Fact Check: अलग-अलग स्थानों पर नहीं किया गया फिलिस्तीनी बच्ची को रेस्क्यू, 2016 की सीरिया की तस्वीर फर्जी दावे से वायरल

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का इजराइल-हमास जंग से कोई लेना-देना नहीं है। यह 2016 की सीरिया के अलेप्पो में रेस्क्यू किये जाने के दौरान की फोटो है। इस बच्ची को सीरिया में हुए एक धमाके के बाद बचाया गया था। रेस्क्यू के दौरान ही बच्ची को अलग-अलग लोगों ने पकड़ा था। इस तस्वीर का अलग-अलग स्थानों के होने से जुड़ा जो दावा किया जा रहा, वह भी फर्जी है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। गाजा पट्टी में मारे जा रहे और जख्मी हो रहे लोगों को फर्जी बताते हुए कई पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही  हैं। इसी कड़ी में एक कोलाज वायरल हो रहा है, जिसकी हर तस्वीर में एक जख्मी बच्ची को एक शख्स के साथ देखा जा सकता है। तस्वीर को शेयर करते हुए यूजर दावा कर रहे हैं कि इस फ़िलिस्तीनी लड़की को तीन अलग-अलग स्थानों से तीन अलग-अलग लोगों ने तीन अलग-अलग दिनों में बचाया है।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का इजराइल-हमास जंग से कोई लेना-देना नहीं है। यह 2016 की सीरिया के अलेप्पो में रेस्क्यू किये जाने के दौरान की फोटो है। इस बच्ची को सीरिया में हुए एक धमाके के बाद बचाया गया था। रेस्क्यू के दौरान ही बच्ची को अलग-अलग लोगों ने पकड़ा था। इस तस्वीर का अलग-अलग स्थानों के होने से जुड़ा जो दावा किया जा रहा, वह भी फर्जी है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ”इस फ़िलिस्तीनी लड़की को 3 अलग-अलग स्थानों से 3 अलग-अलग लोगों ने 3 अलग-अलग दिनों में बचाया और सभी स्थान एक दूसरे से 50 किमी दूर हैं। आश्चर्य है कि वह विशेष रूप से संघर्ष क्षेत्र में इतनी दूर यात्रा क्यों करती रहती है।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिये वायरल कोलाज को सर्च किया। सर्च में हमें  इसी वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती फोटो अल जजीरा की वेबसाइट पर 27 अगस्त 2016 को पब्लिश हुए एक आर्टिकल में मिली। यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, ”अलेप्पो के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में बैरल बम हमले में कम से कम 24 अंतिम संस्कार में शामिल लोग मारे गए और 30 अन्य घायल हो गए। सीरियाई नागरिक सुरक्षा, एक स्वयंसेवी बचाव समूह ने अल जज़ीरा को बताया कि सीरियाई सरकार और रूसी युद्धक विमानों ने शनिवार को अल-मादी पड़ोस में मारे गए 15 महिलाओं और बच्चों की मौत का शोक मनाने के लिए इकट्ठा हुए लोगों के एक समूह पर हमला किया था।”

वायरल कोलाज में तीन तस्वीरें हैं, जिनको हमने एक-एक करके  फैक्ट चेक किया है।

फोटो 1

पहली तस्वीर में बचाव कर्मी की गोद में दो बच्चे नजर आरहे हैं।  इसमें एक वह बच्ची भी है, जिसको लेकर वायरल दावा किया जा रहा है।

गेट्टी इमेजेज पर दी गई इस तस्वीर से जुड़ी जानकारी के मुताबिक, ’27 अगस्त 2016 को शासन के विमानों द्वारा कथित तौर पर विस्फोटक से भरे बैरल बम गिराए जाने के बाद पूर्वी अलेप्पो के मादी जिले में बच्चों को ले जाता एक सीरियाई बचाव कार्यकर्ता।

फोटो 2

दूसरी तस्वीर में पीली  शर्ट पहने एक दूसरे शख्स को इसी बच्ची को रेस्क्यू करते हुए देखा जा सकता है।

यह तस्वीर भी हमें गेट्टी इमेजेज पर 27 अगस्त 2016 की सीरिया के अलेप्पो में विस्फोटक धमाके के बाद रेस्क्यू के हवाले से ही मिली।

फोटो 3

तीसरी तस्वीर में यही बच्ची इन्हीं कपड़ों में एक दूसरे शख्स की गोद में नजर आ रही है।

इस फोटो के साथ भी दी गई जानकारी के मुताबिक, इसे 27 अगस्त 2016 में हुए धमाके के बाद खींचा गया है, जहां पर बचावकर्मी लोगों का बचाव कर रहे हैं।

अगर इन तस्वीरों के सीक्वल  को देखें तो ये कुछ इस तरह हैं।

पहली तस्वीर में बच्ची को बचावकर्मी बचाता है, फिर दूसरी तस्वीर में बचावकर्मी बच्ची को किसी दूसरे  शख्स के हवाले करते नजर आ रहा है, और इसी शख्स के साथ बच्ची की तस्वीर कोलाज की तीसरी फोटो है। वहीं, कोलाज की दूसरी फोटो मुमकिन है उस वक़्त की होगी, जब दूसरे  शख्स ने बच्ची को पीली शर्ट पहने युवक को पास किया होगा।

रायटर्स  की वेबसाइट पर हमें इस बच्ची की और भी तस्वीरें देखने को मिलीं। एक तस्वीर में वायरल कोलाज में एक शख्स के साथ देखा जा सकता है और दूसरी तस्वीर में रेस्क्यू वैन में बैठी नजर आ रही है।

वायरल फोटो से जुड़ी  पुष्टि के लिए हमने इन तस्वीरों को खींचने वाले फोटोग्राफर अमीर अल हल्बी से इंस्टाग्राम के जरिये सम्पर्क किया। उन्होंने हमें पुष्टि देते हुए बताया कि यह सीरिया के अलेप्पो में एक ही मौके पर खींची गई तस्वीरें हैं।

फर्जी पोस्ट को  शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर ”श्रीनिवास स्वैन” ओडिशा के रहने वाले हैं और फेसबुक पर उन्हें तीन हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का इजराइल-हमास जंग से कोई लेना-देना नहीं है। यह 2016 की सीरिया के अलेप्पो में रेस्क्यू किये जाने के दौरान की फोटो है। इस बच्ची को सीरिया में हुए एक धमाके के बाद बचाया गया था। रेस्क्यू के दौरान ही बच्ची को अलग-अलग लोगों ने पकड़ा था। इस तस्वीर का अलग-अलग स्थानों के होने से जुड़ा जो दावा किया जा रहा, वह भी फर्जी है।

False
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