टुकड़ा) को इस तरह से लकड़ियों पर रखकर ट्रैक्टर की मदद से या फिर इंसानों द्वारा खींचकर ले जाने की परंपरा है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न मान्यताओं के साथ इस परंपरा का चलन रहा है। इसी परंपरा के वीडियो को भैरव बाबा के अपमान के गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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