Fact Check : ‘नागपुष्प’ के नाम पर एक बार फिर वायरल हुई समुद्री जीव की तस्वीर
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि “नागपुष्प” के नाम से वायरल तस्वीर किसी पौधे या फूल की नहीं, बल्कि एक समुद्री जीव की है, जिसे अब गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। पहले भी कई बार ये दावा वायरल हो चुका है। इस तरह के दावे अक्सर अलग-अलग वीडियो के साथ वायरल होते रहते हैं। कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल की मदद से बनाए गए वीडियो भी इसी तरह के दावों के साथ वायरल हो चुके हैं।
- By: Pragya Shukla
- Published: Jul 14, 2023 at 02:45 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह “नागपुष्प” फूल है। यह फूल 36 साल बाद एक बार फिर देखने को मिला है। साथ ही पोस्ट में कहा जा रहा है कि इस फूल को जो भी देखता है, उसके साथ अच्छी घटनाएं होती हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर किसी पौधे या फूल की नहीं, बल्कि एक समुद्री जीव की है, जिसे अब गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। पहले भी कई बार ये दावा वायरल हो चुका है। इस तरह के दावे अक्सर अलग-अलग वीडियो के साथ वायरल होते रहते हैं। कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल की मदद से बनाए गए वीडियो भी इसी तरह के दावों के साथ वायरल हो चुके हैं।
क्या हो रहा है वायरल ?
फेसबुक यूजर गिरीश राजगोर ने 12 जुलाई 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “हिमालय पर्वतापर ‘नागपुष्प’ उग चुका है.. यह पुष्प शेषनागा प्रमाणे दिखता है. जो 36 वर्षा मे सिर्फ एक बार श्रावण मास मे ही शुभ दर्शन देता है… यह पुष्प अपने अन्य ग्रुप व संबंधित जन को दर्शन-लाभ के लिए अवश्य भेंजे।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
पड़ताल
दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च किया। हमें स्टीमिट (Steemit) नामक वेबसाइट पर वायरल तस्वीर से जुड़ी जानकारी मिली। वेबसाइट के मुताबिक, यह तस्वीर समुद्र में पाए जाने वाले जंतु “सी पेन” की है। सी पेन 40 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। यह अटलांटिक महासागर सागर में पाए जाते हैं।”
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें सी पेन से जुड़ा एक वीडियो बीबीसी अर्थ के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो को 24 अप्रैल 2010 को अपलोड किया गया है। वीडियो में एक्सपर्ट्स ‘सी पेन’ के बारे में बताते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में एक्सपर्ट बता रहे हैं कि समुद्र में सी पेन किस तरह से रहते और जीते हैं।
यूके की द साइंस एक्सप्लोरर के फेसबुक पेज पर हमें सी पेन से जुड़ी एक पोस्ट मिली। मौजूद जानकारी के मुताबिक,सी पेन समुद्र का एक आश्चर्यजनक प्राणी, समुद्री कलम, सॉफ्ट कोरल (Soft coral) की एक प्रजाति है, इसका नाम इसलिए रखा गया है, क्योंकि यह मोटे, पुराने जमाने के कलम जैसा दिखता है।
पर्यावरण के बारे में जानकारी देने वाली वेबसाइट ट्रीहगर (Treehugger) पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सी पेन विभिन्न आकृतियों, आकारों और रंगों में आते हैं – जिनमें अंधेरे में चमकने वाले भी शामिल हैं। वो सबसे चरम वातावरण में, सतह से 20,000 फीट से अधिक नीचे और अंटार्कटिका जैसे दक्षिण में रह सकते हैं। यह एंथोजोए औपनिवेशिक अकशेरुकी समुद्री जीव (invertebrate marine animal) होता है।
विश्वास न्यूज ने वायरल दावे को लेकर कई एक्सपर्ट्स से बातचीत की। सबसे पहले हमने मेरठ के एक कृषि वैज्ञानिक एस के सेंगर से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया कि यह फूल नहीं, बल्कि समुद्र में रहने वाले सी पेन जीव की तस्वीर है। यह गहरे समंदर या किनारे की ओर पाया जाता है।
इससे पहले जब यह दावा वायरल हुआ था तो हमने सोलन के नौणी स्थित डॉ. वाइएस परमार फॉरेस्ट्री और हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. सोम देव शर्मा नेरी से संपर्क किया था। उनके साथ वायरल पोस्ट को शेयर किया था। उन्होंने हमें बताया था, “वायरल दावा गलत है। यह नागपुष्प नहीं है। ये जीव अपने पंखों को समुद्र में फैला सकता है और इसका आकार पुराने जमाने के पेन जैसा है। इसलिए इसका नाम सी पेन पड़ा।
विश्वास न्यूज ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर आर गीता से भी संपर्क किया था। हमने वायरल दावे को उनके साथ भी शेयर किया था। उन्होंने हमें बताया था, “यह कोई फूल नहीं है। ऐसा कोई फूल मेरी जानकारी में नहीं है। नागपुष्प एक संस्कृत शब्द है, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘Mesua ferrea’ है। इस नाम का कोई फूल नहीं, बल्कि एक सदाबहार पेड़ है।”
पहले भी यह दावा वायरल हो चुका है। विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल कर सच्चाई सामने रखी थी। पूरी रिपोर्ट को आप यहां पर पढ़ सकते हैं।
इसी तरह एक अन्य दावा वायरल हुआ था। दरअसल, सोशल मीडिया पर यूजर्स एक अजीबोगरीब फूलों की तस्वीर को शेयर कर दावा कर रहे हैं कि यह फूल बंदर जैसे दिखते हैं, ये फूल 20 साल में एक बार हिमालय के पहाड़ों में उगता है। जब विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल की तो पाया कि यह असल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग कर बनाई गई है।
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सोशल मीडिया पर बत्तख जैसे दिखने वाले ऑर्किड फूल की एक तस्वीर को शेयर कर यूजर्स ने दावा किया कि यह डक ऑर्किड का फूल है। विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की जांच की। पड़ताल में पाया कि यह दावा भ्रामक है। असल में यह तस्वीर एआई जेनरेटेड है।
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सोशल मीडिया पर फूल के एक वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि यह “पगोडा फूल” या “महा मोलू” है, जो तिब्बत का एक अनोखा और शुभ फूल है। पोस्ट में कहा गया कि यह फूल हिमालय पर 400 साल में एक बार देखने को मिलता है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो में नजर आ रहा फूल फॉक्सटेल लिली है, जिसे खिलते हुए दिखाया गया है। ये फूल यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
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सोशल मीडिया पर भाप छोड़ते हुए पौधे के एक वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि मानसून के दौरान तमिलनाडु में “उधु पवई” नामक एक पौधा उगता है। पोस्ट में कहा गया कि यह पौधा विशेष रूप से वर्षा वन में उगता है, इसके फूल भाप इंजन की तरह हवा में पराग छोड़ते हैं। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो को एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिए यूके के एक डिजाइनर द्वारा बनाया है।
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सफेद रंग के दो फूलों की तस्वीर को सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर कर दावा किया कि इस फूल का नाम “महामेरु पुष्पम” या “आर्य पू” है और यह फूल हिमालय में 400 साल में एक बार दिखाई देता है। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये दावा गलत है। असल में तस्वीर में नजर आ रहे फूल का नाम प्रोटिया साइनारॉइड्स है और यह साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पाया जाता है।
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सोशल मीडिया पर सफेद फूल के बगीचे के एक वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि यह “ब्रह्म कमल” है। पोस्ट में कहा गया कि यह फूल लॉकडाउन के चलते कम प्रदूषण की वजह से उत्तराखंड में कई सालों बाद खिले। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि असल में वीडियो में नजर आ रहे फूल का नाम ब्रह्म कमल ही है मगर यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।
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सोशल मीडिया पर अलग और अनोखा दिखने वाले एक फूल की तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह भगवान का भेजा गया एक विशेष फूल है, “यह फूल सिर्फ पचास सालों में केवल एक बार ही खिलता है”। विश्वास न्यूज ने पाया कि यह दावा गलत है।
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अंत में हमने तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के 1,960 मित्र हैं। यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि “नागपुष्प” के नाम से वायरल तस्वीर किसी पौधे या फूल की नहीं, बल्कि एक समुद्री जीव की है, जिसे अब गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। पहले भी कई बार ये दावा वायरल हो चुका है। इस तरह के दावे अक्सर अलग-अलग वीडियो के साथ वायरल होते रहते हैं। कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल की मदद से बनाए गए वीडियो भी इसी तरह के दावों के साथ वायरल हो चुके हैं।
- Claim Review : 36 साल में एक बार दिखने वाला नागपुष्प
- Claimed By : फेसबुक यूजर Girish Rajgor
- Fact Check : झूठ
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