Fact Check : परेश रावल के माफी मांगने का पांच साल पुराना वीडियो हालिया विवाद में भ्रामक दावे से वायरल

विश्वास न्यूज ने परेश रावल के वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2017 का है। जिसे लोग भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। साल 2017 में परेश रावल ने राजपूत समुदाय की तुलना बंदर से की थी। जिस पर उन्होंने बाद में माफी मांगी थी, ये वीडियो उसी दौरान का है।

नई दिल्ली (विश्वास न्‍यूज)। अभिनेता परेश रावल गुजरात चुनाव के दौरान बंगालियों पर दिए गए एक विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इसी से जोड़कर उनका एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में वो माफ़ी मांगते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि गुजरात चुनाव में प्रचार करने गए परेश रावल के बयान को लेकर लोगों ने उनका बहिष्कार किया। जिसके बाद उन्होंने सबके सामने माफी मांगीं।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2017 का है। जिसे लोग भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। साल 2017 में परेश रावल ने राजपूत समुदाय की तुलना बंदर से की थी। जिस पर उन्होंने बाद में माफी मांगी थी, ये वीडियो उसी दौरान का है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर समाचार 24/7 ने वायरल वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “वोटर्स ने रपटा दिया…अब गिड़गिड़ाकर माफ़ी मांगता फिर रहा…गली गली।”

इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने यूट्यूब पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह वीडियो जबरसिह राठौड़ कालेवा नामक एक यूट्यूब चैनल पर 30 नवंबर 2017 को अपलोड  हुआ मिला। दी गई जानकारी के मुताबिक, परेश रावल का यह वीडियो राजपूत समाज से माफी मांगने का है। 


पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स के जरिए न्यूज रिपोर्ट्स को सर्च करना शुरू किया। हमें ट्रिब्यून पर 27 नवंबर 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार, परेश रावल ने राजपूतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए माफी मांगी थी। 

डीएनए सहित कई अन्य वेबसाइट ने भी इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की थी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसे लेकर ट्वीट भी किया था। वन इंडिया पर 26 नवंबर 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “रैली को संबोधित करते हुए परेश रावल ने कहा कि सरदार पटेल ने देश को एक किया था, ये राजा-रजवाड़े, जो बंदर थे, उनको सही किया था, सीधा किया था। उन्होंने कहा कि पटेल के बारे में बहुत कुछ नहीं लिखा गया है, लेकिन जेआरडी टाटा ने कहा था कि अगर सरदार पटेल देश के प्रधानमंत्री होते तो देश कहां पहुंच गया होता।” जिस पर राजपूत समुदाय गुस्सा हो गया था और परेश रावल ने अपने इस बयान को लेकर माफी मांगी थी।

न्यूज 18 पर 3 दिसंबर 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “गुजरात के वलसाड में चुनाव प्रचार के दौरान परेश रावल ने कहा था कि ‘गैस सिलेंडर के दाम बढ़ गए हैं, लेकिन उसकी कीमत नीचे आ जाएगी. लेकिन अगर रोहिंग्या और बांग्लादेशी आपके आसपास दिल्ली की तरह रहने लगे तो क्या होगा? गैस सिलेंडर का आप क्या करेंगे? बंगालियों के लिए मछली पकाएंगे?’ इस बयान को लेकर भारी विरोध का सामना करने के बाद उन्होंने शुक्रवार को इस पर माफी मांग ली. उन्होंने माफी मांगते हुए कहा था कि उनका मतलब ‘अवैध बांग्लादेशियों’ से था।” विवाद बढ़ने के बाद परेश रावल ने एक ट्वीट कर अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली है। 

इस वीडियो को लेकर हमने गुजरात में दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर जीवन कपूरिया से बातचीत की। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल वीडियो तकरीबन पांच साल पुराना है और इसका हालिया मामले से इसका कोई संबंध नहीं है।”

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर समाचार 24/7 की जांच की। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर महाराष्ट्र का रहने वाला है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने परेश रावल के वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2017 का है। जिसे लोग भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। साल 2017 में परेश रावल ने राजपूत समुदाय की तुलना बंदर से की थी। जिस पर उन्होंने बाद में माफी मांगी थी, ये वीडियो उसी दौरान का है।

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