विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि बाबा बालकनाथ का वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि जनवरी 2023 का है। जनवरी में पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था। इसी का विरोध करने के लिए बालकनाथ थाने पहुंचे थे और उनकी बहस पुलिसकर्मियों से हो गई थी।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से ही बाबा बालकनाथ का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सुर्खियों में हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर बाबा बालकनाथ का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में बालकनाथ पुलिसकर्मियों से अनबन करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर हाल का बताते हुए दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद बीजेपी नेताओं ने पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी करनी शुरू कर दी है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि जनवरी 2023 का है। जनवरी में पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था। इसी का विरोध करने के लिए बालकनाथ थाने पहुंचे थे और उनकी बहस पुलिसकर्मियों से हो गई थी।
फेसबुक यूजर ‘एक के कपूर’ ने 4 दिसंबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “राजस्थान मे भो## वालों की दादागिरी शुरू. इंसान के पास जो होता नही ओर अचानक आ जाये तो हजम नही होता।”
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एक अन्य फेसबुक यूजर ने 8 दिसंबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “BJP PM From Alwar threatens DSP:BJP सांसद बाबा बालकनाथ ने थाने में DSP को दी धमकी।” #rajsthannews
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वायरल वीडियो पर द क्विंट का लोगो लगा हुआ है। ऐसे में वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने क्विंट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को खंगालना शुरू किया। हमें वायरल वीडियो 9 जनवरी 2023 को अपलोड हुआ मिला। मौजूद जानकारी के मुताबिक, “बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद बीजेपी सांसद महंत बालकनाथ योगी की पुलिसकर्मियों से बहस हो गई थी। उन्होंने गुस्से में आपा खोते हुए डीएसपी आनंद राव को वर्दी वाला गुंडा तक कह दिया।”
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से अन्य न्यूज रिपोर्ट को सर्च करना शुरू किया। हमें 8 जनवरी 2023 को नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार, “बीजेपी सांसद बालक नाथ की बहस अलवर जिले के पुलिसकर्मियों से हो गई। दरअसल वो अलवर जिले के बहरोड़ पुलिस की काम करने के तरीके से नाराज थे। बीजेपी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने पर वो अलवर जिले के पुलिस थाने में पहुंचे थे। उन्होंने पुलिस पर निर्दोष लोगों पर मुकदमा करने और उन्हे हिरासत में लेने के आरोप लगाए। यहां पर उनकी बहस बहरोड डीएसपी आनंद राव से हो गई। इस दौरान उन्होंने डीएसपी आनंद राव को वर्दी वाला सबसे बड़ा गुंडा करार दे दिया। इस घटना के समय विधायक के साथ भी धक्का-मुक्की हुई।”
अमर उजाला की वेबसाइट पर 8 जनवरी 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, “इस पूरे विवाद की शुरुआत 4 जनवरी 2023 को बहरोड़ की सरकारी कॉलेज में आयोजित छात्र संघ अध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह से शुरू हुई। कार्यक्रम में राजस्थान के बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और अलवर सांसद बालक नाथ ने अतिथियों के रूप में शिरकत की थी। इस कॉलेज के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहले भी अतिथियों को बुलाने को लेकर विवाद हुआ था।उस दौरान कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष ने अपने समर्थकों के साथ कुछ दिन अनशन पर बैठकर धरना दिया था। समझाइश के बाद बीजेपी नेताओं के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम करवाया था। उस कार्यक्रम में जैनपुरवास गांव से काफिले के साथ आपराधिक प्रवृति के युवक भी शामिल हुए। कॉलेज के कार्य समापन के एक-दो दिन बाद ही जैनपुरवास गांव की जसराम गैंग ने पुलिस कस्टडी में सरकारी अस्पताल में मेडिकल के लिए लाए गए बदमाश विक्रम उर्फ लादेन पर गोलियां बरसाकर मारने की कोशिश की थी। जिसमें लादेन तो बच गया, लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए आई दो महिला गोलियों की चपेट में आ गई थीं। उनके पैरों में गोली लगी थी। इसके बाद गोलीकांड में बहरोड़ पुलिस ने जिन तीन लोगों को हिरासत में लिया है,उनमें से दो लोग कांग्रेस नेता बस्तीराम यादव के समर्थक हैं। एक युवक सांसद बालकनाथ योगी का समर्थक है।”
अधिक जानकारी के लिए हमने बीजेपी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से संपर्क किया। उन्होंने दावे का खंडन करते हुए इसे गलत बताया है।
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के 1.3 हजार मित्र हैं। यूजर ने खुद को महाराष्ट्र का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि बाबा बालकनाथ का वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि जनवरी 2023 का है। जनवरी में पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था। इसी का विरोध करने के लिए बालकनाथ थाने पहुंचे थे और उनकी बहस पुलिसकर्मियों से हो गई थी।
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