Fact Check: बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन के खिलाफ भारत से नहीं भेजी गई सैन्य सहायता, वायरल वीडियो पुराना है

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भारत ने बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सैन्य सहायता नहीं भेजी है। वायरल वीडियो साल 2022 से इंटरनेट पर है। पुराने वीडियो को बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन से जोड़कर फर्जी दावों के साथ फैलाया जा रहा है।

Fact Check: बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन के खिलाफ भारत से नहीं भेजी गई सैन्य सहायता, वायरल वीडियो पुराना है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें भारतीय सेना की कई गाड़ियों को एक तरफ जाते देखा जा सकता है। वीडियो शेयर करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों से निपटने के लिए भारत से मदद मांगी थी और अब भारत ने अपनी सेना भेज दी है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भारत ने बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सैन्य सहायता नहीं भेजी है। वायरल वीडियो साल 2022 से इंटरनेट पर है। पुराने वीडियो को बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन से जोड़कर फर्जी दावों के साथ फैलाया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, “1971 की याद फिर ताजा हो गई। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री हसीना वाजिद ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए भारत से मदद मांगी. भारतीय सेना की एक कंपनी पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में प्रवेश कर रही है।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अपनी जांच शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले गूगल लेंस के जरिये वायरल वीडियो के कीफ़्रेम खोजे। सर्च करने पर हमें यह वीडियो 31 मई 2022 को एक इंस्टाग्राम हैंडल पर अपलोड हुआ मिला।

आगे सर्च करने पर हमें यह वीडियो 23 जून 2022 को ‘हम फौजी इस देश की धड़कन हैं’ नाम के फेसबुक पेज पर भी अपलोड हुआ मिला।

पड़ताल जारी रखते हुए हमने यह जानने की कोशिश की कि क्या वीडियो में दिख रही गाड़ियां भारतीय सेना की हैं। न्यूज़ सर्च किये जाने पर हमें बिजनेस स्टैंडर्ड का एक आर्टिकल मिला, जिसमें हूबहू वायरल वीडियो वाला वाहन देखा जा सकता है। यहां आर्टिकल में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘भारतीय सेना को रसद वाहनों की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी अशोक लेलैंड ने सोमवार को घोषणा की है कि उसे रक्षा वाहनों के लिए 800 करोड़ रुपये मूल्य के बड़े ऑर्डर मिले हैं।’

अब तक की जांच से यह साफ हो गया था कि वायरल वीडियो में दिख रही गाड़ियां भारतीय सेना की हैं, लेकिन यह वीडियो पुराना है। हमने वीडियो में बांग्लादेश को भारत की सैन्य मदद से जुड़े दावे के लिए न्यूज सर्च किया। सर्च करने पर हमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की एक एक्स पर एक पोस्ट मिली। यहां प्रेस रिलीज में दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 4500 से अधिक भारतीय छात्र बांग्लादेश से भारत लौट आए हैं। हाई कमीशन भारतीय नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही के लिए सुरक्षा व्यवस्था कर रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की 25 जुलाई की खबर के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने छात्रों के हो रहे विरोध प्रदर्शन के इस मामले को बांग्लादेश का ‘आंतरिक’ मामला बताया है।

वायरल वीडियो में किये जा रहे दावे की पुष्टि करने के लिए हमने  दैनिक जागरण के अंतरराष्ट्रीय मामलों को कवर करने वाले वरिष्ठ संवाददाता जेपी रंजन से संपर्क किया और उनके साथ वायरल पोस्ट साझा की। उन्होंने हमसे पुष्टि की कि भारत ने बांग्लादेशी छात्रों के खिलाफ ऐसी कोई सेना नहीं भेजी है, यह दावा पूरी तरह से फर्जी है।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर पाकिस्तान का है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भारत ने बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सैन्य सहायता नहीं भेजी है। वायरल वीडियो साल 2022 से इंटरनेट पर है। पुराने वीडियो को बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन से जोड़कर फर्जी दावों के साथ फैलाया जा रहा है।

False
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