Fact Check : भोपाल के पुराने वीडियो को मनगढ़ंत दावे  के साथ सांप्रदायिक रंग देकर किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पिटाई के वीडियो को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो अगस्त 2022 में भोपाल में हुए आपसी विवाद की एक घटना का है। इस मामले में दोनों ही पक्ष एक ही समुदाय के हैं। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लड़के एक लड़के की बेरहमी से पिटाई करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह घटना मेरठ की है। मेरठ में एक मुस्लिम लड़का निशा नाम की एक लड़की को ब्लैकमेल कर रहा था। इसके साथ ही लड़की को उठाने और तेजाब फेंकने की धमकी दे रहा था। लड़की ने जब यह बातें अपने परिजनों को बताई, तो उसके भाइयों ने लड़के की पिटाई कर दी । 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो अगस्त 2022 में भोपाल में हुए आपसी विवाद की एक घटना का है। इस मामले में दोनों पक्ष एक ही समुदाय के हैं। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

ट्विटर यूजर ने 13 मार्च 2023 को वायरल वीडियो को शेयर किया है। यूजर ने कैप्शन में लिखा है, “दिलशाद पंचर पुत्र s /० नसीमुद्दीन, जिला मेरठ,UP अपने एकतरफा प्यार में निशा  जाट,  को  बार बार उठा लेने की धमकी दे रहा था, कभी तेजाब फेंकने की धमकी देता। जैसे ही लड़की ने अपने भाईयों को मामले से अवगत कराया लड़की के भाई और उसके  दोस्तों ने पंचर पुत्र को ही उठा लिया सीखो कुछ इनसे।”

पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल 

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर 4 नवंबर 2022 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, वायरल वीडियो अगस्त 2022 में भोपाल में हुई एक घटना की है। रिपोर्ट में हमें वायरल वीडियो अपलोड हुआ मिला। 

लाइव हिंदुस्तान में 4 नवंबर 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के बीच हुए आपसी विवाद का है। आपसी विवाद के चलते लड़कों के एक गुट ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था। इसके साथ ही पीड़ित को जान से मारने की धमकी भी दी थी। 

नईदुनिया और पत्रिका ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है। 

पड़ताल के दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ा एक ट्वीट मेरठ पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मिला। 13 मार्च 2023 को एक ट्वीट करते हुए मेरठ पुलिस ने वायरल दावे का खंडन करते हुए वीडियो को भोपाल में हुई घटना का बताया है।  

अधिक जानकारी के लिए हमने नईदुनिया न के चीफ क्राइम रिपोर्टर बृजेश ऋषिवर की मदद से भोपाल के डीसीपी भोपाल विजय खत्री से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। यह वीडियो भोपाल में हुई एक घटना का है। इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। दोनों ही पक्ष एक ही समुदाय के हैं। वीडियो अगस्त में छात्रों के बीच हुए आपसी विवाद की एक घटना का है, जो कि नवंबर में सामने आया था। पुलिस ने इस वीडियो के सामने आने के बाद जरूरी कार्रवाई की थी। इस घटना में जिन आरोपियों को पकड़ा गया था, वो नाबालिग थे। इसलिए उन्हें सुधार गृह भेजा गया था।”

पड़ताल के अंत  में हमने वायरल वीडियो को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर हिरेन लेहरू की प्रोफाइल की स्कैनिंग की। यूजर के ट्विटर पर 46 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर अगस्त 2017 से ट्विटर पर सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पिटाई के वीडियो को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो अगस्त 2022 में भोपाल में हुए आपसी विवाद की एक घटना का है। इस मामले में दोनों ही पक्ष एक ही समुदाय के हैं। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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