अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की फंडिंग को घटाकर नौ करोड़ रुपये किए जाने का दावा गलत है। लोकसभा में केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब तक एएमयू को करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग मिली है। साथ ही अन्य विश्वविद्यालयों की फंडिंग में भी पिछले साल के मुकाबले भारी कमी आई है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की फंडिंग को 62 करोड़ रुपये से घटाकर मात्र नौ करोड़ रुपये कर दिया है। वहीं, कई अन्य यूजर्स ने दावा किया है कि कुल फंडिंग को घटाकर 62 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। यह सही है कि पिछले वर्ष के मुकाबले अलीगढ़ विश्वविद्यालय को मिलने वाले फंड में कमी आई है, लेकिन कटौती के बावजूद यह रकम करीब 302 करोड़ रुपये है। दूसरा पिछले वर्ष के मुकाबले न केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बल्कि अन्य केंद्रीय विश्विविद्यालयों को मिलने वाली फंड में कमी आई है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Dinesh Sharma’ ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ”मोदी सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का वार्षिक बजट 62 करोड़ से घटा कर 9 करोड़ किया।
विपक्षियों में मातम जारी और कुछ लोग कहतें हैं ..
मोदी जी ने किया ही क्या है??😊।”
कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मिलने वाली फंडिंग या उसमें की जाने वाली कटौती राष्ट्रीय सुर्खियां होती हैं। सर्च में ऐसे कई रिपोर्ट्स का लिंक मिला, जिसमें बजट में कटौती का जिक्र है। दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 23 जुलाई 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, Aligarh Muslim University (एएमयू) executive council की मीटिंग शनिवार को 11 बजे एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लाक स्थित सभागार में होगी। इसमें विश्वविद्यालय के बजट में कटौती को लेकर विचार किया जाएगा, साथ ही अन्य विषयों पर चर्चा होगी। बजट आवंटन को देखते हुए इस मीटिंग को अहम माना जा रहा है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘Ministry of Education में राज्य मंत्री डा. सुभाष सरकार की ओर से लोकसभा में दिए जवाब में 2014-15 से इस साल जून तक जारी हुए अनुदान की पूरी जानकारी दी है। एएमयू की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2014-15 में एएमयू को 673.98 करोड़ बजट मिला था। इसके बाद से बजट में लगातार वृद्धि होती गई। 2020-21 में सर्वाधिक 1520.10 करोड़ का बजट केंद्र सरकार से मिला। 2021-22 में बजट घट कर 1214.63 रह गया। इस साल 30 जून 2022-23 में उससे भी कम बजट मिला। यूनिवर्सिटी को अभी तक 302.32 करोड़ ही बजट मिला है।’
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि एएमयू के साथ-साथ जेएनयू, जामिया और बीचएयू को भी पिछले वर्ष के मुकाबले कम बजट मिला है।
रिपोर्ट में लोकसभा में सरकार की तरफ से दिए आंकड़ों का जिक्र है। इसकी पुष्टि के लिए हमने सर्च की मदद ली। सर्च में हमें लोकसभा में पूछे गए अतारांकित सवाल संख्या 131 का जवाब मिला, जिसे 18 जुलाई 2022 को जारी किया गया है।
शिक्षा मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों को केंद्रीय अनुदान आयोग (यूजीसी) के जरिए दिया जाता है। आवंटन की राशि पिछले वर्ष के खर्च के आधार पर विश्वविद्यालय की अनुमानित खर्च जरूरतों के आधार पर किया जाता है। सरकार की तरफ से 2014 के बाद 2022-23 तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों को किए गए आवंटन के बारे में भी जानकारी दी गई है।
सांसद टी एन प्रथपन के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 2014-15 से लेकर 2022-23 के बीच तक पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों को आवंटित फंड के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2014-15 में जहां एएमयू को 673.98 करोड़ रुपये का फंड मिला था, वह 2015-16 में बढ़कर 825.04 करोड़ रुपये
2016-17 में 904.70 करोड़ रुपये
2017-18 में 1106.02 करोड़ रुपये
2018-19 में 1009.69 करोड़ रुपये
2019-20 में 1180 करोड़ रुपये
2020-21 में 1520.10 करोड़ रुपये
2021-22 में 1214.63 करोड़ रुपये और 2022-23 में (30-06-2022 तक) 302.32 करोड़ मिले हैं।
अन्य विश्वविद्यालयों के आवंटन में पिछले वर्ष के मुकाबले 2022-23 में ऐसी ही गिरावट आई है। मिसाल के तौर पर बीएचयू को 2021-22 में 1303.01 करोड़ रुपये मिले, जो 2022-23 में कम होकर 325.29 करोड़ रुपये हो गए।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि 2022-23 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को 30 जून 2022 तक 302.32 करोड़ रुपये मिले है, न कि 9 करोड़ रुपये, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है। यही स्थिति अन्य विश्वविद्यालयों के साथ भी है और 2021-22 के मुकाबले उनके फंड आवंटन में भारी कमी आई है।
हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के अलीगढ़ ब्यूरो चीफ मुकेश चतुर्वेदी ने पुष्टि करते हुए बताया, ‘इस साल एएमयू को करीब 300 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है। नौ करोड़ का आंकड़ा गलत है, क्योंकि इतनी कम रकम से यूनिवर्सिटी का संचालन ही संभव नहीं है।’ उन्होंने कहा कि बजट कटौती समेत अन्य मुद्दे पर चर्चा को लेकर यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग भी बुलाई गई थी, लेकिन इसमें बजट कटौती पर कोई चर्चा नहीं हुई।
वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल फेसबुक पर जून 2013 से सक्रिय है।
निष्कर्ष: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की फंडिंग को घटाकर नौ करोड़ रुपये किए जाने का दावा गलत है। लोकसभा में केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब तक एएमयू को करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग मिली है। साथ ही अन्य विश्वविद्यालयों की फंडिंग में भी पिछले साल के मुकाबले भारी कमी आई है। इस मामले में एएमयू कोई विशेष अपवाद नहीं है।
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