Fact Check : कहीं आप भी तो इन AI टूल की मदद से बनी इन तस्वीरों को असली नहीं समझ बैठे

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि घरों और पेड़-पौधों के बीच भगवान और फेमस व्यक्तियों के चेहरे वाली यह तस्वीरें असली नहीं है। यह तस्वीरें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग कर बनाई गई हैं।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के इस दौर में असली और नकली  के बीच फर्क कर पाना दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है। ऐसे में कुछ सोशल मीडिया यूजर सब्सक्राइबर बटोरने के चक्कर में लोगों की धर्म के प्रति भावुक प्रवृत्ति का फ़ायदा उठाते हैं और AI टूल की मदद से बनी इष्ट देवों की तस्वीर को शेयर कर दावा करते हैं कि यह प्रकृति द्वारा बनाये गए प्राकृतिक प्रतिबिंब हैं, जो आस्था के कारण इष्ट देव जैसे नजर आ रहे हैं। इन छवियों में भगवान श्री राम, भगवान हनुमान, भगवान शिव समेत कई देवी-देवताओं की छवियां शामिल हैं। इन पोस्ट्स में भगवान की छवियों के साथ साथ मशहूर लोगों की भी ऐसी ऑप्टिकल इल्यूजन वाली तस्वीरें शेयर की जा रही हैं।

 विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्वीरों की जांच की। पड़ताल में पाया कि ये सभी तस्वीरें असली नहीं है। यह तस्वीर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग कर बनाई गई है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर विशाल बोस (आर्काइव लिंक) ने 9 फरवरी को समुद्री सीप से बनी भगवान शिव की छवि को शेयर किया और 11 फरवरी को नाव और पानी के बीच दिख रही भगवान राम की छवि वाली  तस्वीर को शेयर किया। ।  

अजय कुमार (आर्काइव लिंक) ने 13 फरवरी को भगवान हनुमान की छवि वाली तस्वीर को शेयर किया।

संस्कारी यादव (आर्काइव लिंक) ने 13 फरवरी को भगवान हनुमान की छवि वाली तस्वीर को शेयर किया।

ऐसी और भी कई तस्वीरें वायरल हैं ।

पड़ताल

वायरल तस्वीरों की सच्चाई जानने के लिए हमने इस पैटर्न को समझने की कोशिश की। अचानक इतने सारे दृष्टिभ्रम आकस्मिक नहीं हो सकते। इन तस्वीरों को गूगल लेंस पर सर्च करने पर हमें ऐसी और भी बहुत-सी ऑप्टिकल इल्यूजन वाली तस्वीरें मिलीं। हमें शक हुआ कि इन सभी को किसी एक ही तरह के मैकेनिज़्म से तैयार किया गया है।

सटीकता से ढूंढ़ने पर हमें ऐसी ही एक तस्वीर डेटा साइंस और एआई कंटेंट पर काम करने वाली वेबसाइट हगिंग फेस के एक ट्यूटोरियल पेज पर मिली। यहां  बताया गया था कि कैसे प्रॉम्प्ट देकर किसी भी इंसान की तस्वीर को इल्यूजन में बदला जा सकता है।

इसके बाद हमने वायरल तस्वीरों को एआई टूल की मदद से बनी तस्वीरों को चेक करने वाले टूल हाइव मॉडरेशन की मदद से चेक किया। इन सभी तस्वीरों के एआई से बने होने की संभावना 98 % से लेकर 99.9% क बीच निकली।

तस्वीरों को चेक करने वाले एक दूसरे टूल एआई और नॉट पर भी इन तस्वीरों को एआई से बना बताया गया।

हमने इस विषय में एआई विशेषज्ञ डॉ. अजहर माकवे से बात की। उन्होंने बताया कि यह सभी एआई से बनी तस्वीरें हैं और एक सिंपल से प्रॉम्प्ट से ऐसी तस्वीरें बनाई जा सकती हैं।

अंत में हमने तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर विशाल बोस के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर लखनऊ का रहने वाला है और उसे 8000 से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।

एआई से जुड़ी अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट्स विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ी जा सकती है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि घरों और पेड़-पौधों के बीच भगवान और फेमस व्यक्तियों के चेहरे वाली यह तस्वीरें असली नहीं है। यह तस्वीरें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग कर बनाई गई हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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