Fact Check: SC में जजों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग के जवाब में PM के सख्त जवाब दिए जाने का दावा FAKE

सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने के मांग के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सीजेआई को अवकाश कम करने, कार्य दिवस और काम के घंटों को बढ़ाए जाने समेत अन्य नसीहत देने का दावा मनगढ़ंत और फेक है। आखिरी बार पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग के साथ सरकार को चिट्ठी लिखी थी, जिसे सरकार ने मानते हुए जजों की संख्या को बढ़ाकर 31 से 34 कर दिया था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। विश्वास न्यूज के Whatsapp टिपलाइन नंबर पर कई यूजर्स ने एक वीडियो को शेयर कर उसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है, जिसमें दावा किया गया है कि मुख्य न्यायाधीश के सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी के जवाब में प्रधानमंत्री की तरफ से ऐसा जवाब दिया गया है, जिसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। दावा किया जा रहा है कि सीजेआई की लिखी चिट्ठी के जवाब में प्रधानमंत्री ने जजों से अन्य सरकार कर्मचारियों की तरह काम करने को कहा है। साथ ही उन्हें कम छुट्टियां लेने और कार्य दिवसों को बढ़ाए जाने की सलाह दी गई है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इसे फेक और मनगढ़ंत पाया। वायरल हो रहा वीडियो एडिटिंग की मदद से तैयार किया गया है और इसमें कही गई बातें तथ्यों से परे और बेबुनियाद हैं। हाल-फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से ऐसी कोई चिट्ठी नहीं लिखी गई है। 2019 में तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग के साथ चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जजों की संख्या को बढ़ाए जाने के लिए बिल को मंजूरी देने का फैसला लिया था। इससे पहले 2009 में जजों की संख्या को 26 से बढ़ाकर 31 (चीफ जस्टिस को मिलाकर) किया गया था।

क्या है वायरल?

विश्वास न्यूज के Whatsapp टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है। पोस्ट में दावा किया गया है, “मुख्य न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या और बढाने की मांग की है । इस पर पीएम मोदी ने एक जवाब लिखा है और इस जवाब को आप देशभर में पहुँचा दीजिए और कम से कम सरकारी नौकरी करने वाले लोगों के फोन में जरूर पहुँचे और आप कहाँ मिनिट्स बॉक्स में अपनी राय भी दे । पि ऍफ का जवाब माननीय न्यायाधीश साहब आपको जनता से निम्न निर्देश है एक । आप सभी जस्टिस दस बजे लंच दो से तीन बजे के बीच आते हैं फिर चार बजे घर लौट आते हैं । यहाँ कब तक चलेगा दो । सुबह नौ बजे आकर शाम छह बजे तक डॉक्टर, इंजिनीयर, पुलिसकर्मी, नौकरशाह और कॉरपोरेट जगत के लोगों की तरह काम करे । तीन । शनिवार और रविवार को उतने ही काम करे जितने डॉक्टर और कुछ अधिकारी करते हैं । चार । उन्नीस सौ सैंतालीस से एक जून से तीस जून तक आप गर्मी की छुट्टियों का लुत्फ उठाते हैं । जून में गर्मी की छुट्टी क्यों? जब पूरा ऐसी सेंट्रलाइज्ड जैसी है । पाँच । प्रत्येक न्यायाधीश वर्ष में केवल पंद्रह से बीस दिन की छुट्टी लेंगे । छह । जल्लीकट्टू, दही हांडी जैसे मामलों में जानबूझकर समय क्यों बर्बाद करना? साथ कुछ पेशेवरों द्वारा दायर सैकडों बेकार जनहित याचिकाओं को सुनकर आप अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं? आठ । ऍन शिन होगी आप कई मामलों में तीन न्यायपीठ और फिर पाँच न्यायपीठ क्यों बनाते हैं? देशद्रोहियों की समीक्षा? फिर सुधार के लिए याचिकाएँ जिन गरीबों के पास समय नहीं है, उनके लिए रात में भी दरबार क्यों खोलते हो? दस । करदाताओं से आपको करोडो वेतन और सुविधाएं मिलती है लेकिन जनता के प्रति जवाबदेही शून्य है । जाना आप उसी के बंगले में रहते हैं । लग्जरी कारों में सफर करते हैं । जनता के खर्चे पर पूरी सुरक्षा रखते हैं तो मेहनत क्यों नहीं करते? बारह । आप सभी को कैबिनेट मंत्री की सुविधा मिलेगी । उम्र की जरूरत नहीं है । सुप्रीम कोर्ट के कार्यदिवसों को बढाकर कम से कम तीन सौ दिन क्या जाना चाहिए जो एक वर्ष में केवल एक सौ अडसठ दिन कार्य करता है । न्यायाधीशों को तीन सौ दिन काम करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए जबकि प्रधानमंत्री तीन सौ पैंसठ दिन काम कर सकते हैं । बेचारे देशभक्त अब इसे सहन नहीं कर सकते थे । न्यायपालिका चुकी है । इसमें तत्काल और तत्काल सुधार की आवश्यकता है । कम से कम पांच ग्रूप भेजे कुछ नहीं भेजेंगे । लेकिन मुझे विश्वास है आप जरूर भेजेंगे।”

विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर पर भेजे गए वीडियो का स्क्रीनशॉट

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई यूजर्स ने इस वीडियो (आर्काइव लिंक) को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

जांच

वायरल वीडियो में किए गए दावे के साथ पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत अन्य जजों की तस्वीर लगी हुई है। दावा किया जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश शों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग की है। न्यूज सर्च में हमें 2019 की कई पुरानी रिपोर्ट्स का लिंक मिला, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग का जिक्र है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक अगस्त 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, “सीजेआई के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा कर दिया गया है। इससे पिछली बार जजों की संख्या में वृद्धि 2009 में की गई थी, जब शीर्ष अदालत में जजों की संख्या को 26 से बढ़ाकर 31 (सीजेआई को मिलाकर) कर दिया गया था।”

इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर 1 अगस्त 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट

न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इस मामले में कैबिनेट की उस मंजूरी की खबर को साझा किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 (सीजेआई को छोड़कर) करने का फैसला किया गया है।

दैनिक जागरण की 23 सितंबर 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या में इजाफा हुआ है और राष्ट्रपति द्वारा चुने गए जजों की नियुक्ति के बाद यहां जजों की संख्या बढ़कर 31 से 34 हो गई है।”

स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग के साथ पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई ने केंद्र को चिट्ठी लिखी थी, जिसे मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को 31 से बढ़ाकर 34 कर दिया गया था।

स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने के मांग के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सीजेआई को अवकाश कम करने, कार्य दिवस और काम के घंटों को बढ़ाए जाने समेत अन्य नसीहत देने का दावा मनगढ़ंत और फेक है। वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अश्विनी दुबे से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग मानते हुए सरकार इसे बढ़ा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंफ्रास्ट्रक्चर में विस्तार की किसी भी मांग को सरकार गंभीरता से लेती है।”

न्यूज सर्च में भी हमें ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि सीजेआई की लिखी चिट्ठी के बाद प्रधानमंत्री ने उसका जवाब देते हुए कोर्ट में कामकाज काम-काज के घंटे बढ़ाने, कार्य दिवसों की संख्या बढ़ाए जाने और छुट्टियों की संख्या को कम करने के बारे में सलाह दी थी। दूसरा जिस तरह का दावा किया जा रहा है, वह प्रधानमंत्री की तरफ से लिखी गई चिट्ठी की भाषा नहीं हो सकती है। इससे पहले भी सीजेआई के नाम से एक फेक बयान वायरल हुआ था, जिसकी फैक्ट चेक को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने के मांग के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सीजेआई को अवकाश कम करने, कार्य दिवस और काम के घंटों को बढ़ाए जाने समेत अन्य नसीहत देने का दावा मनगढ़ंत और फेक है। आखिरी बार पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाए जाने की मांग के साथ सरकार को चिट्ठी लिखी थी, जिसे सरकार ने मानते हुए जजों की संख्या को बढ़ाकर 31 से 34 कर दिया था।

False
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