Fact Check : शामली के मुस्लिम सोशल वर्कर की पुरानी तस्‍वीर बेबुनियाद दावे के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। कांवड़ यात्रा के दौरान 500-500 रुपये के नोट बांटने की बात पूरी तरह झूठी साबित हुई।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक मुस्लिम शख्‍स को एक कांवड़ यात्री को कुछ देते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स इस तस्‍वीर को झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी और बेबुनियाद साबित हुई। तस्‍वीर शामली के समाज सेवक डॉक्‍टर आबिद सैफी की है। इसमें वे कांवड़ यात्री को बैंडेड देते हुए देखे जा सकते हैं। यह तस्‍वीर 2006 की है। पांच सौ रुपये के नोट देने का दावा झूठा निकला।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर अमित बालियान ने 26 जुलाई को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा : ‘गर्व की बात है। कावड़ यात्रा के दौरान मुस्लिम 500-500 रूपए के नोट बाट रहे थे इस हिंदू भाई ने साफ मना कर दिया 500 रूपए का नोट लेने से और बोला की तुम हमारे हिंदू भाइयों का गला काट रहे हो ,उनकी पीट ने खंजर घोप रहे हो आपसे रुपए तो दूर फ्री में सोना भी दोगे तो भी नहीं लूंगा।’

https://twitter.com/AMITBal82710286/status/1551968201268817920

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को यहां हूबहू लिखा गया है। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की शुरुआत गूगल रिवर्स इमेज टूल से की। सबसे पहले इस टूल में वायरल फोटो को अपलोड करके सर्च किया। माही मार्वल डिजाइन नाम के एक पेज ने 29 अप्रैल 2018 को Lets learn something नाम के पेज की पोस्‍ट को शेयर किया था। इस पोस्‍ट में वायरल तस्‍वीर के अलावा भी कई तस्‍वीरें थीं। इन तस्‍वीरों में कांवड़ियों को फल और दवाइयां देते हुए देखा जा सकता है।

इन तस्‍वीरों में से एक में हमें सैफी समाज शामली लिखा हुआ नजर आया। बैनर में डॉक्‍टर आबिद का नाम मेंशन था। इस क्‍लू के आधार पर हमने गूगल सर्च किया। खोज के दौरान पता चला कि यूपी के शामली के डॉक्‍टर आबिद सैफी समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

सर्च के दौरान हमें पता चला कि शामली के समाजसेवी डॉक्‍टर आबिद सैफी सावन में कांवड़ यात्रियों के लिए कैंप लगाते हैं। इसमें कांवड़ियों के ठहरने से लेकर दवाई-मरहमपट्टी और खाने-पीने की पूरी व्यवस्‍था की जाती है। पूरी खबर यहां पढ़ें।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए डॉक्‍टर आबिद सैफी से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल फोटो वर्ष 2016 के दौरान की हैं, जब उनके द्वारा शिवभक्त कांवड़ियों को बैंडेड वितरित की गई थी। साथ ही फल भी बांटे गए थे। नोट बांटने की बात एकदम झूठी है। तस्‍वीर में कांवड़ यात्री आभार जता रहा था।

जांच के अंत में फर्जी व सांप्रदायिक पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर अमित बालियान की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है। यूपी के मेरठ के इस यूजर के अकाउंट पर हमें कई पोस्‍ट मिलीं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। कांवड़ यात्रा के दौरान 500-500 रुपये के नोट बांटने की बात पूरी तरह झूठी साबित हुई।

False
Symbols that define nature of fake news
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