विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि रोड़ पर नमाज पढ़ने के नाम पर वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। साल 2020 में लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन करते हुए कुछ लोगों ने मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज पढ़ी थी। उस दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन्हें वहां से निकाला था और हिरासत में लिया था। उत्तर प्रदेश की इस पुरानी घटना के वीडियो को दिल्ली के इंद्रलोक में सड़क पर नमाज पढ़ने के मामले के बाद का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। दिल्ली के इंद्रलोक में सड़क पर नमाज पढ़ने की घटना सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश का है। जहां ऐसी ही घटना सामने आई और उस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लोगों को गिरफ्तार किया।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2020 का है। जब लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए लोगों ने मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज पढ़ी थी। उसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी।
फेसबुक यूजर ने सनी टंडन ने 9 मार्च 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “दिल्ली पुलिस ने तो अपने कर्तव्य का पालन करने वाले अधिकारी को बर्खास्त कर दिया। इस बीच यूपी में नमाज के लिए सड़कें रोकने का नतीजा।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) NYOOOZ UP- Uttarakhand के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो को 27 मार्च 2020 को अपलोड किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन में लोग मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज़ पढ़ रहे थे। पुलिस ने वहां पहुंचकर लाठीचार्ज किया था और कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को हिरासत में लिया था।
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह वीडियो इसी जानकारी के साथ कई अन्य यूट्यूब चैनल (आर्काइव लिंक) और फेसबुक पेज (आर्काइव लिंक) पर 27 मार्च 2020 को शेयर हुआ मिला।
दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 8 मार्च 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) के अनुसार, दिल्ली के इंद्रलोक के इलाके में रोड पर नमाज पढ़ रहे लोगों को हटाने के लिए अपमानजनक व्यवहार किया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया गया है।
अधिक जानकारी के लिए हमने इटावा के जिला प्रभारी गौरव दुदेजा से संपर्क किया। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2020 का है। लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने अरविंद पुल के पास मौजूद मस्जिद में नमाज पढ़ी थी। मौलाना ने लोगों से इकट्ठा होकर नमाज न पढ़ने की अपील की थी, लेकिन लोगों ने नहीं सुना और नियमों का उल्लंघन करते हुए मस्जिद में नमाज पढ़ी। फिर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लोगों को वहां से हटाया था और कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया था।
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के करीब 12 सौ फॉलोअर्स हैं। यूजर एक विचारधारा से प्रभावित जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि रोड़ पर नमाज पढ़ने के नाम पर वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। साल 2020 में लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन करते हुए कुछ लोगों ने मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज पढ़ी थी। उस दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन्हें वहां से निकाला था और हिरासत में लिया था। उत्तर प्रदेश की इस पुरानी घटना के वीडियो को दिल्ली के इंद्रलोक में सड़क पर नमाज पढ़ने के मामले के बाद का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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