Fact Check: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म किए जाने का दावा गलत और निराधार

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म कर उसे सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के साथ मिलाए जाने का दावा निराधार और मनगढ़ंत है। केंद्र सरकार ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म करने जा रही है। कुछ यूजर्स यह भी दावा कर रहे हैं कि सरकार इस मंत्रालय को खत्म कर उसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में मिलाने जा रही है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। न तो सरकार की तरफ से ऐसी कोई घोषणा की गई है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Vikash ahir’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”अब ख़त्म होगा अल्पसंख्यक मंत्रालय,इसकी जरूरत भी क्या थी ?? सारा लाभ वैसे भी इन्हें ही मिलता है🤔।”

सोशल मीडिया पर फेक दावे के साथ वायरल पोस्ट

कई अन्य यूजर्स ने भी इस दावे को अपनी प्रोफाइल से शेयर किया है।

पड़ताल

की-वर्ड सर्च में डेक्कन हेराल्ड की तीन अक्टूबर की रिपोर्ट मिली, जिसमें सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म करने की योजना बना रही है, जिसे 2006 में यूपीए सरकार के दौरान स्थापित किया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंत्रालय को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के साथ विलय करने की योजना है और संबंधित सभी योजनाओं को बाद में इसी मंत्रालय के जरिए लागू किया जाएगा।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स ने इस दावे को साझा करना शुरू कर दिया कि केंद्र सरकार अब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म करने जा रही है।

डक्कन हेराल्ड की तीन अक्टूबर की रिपोर्ट जिसमें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म किए जाने का दावा किया गया था

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही सरकार की तरफ से इसका खंडन करते हुए स्पष्ट किया गया कि फिलहाल ऐसी कोई योजना विचाराधीन नहीं है, जिसके तहत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म किया जा रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की तीन अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने साफ किया है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को समाप्त किए जाने की कोई योजना नहीं है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद तीन अक्टूबर की रिपोर्ट जिसमें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को समाप्त किए जाने के दावे का सरकार की तरफ से खंडन किया गया है

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में किए गए दावे को फेक बताया गया है।

ट्वीट में कहा गया है कि एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म कर उसे सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय में मिलाने जा रही है। यह दावा पूरी तरह से गलत है और ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

वायरल दावे को लेकर हमने दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो के विशिष्ट संवाददाता नीलू रंजन से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया था, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया है।

वायरल दावे को शेयर करने वाले यूजर को फेसबकु पर करीब एक लाख से अधिक यूजर शेयर करते हैं।

निष्कर्ष: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म कर उसे सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के साथ मिलाए जाने का दावा निराधार और मनगढ़ंत है। केंद्र सरकार ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।

False
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