Fact Check: एक्टिविस्ट बापू सूरत सिंह की भूख हड़ताल की इस तस्वीर का किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं, वायरल दावा फर्जी है
पंजाब के सिविल राइट और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट बापू सूरत सिंह की भूख हड़ताल की पुरानी तस्वीर को अभी के किसान आंदोलनों से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वायरल पोस्ट का दावा फर्जी है।
- By: ameesh rai
- Published: Dec 28, 2020 at 06:42 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज) । सोशल मीडिया पर हालिया किसान आंदोलनों को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में पंजाब के एक बुजुर्ग सोशल एक्टिविस्ट बापू सूरत सिंह की एक तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि उन्होंने हालिया किसान आंदोलन के समर्थन में अन्न-जल त्याग दिया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक साबित हुआ है। एक्टिविस्ट बापू सूरत सिंह राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए लंबे अरसे से आंदोलन कर रहे हैं। उनकी पुरानी तस्वीर को फर्जी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
क्या हो रहा है वायरल
विश्वास न्यूज़ को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर फैक्ट चेक के लिए ट्विटर पोस्ट का एक स्क्रीनशॉट मिला है। इस स्क्रीनशॉट में एक बुजुर्ग की तस्वीर है, जिसके साथ कुछ टेक्स्ट भी लिखा है। इसमें लिखा है, ‘#बापूसूरतसिंह…ने अपनी #किसान क़ौम के लिए अन्न जल त्याग दिए जनता अब भी साथ नहीं आइ तो आने वाले समय में उपवास जनता को करना होगा #मररहाकिसानजागोप्रधान #farmersrprotest @kanhaiyakumar @KrishnaMohanSha’ यहां इस स्क्रीनशॉट में लिखी बातों को ज्यों का त्यों पेश किया गया है।
हमें टेक्स्ट सर्च करने पर बिल्कुल यही दावा ट्विटर पर भी मिला। अजय कुमार कश्यप नाम के यूजर ने 20 दिसंबर को किए गए अपने ट्वीट में यही दावा किया है। इस ट्वीट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल तस्वीर पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। इस तस्वीर से जुड़े हमें ढेरों सर्च रिजल्ट मिले। इसमें सूरत सिंह खालसा नाम का विकीपीडिया पेज और बापू सूरत सिंह खालसा – संघर्ष जारी है, नाम का फेसबुक पेज भी मिला। विकीपीडिया पेज पर दी गई जानकारी के मुताबिक बापू सूरत सिंह खालसा पंजाब के एक सिविल राइट और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं। इस जानकारी के मुताबिक राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए वह 16 जनवरी 2015 से ही भूख हड़ताल पर हैं।
आगे की पड़ताल में हमने ‘बापू सूरत सिंह खालसा – संघर्ष जारी है’ फेसुबक पेज की जांच की। हमें 23 सितंबर 2015 को इस पेज पर बापू सूरत सिंह की वही वायरल तस्वीर मिली, जिसे अभी का बताकर वायरल किया जा रहा है।
पड़ताल के दौरान हमें http://www.sikhrelief.org/ नाम की साइट पर 6 नवंबर 2015 के एक आर्टिकल में भी बापू सूरत सिंह की वायरल तस्वीर मिली। इसमें पुराने आर्टिकल में भी बताया गया है कि बापू सूरत सिंह जनवरी 2015 से ही उन सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन वे जेल में ही बंद हैं। इस आर्टिकल को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
हमारी अबतक की पड़ताल से यह साबित हो चुका था कि तस्वीर हाल की नहीं है बल्कि सितंबर 2015 से ही सोशल मीडिया पर मौजूद है।
हमने जरूरी कीवर्ड्स की मदद से इस दावे को इंटरनेट पर खोजने की कोशिश की। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि करती हो कि बापू सूरत सिंह किसानों के हालिया आंदोलन की वजह से भूख हड़ताल पर हैं।
इंटरनेट पर सर्च के दौरान हमें https://www.sikh24.com/ पर 8 जुलाई 2020 को पब्लिश हुआ एक आर्टिकल भी मिला। इसमें बताया गया है कि 7 जुलाई 2020 को बापू सूरत सिंह द्वारा किए जा रहे आंदोलन के 2000 दिन पूरे हुए थे। इसी आर्टिकल में बताया गया है कि बापू सूरत सिंह फिलहाल लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में हैं, जहां नाक की नली से उनकी इच्छा के विपरीत खाना दिया जाता है। इस आर्टिकल को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने हमारी सहयोगी अखबार पंजाबी जागरण के लुधियाना के ब्यूरोचीफ पलविंदर सिंह ढुडीके से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि बापू सूरत सिंह खालसा काफी समय से डीएमसी अस्पताल में है। उनकी भूख हड़ताल का किसान आंदोलनों से कोई संबंध नहीं है। वह राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वायरल तस्वीर पुरानी है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे के संबंध में डीएमसी चौकी के एएसआई सतनाम सिंह से बात की। उन्होंने भी बताया कि बापू सूरत सिंह डीएमसी अस्पताल में हैं और किसान आंदोलनों से उनकी भूख हड़ताल का कोई लेना-देना नहीं है।
विश्वास न्यूज ने बापू सूरत सिंह से जुड़े इस दावे को ट्वीट करने वाले यूजर अजय कुमार कश्यप की प्रोफाइल को स्कैन किया। इस प्रोफाइल को जुलाई 2020 में बनाया गया है और यूजर बिहार के रहने वाले हैं। फैक्ट चेक किए जाने तक इसके 1447 फॉलोअर्स थे।
निष्कर्ष: पंजाब के सिविल राइट और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट बापू सूरत सिंह की भूख हड़ताल की पुरानी तस्वीर को अभी के किसान आंदोलनों से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वायरल पोस्ट का दावा फर्जी है।
- Claim Review : बापू सूरत सिंह की एक तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि उन्होंने हालिया किसान आंदोलन के समर्थन में अन्न-जल त्याग दिया है।
- Claimed By : Ajay Kumar Kashyap
- Fact Check : झूठ
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