Fact Check: पाकिस्तान से भारत आए हिंदू डॉक्टर्स को CAA के तहत नागरिकता मिलने का दावा भ्रामक, अभी तक लागू नहीं हुआ है यह कानून

पाकिस्तान से भारत आए 132 हिंदू डॉक्टर्स को सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता मिलने का दावा भ्रामक है। भारतीय संसद से  पारित होने के बाद नियमों को अधिसूचित नहीं किए जाने की वजह से इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।

Fact Check: पाकिस्तान से भारत आए हिंदू डॉक्टर्स को CAA के तहत नागरिकता मिलने का दावा भ्रामक, अभी तक लागू नहीं हुआ है यह कानून

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में गुजरात में पाकिस्तान से आए हिंदू डॉक्टर्स के एनएमसी परीक्षा को पास किए जाने की खबर के हवाले से दावा किया जा रहा है कि ये सभी नागरिकता संशोधन  अधिनियम (सीएए) के बाद भारत आए थे और अब राज्य में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स बन चुके हैं। दावा किया जा रहा है कि इन सभी डॉक्टर्स को सीएए अधिनियम के लागू होने के बाद भारत की नागरिकता मिली है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। यह सही है कि एनएमसी की परीक्षा पास करने वाले 132 डॉक्टर्स पाकिस्तान से आए हिंदू हैं,लेकिन इनकी नागरिकता का संबंध सीएए से नहीं है, क्योंकि संसद से  पारित होने के बावजूद इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। इसलिए इस कानून के तहत किसी को नागरिकता दिए जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। इन सभी को भारत की  नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता मिली हुई है, जिसके तहत केवल पाकिस्तानी ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के नागरिकों को भी स्थापित प्रक्रिया और मानदंडों का पालन करने के बाद नागरिकता मिल जाती है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘BJP Sashi Kumar Subramony’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “132 Hindu doctors who came from Pakistan after CAA have been registered as full time medical practitioners in state. They held an event to thank the Gujarat Govt for their continuous support. This news is positive… yet some will cry. The question is to those experts who were saying Modi didn’t implement CAA. So how this happened?https://m.timesofindia.com/…/articleshow/101471979.cmsTwitter :: @actorsashi”

कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

https://twitter.com/RajeshNain/status/1679122514721603585

पड़ताल

वायरल पोस्ट में टाइम्स ऑफ इंडिया में गांधीनगर डेटलाइन के साथ चार जुलाई को छपी खबर का लिंक है, जिसमें 132 पाकिस्तानी हिंदू डॉक्टर्स के एनएमसी परीक्षा पास किए जाने का जिक्र है। खबर के मुताबिक, ये सभी डॉक्टर्स पाकिस्तान  में मेडिकल की पढ़ाई कर भारत आए थे और अब एनएमसी परीक्षा पास करने के बाद भारत में प्रैक्टिस कर पाएंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया में चार जुलाई 2023 को प्रकाशित खबर, जिसमें पाकिस्तान से भारत आए हिंदू डॉक्टर्स को नागरिकता मिलने की जानकारी है।

खबर में कई डॉक्टर्स के भारत आने और यहां की नागरिकता ग्रहण करने का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. दशरथ कुमार (47) 2006 में भारत आए और उन्हें 2016 में नागरिकता मिल गई। वहीं, डॉक्टर ओम प्रकाश राठी (49) 2007 में भारत आए और उन्हें 2016 में भारत की नागरिकता मिल गई। एक और डॉक्टर राजकुमार जसरानी 2009 में भारत आए और उन्हें 2016 में भारत की नागरिकता मिल गई।

स्पष्ट है कि ये सभी डॉक्टर्स सीएए के पारित होने से पहले भारत आए थे और उन्हें पिछले कानून के मुताबिक, भारत की नागरिकता मिली। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में भारत की नागरिकता ग्रहण के आधारों का साफ-साफ उल्लेख हैं, जिसमें जन्म, वंश, पंजीकरण और प्राकृतिकरण या नैचुरलाइजेशन शामिल हैं।

भारत सरकार के नागरिकता के लिए आवेदन किए जाने वाले पोर्टल पर भी इसका उल्लेख है, जिसके मुताबिक 1955 के कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया जा सकता है।

Source-indiancitizenshiponline.nic.in

अब तक की जांच से स्पष्ट है कि जिन पाकिस्तानी हिंदू डॉक्टर्स को भारत की नागरिकता मिलने का जिक्र किया गया है, वे सीएए के पहले के कानून के मुताबिक, भारत के नागरिक बन चुके हैं।

जहां तक नागरिकता संशोधन  अधिनियम यानी सीएए की बात है तो उसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। पीआईबी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, संसद ने 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को पारित कर दिया था। इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक रूप से उत्पीड़ित हिंदू, सिख , बौद्ध , जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता देने का प्रस्ताव  था।

इसके बाद सरकार ने 12 दिसंबर 2019 को इस कानून को लागू करने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी थी।

CAA को लागू करने के बारे में जारी अधिसूचना

हालांकि, इस कानून को अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। ईटी की वेबसाइट पर न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से 18 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सीएए के प्रावधान तैयार करने के लिए सरकार को अतिरिक्त समय मिल गया है। राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधायी संबंधी संसदीय समितियों ने एक बार फिर से केंद्रीय गृह मंत्रालय को सीएए कानून 2019 के लिए प्रावधान तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया है।

राज्यसभा से 31 दिसंबर 2022 तक और लोकसभा से 9 जनवरी 2023 तक के लिए समय दिया गया था । कानून को लागू करने के लिए बनाए जाने वाले नियमों के निर्माण के लिए गृह मंत्रालय को मिला यह लगातार सातवां विस्तार है। गौरतलब है कि इन नियमों को तैयार किए बिना कानून को लागू नहीं किया जा सकता है।

30 नवंबर 2021 को न्यूज एजेंसी एएनआई की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, सरकार ने लोकसभा को दिए जवाब में बताया कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद ही किया जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर संसद को कवर करने वाले वाले न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के संवाददाता दीपक रंजन से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि देश में अभी तक नागरिकता संशोधन  अधिनियम को लागू नहीं किया जा सका है।

वहीं, पाकिस्तानी मूल के डॉक्टर्स के भारत की नागरिकता मिलने वाले वायरल पोस्ट को लेकर विश्वास न्यूज ने जागरण गुजराती के डिप्टी एडिटर राजेंद्र सिंह परमार से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि इन डॉक्टर्स को सीएए के पहले ही भारत की नागरिकता मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि ये सभी डॉक्टर्स पाकिस्तान में मेडिसीन की पढ़ाई कर भारत आए थे, लेकिन यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकते थे। अब एनएमसी की परीक्षा पास करने के बाद ये भारत में बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस कर पाएंगे।

वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 700 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: पाकिस्तान से भारत आए 132 हिंदू डॉक्टर्स को सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता मिलने का दावा भ्रामक है। भारतीय संसद से  पारित होने के बाद नियमों को अधिसूचित नहीं किए जाने की वजह से इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।

False
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