वायरल पोस्ट भ्रामक है। राहुल गांधी भारत के भौतिक बुनियादी ढांचे की बात नहीं कर रहे थे, बल्कि संस्थानों पर राजनीतिक दलों के कथित नियंत्रण की बात कर रहे थे।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के भाषण का एक छोटा-सा हिस्सा वायरल हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ होने की बात कही। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। राहुल गांधी के भाषण का जो अंश वायरल हो रहा है, वह पूरा नहीं है। पूरे भाषण को सुनने पर पता चलता है कि वे भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात नहीं कर रहे थे। वे कह रहे थे कि “भारत के सभी बड़े संस्थानों में आरएसएस के लोग हैं और उनकी पार्टी इसके खिलाफ है।
फेसबुक यूजर ‘Shreepad Gokhalera’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”“WE ARE FIGHTING AGAINST THE ENTIRE INFRASTRUCTURE OF INDIA” THIS IS EXACTLY WHY PEOPLE CALL RAHUL GANDHI ‘PAAPPY’!” जिसका हिंदी अनुवाद होता है “हम भारत के पूरे बुनियादी ढांचे के खिलाफ लड़ रहे हैं” यही कारण है कि लोग राहुल गांधी को ‘पाप्पी’ कहते हैं!
16 सेकेंड के वायरल वीडियो में राहुल गांधी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “हम एक राजनीतिक पार्टी से नहीं लड़ रहे हैं, हम हिंदुस्तान के पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ लड़ रहे हैं।”
हमने वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। सर्च के दौरान हमें पता चला कि यह क्लिप 5 अगस्त 2022 को हुई कांग्रेस की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा है। सर्च में हमें इंडियन नेशनल कांग्रेस के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर 5 अगस्त 2022 को हुए इस कार्यक्रम का पूरा वीडियो मिला। इस 30 मिनट के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो में 12 मिनट के बाद एक सवाल के जवाब में राहुल गाँधी कहते हैं, ”किसी लोकतंत्र में जब विपक्ष लड़ता है तो वो इंस्टीट्यूशंस के बल पर लड़ता है। जो देश का लीगल, ज्यूडिशियल स्ट्रक्चर होता है, जो देश का इलेक्टोरल स्ट्रक्चर होता है, जो देश की मीडिया होती है उसके बल पर विपक्ष खड़ा होता है। वो सब जो इंस्टीट्यूशंस हैं, वो सब के सब सरकार को पूरा सपोर्ट दे रहे हैं, क्योंकि सरकार ने अपने लोग इंस्टीट्यूशंस में बिठाए हुए हैं। हिंदुस्तान का आज हर इंस्टीट्यूशन आजाद नहीं है। हिंदुस्तान का हर इंस्टीट्यूशन आज आरएसएस के कंट्रोल में है। आरएसएस का एक व्यक्ति हर इंस्टीट्यूशन में बैठा है। तो हम एक राजनीतिक पार्टी से नहीं लड़ रहे हैं। हम हिंदुस्तान के पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ लड़ रहे हैं। जब हमारी सरकार होती थी इन्फ्रास्ट्रक्चर न्यूट्रल रहता था। हम इन्फ्रास्ट्रक्चर को कंट्रोल नहीं करते थे। दो राजनीतिक पार्टियों, तीन पार्टियों की लड़ाई होती थी। आज इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार का पूरा का पूरा एक पार्टी के साथ है।”
इस पूरे भाषण को सुनने पर पता चलता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के राहुल गाँधी का मतलब बुनियादी ढांचे नहीं था, बल्कि संस्थानों में बैठे लोग थे।
हमें इस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर एक खबर दैनिक जागरण की वेबसाइट पर भी मिली।
हमने इस विषय में दैनिक जागरण ऑनलाइन के लिए इस खबर को लिखने वाले चीफ सब एडिटर मनीष नेगी से बात की। उन्होंने कन्फर्म किया, “राहुल गाँधी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के बुनियादी या विकास संबंधी ढाँचे की बात नहीं कर रहे थे, बल्कि बड़े संस्थानों में कथित तौर पर एक विशेष संस्था के लोगों के होने की बात कर रहे थे। वायरल दावा भ्रामक है।”
हमने इस विषय में कांग्रेस नेता संजीव सिंह से भी संपर्क साधा। उन्होंने भी इस क्लिप को अधूरा बताया और कहा कि इस पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है।
वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 13 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: वायरल पोस्ट भ्रामक है। राहुल गांधी भारत के भौतिक बुनियादी ढांचे की बात नहीं कर रहे थे, बल्कि संस्थानों पर राजनीतिक दलों के कथित नियंत्रण की बात कर रहे थे।
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