Fact Check: बच्ची की यह तस्वीर भारत की नहीं, बांग्लादेश की है

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर जौनपुर की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है। खबर को कवर करने वाले पत्रकार से बात करने पर हमें पता लगा कि यह बच्ची पिछले साल ढाका की सड़कों पर भीख मांगती दिखी थी और अब इसे इसके माता-पिता तक सही सलामत पहुंचा दिया गया है।

Fact Check: बच्ची की यह तस्वीर भारत की नहीं, बांग्लादेश की है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ ऐसी पोस्ट देखने को मिल जाती हैं, जिन्हें देखते ही लोग बिना सोचे-समझे शेयर कर देते हैं। अक्सर लोगों का मकसद किसी की मदद करना होता है पर जाने-अनजाने लोग ऐसे पोस्ट को शेयर करके गलत जानकारी को वायरल कर देते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें एक छोटी-सी बच्ची को भीख मांगते देखा जा सकता है।

पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह बच्ची जौनपुर में एक भिखारियों के समूह के साथ मिली और यह अपना नाम सोनल त्रिपाठी बता रही है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि यह लड़की भिखारियों को मुंबई से आने वाली ट्रेन में मिली थी।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर बांग्लादेश की है। खबर को कवर करने वाले पत्रकार से बात करने पर हमें पता लगा कि यह बच्ची पिछले साल ढाका की सड़कों पर भीख मांगती दिखी थी और अब इसे इसके माता-पिता तक सही-सलामत पहुंचा दिया गया है।

CLAIM

वायरल पोस्ट में दो तस्वीरें हैं, जिसमें एक बच्ची को भीख मांगते देखा जा सकता है। बच्ची के हाथ में एक प्लेट है जिसपर कुछ नोट और सिक्के रखे हुए हैं।

पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “इस छोटी सी खूबसूरत लड़की को जौनपुर में भिखारियों के एक समूह के साथ देखा गया। कृपया आगे बढ़ें जब तक कि वह सही माता-पिता तक न पहुंच जाए और उसकी पहचान हो जाए। वह उसका नाम जानती है और कहती है कि वह सोनल त्रिपाठी है। कृपया इस तस्वीर को अपने सभी समूहों पर पोस्ट करें। भिखारियों का कहना है कि वह मुंबई से आने वाली एक ट्रेन में मिली थी। हो सकता है कि वह बेहतर जीवन वापस पा सके। 🙏”

इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।

FACT CHECK

इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले फोटो को ठीक से देखा। फोटो में बच्ची के हाथ में रखी प्लेट में जो नोट हैं उनपे एक तस्वीर देखी जा सकती है। तस्वीर ठीक से देखने पर पता चलता है कि ये तस्वीर शेख मुजीबुर रहमान की है। शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक राजनेता थे, जिनकी तस्वीर बांग्लादेशी मुद्रा टका पर होती है। साफ़ है कि बच्ची के हाथ में रखी मुद्रा बांग्लादेशी है।

पड़ताल को आगे बढ़ाने के लिए हमने इस फोटो का स्क्रीनशॉट लिया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर ‘girl child begger in Bangladesh’ कीवर्ड्स के साथ सर्च किया। खोजने पर हमारे सामने ajker-comilla.com नाम की एक वेबसाइट का लिंक खुला, जिसमें इस बच्ची की यही तस्वीर इस्तेमाल की गई थी। इस खबर को 20 जुलाई 2019 को पब्लिश किया गया था। खबर एक फेसबुक प्रोफाइल पर शेयर की गई पोस्ट के बारे में थी। खबर के मुताबिक, यह बच्ची ढाका की सड़कों पर भीख मांगती नजर आई थी। खबर के मुताबिक, इस फोटो को शेयर करने के बाद इस बच्ची के अंकल ने इस लड़की की पहचान कर ली थी मगर बच्ची मिल नहीं पायी थी और उसकी खोज जारी है।

हमें ये खबर shadhinnews24.com पर भी मिली।

हमें इस खबर को लिखने वाले बांग्लादेशी पत्रकार इकबार कबीर का नंबर मिला। बघारपारा उपजिला प्रेस क्लब के अध्यक्ष इकबार कबीर ने हमें बताया कि एक व्यक्ति ने इस बच्ची की तस्वीर ढाका की सड़कों पर खींची थी। बच्ची की मदद के इरादे से उन्होंने इस पोस्ट को खबर के रूप में लिखा। बच्ची को अब ढूंढा जा चुका है और वो अब अपने माता-पिता के साथ है।

इसके बाद हमने जौनपुर के एसपी अशोक कुमार से भी बात की। उन्होंने भी कन्फर्म किया कि ये तस्वीर जौनपुर की नहीं है।

इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है Sanjay Saidpuri नाम का फेसबुक प्रोफाइल। इस प्रोफाइल के अनुसार, यूजर वाराणसी का रहने वाला है और फेसबुक पर इसके कुल 5000 फ्रेंड्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर जौनपुर की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है। खबर को कवर करने वाले पत्रकार से बात करने पर हमें पता लगा कि यह बच्ची पिछले साल ढाका की सड़कों पर भीख मांगती दिखी थी और अब इसे इसके माता-पिता तक सही सलामत पहुंचा दिया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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