Fact Check : रोहिंग्‍या शरणार्थी कैंप में लगी आग की पुरानी तस्वीर को गलत दावे के साथ किया जा रहा है शेयर

विश्‍वास टीम की पड़ताल में रोहिंग्‍या के नाम पर वायरल हो रही पोस्‍ट में पत्‍नी और बच्‍चों को लेकर किया गया दावा फर्जी निकला।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक व्यक्ति को एक टूटी हुई चारपाई पर बैठे देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर में इस व्यक्ति के आसपास काफी सारे बच्चे हैं। इस व्यक्ति के साथ में एक स्मार्टफ़ोन भी है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह व्यक्ति एक रोहिंग्या रिफ्यूजी है और इसके पास खाने और पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं, लेकिन तीन बीवियां, 8 बच्‍चे और एक स्मार्टफोन हैं। विश्‍वास टीम की पड़ताल में यह पोस्‍ट फर्जी निकली। इस तस्वीर को खींचने वाले फोटोजर्नलिस्ट ने बताया कि वायरल दावा गलत है और तस्‍वीर में दिख रहे बच्चे इस व्यक्ति के नहीं थे और न ही उसके हाथ वाला मोबाइल फ़ोन उसका था।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक यूजर Apna Tarun Chugh ने एक तस्‍वीर को अपलोड किया, जिसके ऊपर लिखा था ”ये एक रोहिंग्या परिवार है। दिल्ली की एक सड़क पर बेसहारा। साथ में 8 बच्चे, 3 बीवियां जिसमे से 2 गर्भवती भी हैं। हाथ में सैमसंग C7 pro मोबाइल है जिसकी कीमत मात्र 29,000 ₹ है। विपक्ष इनके हालातों को देख दुखी है इसलिए आप समय पर टैक्स भरते रहें।”

वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखा जा सकता है।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले वायरल हो रही तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें यह तस्‍वीर सबसे पहली बार news18.com की एक खबर में अपलोडेड मिली, जिसे 15 अप्रैल 2018 को फाइल किया गया था। तस्‍वीर के साथ दी गयी जानकारी के अनुसार, इस फोटो को देबायन रॉय ने क्लिक किया था। खबर दिल्ली की एक स्लम बस्ती में आग लगने को लेकर थी। खबर के अनुसार, 15 अप्रैल 2018 को दिल्‍ली के मदनपुर खादर में रोहिंग्‍या शरणार्थी कैंप में अचानक से आग लगने से कई लोग झुलस गए थे। उसमें आदमियों से लेकर औरतें और बच्‍चे तक शामिल थे। खबर में कहीं भी वायरल पोस्‍ट के दावे से जुड़ी कोई भी बात नहीं मिली।

इसके बाद हमने इस तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर देबायन रॉय से ट्विटर पर संपर्क साधा। देबायन रॉय ने जवाब में इस पोस्ट को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि यह जानकारी बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि तस्वीर उन्होंने ही खींची थी जब वे 2018 में दिल्ली के मदनपुर खादर में स्लम बस्ती में लगी आग कवर करने गए थे। उन्होंने बताया कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति एक रोहिंग्या था। उसके 3 बीवी और 8 बच्चे होने का दावा गलत है। यहाँ तक कि उसके हाथ में लगा फ़ोन भी उसका नहीं, बल्कि उनकी मदद के लिए आये एक वॉलन्टियर का था। “

हमें इस पर देबायन रॉय का एक पुराना ट्वीट भी मिला, जिसमें उन्होंने इस दावे को फर्जी बताया था।

कीवर्ड्स के साथ ढूंढ़ने पर हमें पता चला कि 2018 अप्रैल में रोहिंग्‍या कैंप में अचानक आग लगने से 200 से ज्‍यादा झुग्गियां जलकर राख गई थीं। उस वक्‍त बहुत-से मीडिया ने इसे कवर किया था।

विश्वास न्यूज़ ने एक बार पहले भी इसी तस्वीर से जुड़े दावे को फैक्ट चेक किया था। उसे यहाँ पढ़ा जा सकता है।

अंत में हमने फेक पोस्‍ट वायरल करने वाले फेसबुक यूजर Apna Tarun Chugh के प्रोफाइल की सोशल स्‍कैनिंग की। इस पेज के 1.1 मिलियन फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास टीम की पड़ताल में रोहिंग्‍या के नाम पर वायरल हो रही पोस्‍ट में पत्‍नी और बच्‍चों को लेकर किया गया दावा फर्जी निकला।

False
Symbols that define nature of fake news
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