Fact Check : किसान आंदोलन में एसी के नाम पर वायरल की जा रही है 2021 की तस्वीर

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह तस्वीर 2021 किसान आंदोलन की है, हालिया नहीं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पंजाब-हरियाणा सीमा पर जारी किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया में कई प्रकार के झूठे और भ्रामक मैसेज वायरल हो रहे हैं। इसी क्रम में अब एक तस्वीर को वायरल किया जा रहा है। इस तस्‍वीर में एक ट्रॉली के पीछे लगे विंडो एसी को देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह हालिया किसान आंदोलन की तस्वीर है।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह तस्वीर 2021 किसान आंदोलन की है, हालिया नहीं।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर शशि प्रभा ने 15 फरवरी 2024 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “असली दिहाडी मजदूर खेत में। नकली पिकनिक पर…”

पोस्ट के आर्काइव लिंंक को यहां पर देखें। इस तस्‍वीर को अभी का समझकर दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। 

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे पहले इसे ठीक से देखा। इसमें एक ट्रैक्टर- ट्रॉली  के पीछे विंडो एसी लगा देखा जा सकता है। यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर हो रहा है। इस समय दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड का समय चल रहा है। ऐसे में आंदोलन में एसी होने की जरूरत समझ नहीं आती। हमें शक हुआ कि यह तस्वीर पुरानी हो सकती है।

हमने इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर ढूंढा तो हमें यही तस्वीर नवभारत टाइम्स की 13 मार्च 2021 की एक खबर में मिली। खबर हेडलाइन  थी “Kisan Andolan: ट्रालियों में AC, सड़कों पर पक्के मकान…कुछ ऐसे हो रही है किसान आंदोलन की तैयारी।”

हमें यह तस्वीर मार्च 2021 में पोस्ट की गयी कई फेसबुक पोस्ट्स में भी मिली।

अधिक जानकारी के लिए हमने किसान आंदोलन कवर करने वाले दैनिक जागरण के पत्रकार बलजीत सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है।वायरल  तस्वीर 2021 की है, हालिया नहीं।  

अंत में हमने तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर Shashi Prabha (शशि प्रभा) लखनऊ की रहने वाली हैं और उनके 21 हजार से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह तस्वीर 2021 किसान आंदोलन की है, हालिया नहीं।

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