Fact Check: इस्कॉन अनुयायियों द्वारा खाना बांटे जाने वाली तस्वीरों का यूक्रेन संकट से नहीं है संबंध, पुरानी तस्वीरें भ्रामक दावे के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि ये तस्वीरें यूक्रेन संकट से संबंधित नहीं है। पुरानी तस्वीरों को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

Fact Check: इस्कॉन अनुयायियों द्वारा खाना बांटे जाने वाली तस्वीरों का यूक्रेन संकट से नहीं है संबंध, पुरानी तस्वीरें भ्रामक दावे के साथ वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। यूक्रेन-रूस के विवाद के बीच सोशल मीडिया में 2 तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है। इसमें कुछ लोगों को जनता के बीच खाना बांटते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स इन तस्वीरों को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि ये तस्वीरें यूक्रेन में इस्कॉन द्वारा सेवा किये जाने की है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। जिन तस्वीरों को यूक्रेन संकट के नाम पर वायरल किया जा रहा है, वह 2015 और 2009 से सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। विश्‍वास न्‍यूज स्‍वतंत्र रूप से यह पुष्टि नहीं करता है कि ओरिजनल तस्वीरें कहां की है, लेकिन यह कन्‍फर्म है कि ये तस्वीरें यूक्रेन संकट से संबंधित नहीं है। ये काफी पुरानी हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज Back To Your Roots ने 26 फरवरी को इन तस्वीरों को पोस्‍ट करते हुए दावा किया : ‘ISKON serving war torn Ukraine through their 54  temples in war hit Ukraine. Hare Krishna  #backtoyourroots”

पड़ताल

यूक्रेन में सेवा के नाम पर वायरल तस्वीरों की सच्‍चाई जानने के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले इन तस्वीरों को गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल में अपलोड करके सर्च किया।

इमेज 1

पहली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह तस्वीर https://www.alachuatemple.com/food/ पर 2015 में अपलोडेड मिली।

हमें यही तस्वीर www.patrika.com पर भी 2019 की एक खबर में मिली। साफ़ है कि यह तस्वीर लम्बे समय से इंटरनेट पर मौजूद है।

इमेज 2

दूसरी तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह तस्वीर Food for Life Global के विकिपीडिया पेज पर मिली। तस्वीर पर क्लिक करने पर हमें पता चला कि तस्वीर को 21 फरवरी 2009 को अपलोड किया गया था।

ढूंढ़ने पर हमने पाया कि तस्वीरों को ट्विटर पर इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास शेयर किया गया था। इस ट्वीट में बताया गया था कि शरणार्थियों के लिए इस्कॉन मंदिरों के दरवाजे खुले हैं।

हमने इस विषय में वृन्दावन इस्कॉन से जुड़े एडमिनिस्ट्रेटर शुभम दुबे से संपर्क साधा। उन्होंने हमें बताया “यह तस्वीरें पुरानी हैं। श्री राधारमण दास द्वारा यूक्रेन में दी जा रही सेवाओं को लेकर किये गए एक ट्वीट में इन तस्वीरों को चित्रण संबंधी (रेप्रेसेंटेशनल) रूप में शेयर किया गया था, जिसे बाद में कई लोगों ने गलत संदर्भ में फैलाना शुरू कर दिया। मैं आपको बता दूँ कि भले ही ये तस्वीरें पुरानी हैं, मगर इस्कॉन द्वारा यूक्रेन की ज़रूरतमंद जनता के लिए कई कार्य किये जा रहे हैं।”

यूक्रेन में इस्कॉन द्वारा दी जा रही मदद को लेकर हमें एक खबर ANI पर भी मिली। www.aninews.in खबर के अनुसार “अनुवादित: यूक्रेन में बढ़ते तनाव के बीच, इस्कॉन ने पूर्वी यूरोपीय देश में जरूरतमंद लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए हैं। “पूरे यूक्रेन में इस्कॉन मंदिर जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए तैयार हैं। हमारे भक्त और मंदिर संकट में लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे मंदिर के दरवाजे सेवा के लिए खुले हैं।” इस्कॉन, कोलकाता के उपाध्यक्ष, राधारमण दास ने कहा।”

Back To Your Roots नाम के एक फेसबुक पेज ने भी तस्‍वीरों को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया था। हमने इस पेज की सोशल स्‍कैनिंग की। पता चला कि पेज को 38,918 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि ये तस्वीरें यूक्रेन संकट से संबंधित नहीं है। पुरानी तस्वीरों को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

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