विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि चेन्नई के छात्रों द्वारा दुनिया के सबसे छोटे उपग्रह को प्रक्षेपित करने का दावा करने वाला वायरल पोस्ट पुराना है, हाल का नहीं। पोस्ट भ्रामक है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली): विश्वास न्यूज को फेसबुक पर एक पोस्ट मिला, जिसमें दावा किया गया था कि तमिलनाडु के छात्रों ने दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह बनाया और हाल ही में नासा के माध्यम से इसे लॉन्च किया। पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि मीडिया द कश्मीर फाइल्स फिल्म को कवर करने में व्यस्त है और इसलिए सच्चाई नहीं दिखा रहा है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि दावा और तस्वीर पुरानी है। चेन्नई के छात्रों ने 2017 में दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट बनाया था। यह घटना हाल की नहीं है।
फेसबुक यूजर मुबीन वास्कर ने 24 मार्च को फेसबुक ग्रुप धर्म मराठी (धरम-मराठी) पर एक पोस्ट शेयर किया। पोस्ट में एएनआई की एक तस्वीर थी। उपयोगकर्ता ने दावा किया: भारत ने कल इतिहास रच दिया जब तमिलनाडु की 18 वर्षीय विद्यार्थी रिफात फारुक द्वारा तैयार किए गए दुनिया के सबसे छोटे सैटलाइट को ‘NASA’ ने लांच किया. भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब को सम्मान देते हुए इस सैटेलाइट का नाम ‘Kalamsat’ रखा गया है. इसका वजन सिर्फ 64 ग्राम है. लेकिन भारत की गोदी मीडिया ‘कश्मीर फाइल’ खेलने में व्यस्त है.”
पोस्ट और उसके आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च के साथ फैक्ट चेक की शुरुआत की। हमें एएनआई के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट में साझा की गई तस्वीर मिली। पोस्ट में कहा गया: चेन्नई: दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह बनाने वाले छात्र इसके लॉन्च के बाद खुशी मनाते हैं। 64 ग्राम वजनी इस सैटेलाइट को नासा ने लॉन्च किया था। इस पोस्ट में तीन तस्वीरें थीं और पोस्ट 22 जून, 2017 को की गई थी।
कीवर्ड सर्च करने पर हमें यह खबर विभिन्न मीडिया वेबसाइटों पर भी मिली। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट, ‘नासा ने 18 वर्षीय तमिलनाडु के छात्र द्वारा डिजाइन किए गए दुनिया के सबसे छोटे उपग्रह को लॉन्च किया’, “भारत ने गुरुवार को इतिहास रच दिया, जब नासा ने तमिलनाडु के 18 साल के छात्र द्वारा निर्मित दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह लॉन्च किया। छात्र रिफत शारूक और उनकी टीम ने ये काम किया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर इसका नाम ‘कलामसैट रखा गया है। छोटे उपग्रह का वजन लगभग 64 ग्राम है।” यह खबर 23 जून, 2017 को पब्लिश की गयी थी।
india.com ने भी 22 जून, 2017 को यह खबर छापी थी।
विश्वास न्यूज ने जांच के अगले चरण में चेन्नई के एएनआई संवाददाता रोनाल्ड जबराज से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “मैंने ही जून 2017 में कलामसैट की खबर कवर की थी। यह खबर हाल की नहीं है। मैंने रिफात शारूक का भी इंटरव्यू लिया था।”
जांच के आखिरी चरण में विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर का सोशल बैकग्राउंड चेक किया। मुबीन वास्कर महाराष्ट्र के रोहा के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि चेन्नई के छात्रों द्वारा दुनिया के सबसे छोटे उपग्रह को प्रक्षेपित करने का दावा करने वाला वायरल पोस्ट पुराना है, हाल का नहीं। पोस्ट भ्रामक है।
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