Fact Check: रिक्शा चालक की पिटाई का पुराना वीडियो गलत संदर्भ में हुआ वायरल

विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो के पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि 2 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसे हालिया बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज़ ( नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक रिक्शा चालक की पिटाई का 44 सेकंड का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि जालंधर रेलवे स्टेशन पर एक रिक्शा चालक किसी विकलांग व्यक्ति को रेल में चढ़ाने के लिए प्लेटफार्म पर रिक्शा लेकर चला गया, जहां उससे पुलिस ने जुर्माना मांगा और नहीं देने पर पुलिस ने उस बुजुर्ग के साथ बुरा व्यवहार किया। यूजर इस वीडियो को हालिया मानते हुए शेयर कर रहे हैं।विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा भ्रामक निकला। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि 2 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसे अभी वायरल कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज Gym to club ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ” ਇਹ video ਜਲੰਧਰ ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਦੀ ਹੈ । ਇਕ ਬਜੁਰਗ ਰਿਕਸ਼ੇ ਵਾਲਾ ਕਿਸੇ handicap ਨੂੰ ਰੇਲ ਗੱਡੀ ਵਿਚ ਚੜਾਉਣ ਆਿੲਆ ਜਿਥੇ ਦੋ ਪੁਲਿਸ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਰਿਕਸ਼ਾ platform ਤੇ ਲਿਆਉਣ ਕਾਰਨ 700-800 ਰੁਪਏ ਜੁਰਮਾਨੇ ਵਜੋਂ ਮੰਗੇ । ਪਰ ਗਰੀਬ ਰਿਕਸ਼ੇ ਵਾਲੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਨੀ ਤਾ ਉਸਦੀ ਦਿਹਾੜੀ ਵੀ ਨਈ ਪੈਂਦੀ । ਪਰ ਬਜੁਰਗ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਾੜਾ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਪਹਿਲਾ ਸਾਲੇ ਨੋਕਰੀਆਂ ਲਈ ਰੋਈ ਜਾਦੇ ਨੇ ਫੇਰ ਜਦ ਏਦਾ ਦਿਆ ਨੂੰ ਨੋਕਰੀ ਮਿਲ ਜਾਦੀ ਆ। ਫੇਰ ਸਾਲੇ ਆਹ ਕੁਝ ਕਰਦੇ ਨੇ  “

(हिंदी अनुवाद- यह वीडियो जालंधर रेलवे स्टेशन का है। एक बुजुर्ग रिक्शा चालक किसी handicap को रेल गाड़ी में चढ़ाने आया जहाँ दो पुलिस अधिकारियों ने प्लेटफॉर्म पर रिक्शा लाने के लिए 700-800 रुपये का जुर्माना मांगा। लेकिन गरीब रिक्शे वाले ने कहा कि इतनी तो उसकी दिहाड़ी भी नहीं पड़ती। लेकिन बुजुर्ग के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। पहले ये नौकरियों के लिए रोते रहते हैं फिर जब इनकी नौकरी लग जाती है यह लोग ऐसे करते हैं।)

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसके आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज़ ने सबसे पहले इनविड टूल का इस्तेमाल किया। इस टूल की मदद से हमने वीडियो के कई ग्रैब्स निकाले और फिर उन्हें गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इसी दौरान हमें असली वीडियो IANS TV के यूट्यूब चैनल पर 1 अगस्त 2019 को अपलोड मिला। डिस्क्रिप्शन में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो पंजाब का है। पूरा वीडियो यहाँ देखें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक न्यूज रिपोर्ट indiatvnews.com की वेबसाइट पर 1 अगस्त 2019 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट में दी गयी जानकारी के अनुसार, ” रिक्शा चालक एक विकलांग को रिक्शे में बिठाकर पंजाब के जालंधर रेलवे स्टेशन पर छोड़ने गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उसके साथ बदसलूकी की। पूरी खबर को यहाँ पढ़ें।

इस घटना से संबंधित खबर को The Quint और Gulf Today ने भी प्रकाशित किया था।

अधिक जानकारी के लिए हमने पंजाबी जागरण के जालंधर के इंचार्ज जतिंदर पम्मी से संपर्क किया। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि तकरीबन 2-3 साल पुराना है। हाल-फिलहाल में पंजाब में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। पुराने वीडियो को गलत संदर्भ में शेयर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज़ ने जांच के आखिरी चरण में उस प्रोफाइल की पृष्ठभूमि की जांच की, जिसने वायरल पोस्ट को साझा किया था। हमने पाया कि यूजर को 73 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर ज्यादातर पंजाबी और पंजाब से जुड़ी खबरों को शेयर करता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो के पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि 2 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसे हालिया बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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