2009 से ईवीएम के अस्तित्व में आने का दावा गलत है। 2004 में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों पर ईवीएम की मदद से चुनाव कराए गए थे और इससे पहले कई विधानसभा चुनाव के दौरान इसका इस्तेमाल हो रहा था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 2024 के तहत चार चरणों का मतदान हो चुका है और पिछले कई अन्य चुनावों की तरह इस बार भी वोटिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल हो रहा है। इसी संदर्भ में वायरल एक पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि देश में ईवीएम का इस्तेमाल 2009 की तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में हुआ था।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। 2004 में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों पर ईवीएम की मदद से चुनाव कराए गए थे और इससे पहले कई विधानसभा चुनाव के दौरान इसका इस्तेमाल हो रहा था। 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान सभी सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले भी अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान चरणबद्ध तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा था, जिसकी शुरुआत 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव से हुई थी।
सोशल मीडिया यूजर ‘rbsonu_sr’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “ईवीएम 2009 में आया था और कांग्रेस सरकार ने इसे लगाया था, अगर ईवीएम हैक होता तो पहले कांग्रेस ही इसे है करती..और बीजेपी को कभी सत्ता में आने नहीं देती…ईवीएम हैक नहीं होता है ये बात समझलो..!!”
वायरल पोस्ट में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर किए गए दावे की जांच के लिए हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद दस्तावेजों को चेक किया। सर्च में हमें Status Paper on EVM (Edition – 3) की कॉपी मिली, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल की सिलसिलेवार जानकारी दी गई है।
मौजूद जानकारी के मुताबिक, 1998 में ईवीएम से चुनाव कराए जाने को लेकर सहमति बनने के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में इसका इस्तेमाल किया गया।
इसके बाद 1999 में 46 संसदीय सीटों पर इसका इस्तेमाल हुआ और फिर हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 45 सीटों पर ईवीएम से मतदान कराया गया।
2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पूरी तरह से ईवीएम से ही कराए गए और इसके बाद के अन्य विधानसभा चुनावों में भी इसका इस्तेमाल हुआ।
2004 लोकसभा चुनाव के दौरान सभी 543 सीटों पर वोटिंग के लिए ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। 2018 में सार्वजनिक किए गए इस दस्तावेज के मुताबिक, “2000 के बाद से भारत में कुल 113 राज्य विधानसभा चुनाव और तीन आम चुनाव (2004,2009 और 2014) में मतदान के दौरान ईवीएम का इस्तेमाल हुआ।”
2019 लोकसभा चुनाव भी पूरी तरह से ईवीएम के जरिए ही संपन्न हुआ। इसलिए वायरल पोस्ट में किया गया यह दावा गलत है कि ईवीएम का इस्तेमाल 2009 से शुरू हुआ।
गौरतलब है कि 19 मई 1982 को ईसीआई ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिशानिर्देश जारी करते हुए प्रायोगिक आधार पर केरल के 70-पारुर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया था। इसके बाद 1982-83 में 10 उप-चुनावों में भी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, किसी निश्चित कानून की गैर-मौजूदगी की वजह से इन चुनाव को सुप्रीम कोर्ट (Election Petition 01 of 1982 filed by A.C. Jose) में चुनौती दी गई और पांच मार्च 1984 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसल में कहा कि बिना किसी निश्चित कानूनी प्रावधान के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
इसके बाद दिसंबर 1988 में संसद ने कानून में संशोधन करते हुए रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 में धारा 61ए को जोड़ दिया और इस तरह से निर्वाचन आयोग को ईवीएम का इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई। यह संशोधन 15 मार्च 1989 को प्रभाव में आया और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एआईडीएमके बनाम चीफ इलेक्शन कमिश्नर व अन्य (2002 UJ (1) 387) मामले में धारा 61ए को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया।
निम्न चार्ट में ईवीएम को लेकर कानूनी दखल और मुकदमों के विवरण को देखा जा सकता है।
वायरल पोस्ट को लेकर विश्वास न्यूज ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता से संपर्क किया और उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि 2004 आम चुनाव में सभी लोकसभा सीटों पर ईवीएम से मतदान कराया गया था और इसके पहले से ईवीएम का इस्तेमाल अन्य विधानसभा चुनाव में होता आया था।
गौरतलब है कि 2018 में देश में ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग के साथ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है।
इकोनॉमिक टाइम्स में 22 नवंबर 2018 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में ईवीएम के बदले बैलेट पेपर का इस्तेमाल किए जाने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता। एनजीओ न्याय भूमि की तरफ से ए सुब्बा राव ने यह जनहित याचिका कोर्ट में दायर की थी। उन्होंने कहा था कि ईवीएम का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है और इसलिए इसका इस्तेमाल चुनावों के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 2019 का आम चुनाव ईवीएम से ही हुआ था। ईवीएम से संबंधित अन्य वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब पांच हजार लोग फॉलो करते हैं। चुनाव आयोग की अधिसूचना (आर्काइव लिंक) के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के तहत अब तक चार चरणों का मतदान हो चुका है और पांचवें चरण के लिए मतदान 20 मई को होना है, जिसमें आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 49 सीटों पर वोटिंग होगी।
निष्कर्ष: साल 2009 से ईवीएम के अस्तित्व में आने का दावा गलत है। 2004 में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों पर ईवीएम की मदद से चुनाव कराए गए थे और इससे पहले कई विधानसभा चुनाव के दौरान इसका इस्तेमाल हो रहा था। 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान सभी सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले भी अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान चरणबद्ध तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा था, जिसकी शुरुआत 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव से हुई थी। 2004, 2009, 2014 और 2019 के आम चुनाव भी ईवीएम से ही कराए गए हैं और 2024 का लोकसभा चुनाव भी इसी के जरिए हो रहा है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।