नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि बारकोड के जरिए चीनी और भारतीय प्रोडक्ट्स में अंतर किया जा सकता है। यह पोस्ट एक इमेज के तौर पर है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी आइटम का बारकोड 690 से 699 से शुरू होता है तो वो प्रोडक्ट चीन में बने होते हैं और अगर बारकोड 890 से शुरू होता है तो यह भारत का कोड है। Vishvas News ने इसकी पड़ताल की और पाया कि यह वायरल पोस्ट भ्रामक है।
अरुण सोनी नाम के एक यूजर ने एक फेसबुक पोस्ट शेयर की है, जिसमें एक इमेज दर्शाती है कि अगर किसी आइटम का बारकोड 690 से 699 से शुरू होता है तो वो प्रोडक्ट चीन में बने होते हैं और अगर बारकोड 890 से शुरू होता है तो यह भारत का कोड है।
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
Vishvas News ने बारकोड कैसे काम करता है इसे सर्च कर अपनी पड़ताल शुरू की। GS1 के अनुसार, तुरंत-पहचाने जाने वाले बारकोड दुनिया में लगभग हर प्रोडक्ट पर मौजूद होते हैं। GS1 वैश्विक गैर-लाभकारी फाउंडेशन है, जो बारकोड्स के साथ इस्तेमाल किए जाने नाले यूनिक प्रोडक्ट नंबर को असाइन करने के लिए मैन्यूफैक्चर्स के साथ काम करता है।
Barcodesinc.com के अनुसार, अनिवार्य रूप से बारकोड एक विजुअल पैटर्न में जानकारी को एनकोड करने का एक तरीका है, जिसे एक मशीन पढ़ सकती है। ब्लैक एंड व्हाइट बार (एलिमेंट्स) का कॉम्बिनेशन अलग-अलग टेक्स्ट कैरेक्टर्स को दर्शाता है, जो बारकोड के लिए एक सेट एल्गोरिद्म को फॉलो करता है। अगर आप एलिमेंट्स का क्रम बदलते हैं तो आपको एक अलग टेक्स्ट मिलता है। बारकोड स्कैनर ब्लैक एंड व्हाइट कलर के पैटर्न को पढ़ता है, उसे टेक्स्ट में बदल दिया जाता है, जिससे कि आपका कम्प्यूटर पढ़ सके।
फेसबुक पर वायरल हो रही पोस्ट के अनुसार, प्रोडक्ट संख्या के पहले तीन नंबर किसी प्रोडक्ट के देश का संकेत देते हैं। बहरहाल, मामला यह नहीं है। GS1 के अनुसार, बारकोड के प्रीफिक्सेज यह नहीं बताते हैं कि प्रोडक्ट किस देश में या किस निर्माता द्वारा बनाया गया है। यह दुनिया में कहीं भी बनाया जा सकता है।
बारकोड के पहले कुछ अंकों को प्रीफिक्सेज कहा जाता है। ये कंपनी प्रीफिक्सेज देश कोड के एक सेट पर आधारित हैं। यह सच है कि प्रीफिक्सेज 690-699 चीन के हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इन प्रीफिक्सेज के साथ उपलब्ध प्रोडक्ट वहां बनाए गए हैं।
nationwidebarcode.com के अनुसार, भले ही आपने बारकोड GS1 या नेशनवाइड बारकोड जैसी कंपनी से खरीदा हो, बारकोड उस देश का संकेत देगा, जहां प्रीफिक्सेज को बनाया गया हो। भले ही उस कंपनी ने अपने प्रोडक्टस का निर्माण कहीं और किया हो।
Vishvas News ने इंडियन बारकोड कॉरपोरेशन के सीईओ श्री गुलशन मारवाह से बात की। उन्होंने कहा, “बारकोड के पहले तीन अंक आपको यह नहीं बताते कि प्रोडक्ट कहां बना है। यह उस देश का संकेत देते हैं जहां प्रीफिक्स को असाइन किया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रोडक्ट उस देश में बना है।”
उन्होंने उदाहरण देकर बताया: अगर कोई वियतनाम की कंपनी रूस से प्रोडक्ट इम्पोर्ट करती है और उस प्रोडक्ट को भारत में पैक कर भेज देती है तो प्रोडक्ट का फाइनल बारकोड संभवतः रूस के बजाय वियतनाम का संकेत देगा। प्रीफिक्स मूल देश का निर्धारण नहीं कर सकते हैं।
इस पोस्ट को फेसबुक पर अरुण सोनी नाम के यूजर ने शेयर किया है। हमने यूजर की सोशल प्रोफाइल को स्कैन किया और पाया कि यूजर मुंबई, महाराष्ट्र का रहने वाला है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।