विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि युवकों को पीटती पुलिस के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो न ही मुंबई का है और न ही मीरा रोड़ हिंसा से जुड़ा हुआ है। यह वीडियो करीब डेढ़ साल पुराना है और इंटरनेट पर साल 2022 से मौजूद है। पहले इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई हिंसा का बताकर शेयर किया गया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले मीरा रोड पर हुई हिंसा से जोड़ते हुए एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में पुलिस कुछ लोगों को लाठी और डंडों से पीटती हुई नजर आ रही है। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि जिन उपद्रवियों ने माहौल खराब करने की कोशिश की थी। यह वीडियो उन्हीं लोगों का है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो न ही मुंबई का है और न ही मीरा रोड़ हिंसा से जुड़ा हुआ है। यह वीडियो करीब डेढ़ साल पुराना है और इंटरनेट पर साल 2022 से मौजूद है। पहले इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई हिंसा का बताकर शेयर किया गया था।
फेसबुक यूजर विनायक कांबले ने 26 जनवरी 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “मीरा रोड वालो को अब समाज में आया होगा शायद,वैसे तो गीदड़ की तरह झुंड में दंगा कर लेते हैं जब डंडे पड़ते हैं तो मोये मोये हो जाती हैं।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो के कई कीफ्रेम निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें दावे से जुड़ी रिपोर्ट क्विंट की वेबसाइट पर मिली। 16 जून 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ”वायरल वीडियो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का है। नूपुर शर्मा विवाद के बाद सहारनपुर में हुई हिंसा के आरोप में पुलिस ने कुछ 80 से अधिक मुस्लिम आरोपियों को गिरफ्तार किया था और कस्टडी में उनकी बेरहमी से पिटाई की। वीडियो वायरल होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने उक्त वीडियो के सहारनपुर से संबंधित होने से साफ इनकार कर दिया है। हालांकि परिजनों ने अपने बच्चों को निर्दोष बताया है।”
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट आजतक के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड मिली। वीडियो रिपोर्ट को 11 जून 2022 को शेयर किया गया था। रिपोर्ट में वायरल वीडियो मौजूद है।
पड़ताल के दौरान हमें पत्रकार पीयूष शर्मा के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर दावे से जुड़ी एक पोस्ट मिली। उन्होंने 11 जून 2022 को कुछ वीडियो को शेयर करते हुए बताया है कि सहारनपुर पुलिस ने हिंसा के आरोप में कुछ युवकों को गिरफ्तार किया है और वीडियो जारी किया है। वीडियो में नजर आ रहे कई चेहरे वायरल वीडियो से मिलते हैं, जिसे पहले पुलिस ने सहारनपुर का होने से इनकार कर दिया था।
इंडिया टीवी की वेबसाइट पर 4 जुलाई 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ”पुलिस ने हिंसा के आरोप में जिन लोगों को गिरफ्तार किया था। उनमें से 8 लोगों को सहारनपुर कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। पुलिस प्रशासन ने CRPC-169 के तहत उन्हें क्लीन चिट दे दी है।”
अधिक जानकारी के लिए हमने सहारनपुर दैनिक जागरण के रिपोर्टर कपिल कुमार से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल वीडियो साल 2022 में नूपुर विवाद के बाद हुई हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा था। हालांकि, पुलिस ने उस समय इसके सहारनपुर से संबंधित होने से इनकार कर दिया था। मगर युवकों के परिचितों ने उन्हें पहचान लिया था। बाद में पुलिस ने भी इनमें कुछ युवकों का एक दूसरा वीडियो आरोपियों के रूप में शेयर किया था।
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। यूजर के 2.2 हजार मित्र हैं। यूजर ने प्रोफाइल पर खुद को महाराष्ट्र का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि युवकों को पीटती पुलिस के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो न ही मुंबई का है और न ही मीरा रोड़ हिंसा से जुड़ा हुआ है। यह वीडियो करीब डेढ़ साल पुराना है और इंटरनेट पर साल 2022 से मौजूद है। पहले इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई हिंसा का बताकर शेयर किया गया था।
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