Fact Check: दिल्ली में गैंग-रेप के विरोध में 2012-13 में हुए प्रदर्शनों की पुरानी तस्वीरें मणिपुर की बताकर वायरल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीरें साल 2012-13 में दिल्ली में हुए प्रदर्शन की हैं। इनका मणिपुर हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर प्रदर्शन की कुछ तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं। तस्वीरों को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीरें मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ हुई क्रूरता के खिलाफ हुए प्रदर्शन की हैं। इनको शेयर कर यूजर्स केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।  

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीरें साल 2012-13 में दिल्ली में हुए प्रदर्शन की हैं, जब राष्ट्रीय राजधानी में हुए रेप के विरोध में पूरा देश उबल पड़ा था। 

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर shaheen._baghr ने 22 जुलाई को 5 तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, अनुवादित “मणिपुर में कुकी महिलाओं के साथ क्रूर बलात्कार के विरोध में सैकड़ों भारतीय सड़कों पर उतर आए और सरकार से कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि सरकार 2 महीने से क्यों सो रही थी और बलात्कार और हत्याओं को रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं किया।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने वायरल तस्वीरों को एक-एक करके  जांचा।

पहली तस्वीर

हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। हमें वायरल तस्वीर न्यू यॉर्क टाइम्स की 22 दिसम्बर 2012 की एक खबर में मिली। खबर के अनुसार, “23 वर्षीय मेडिकल छात्रा के साथ बलात्कार के बाद न्याय और बेहतर पुलिस व्यवस्था की मांग करने के लिए शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारी नई दिल्ली में जमा हुए।”

दूसरी तस्वीर

दूसरे फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च करने पर हमें यह तस्वीर न्यूज़ वेबसाइट भास्कर डॉट कॉम की 2020 की एक खबर में मिली। खबर 2012 में हुए रेप के बारे में थी। तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा था, ‘2012 रेप केस की पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए युवाओं ने खाए पुलिस के डंडे और सर्दी के दिनों में झेला पानी का वार।”

तीसरी तस्वीर

तीसरी तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर ढूंढ़ने पर हमें यह फोटो 8 जनवरी 2020 को टाइम्स नाउ की वेबसाइट पर एक गैलरी में मिली।  साथ में कैप्शन लिखा था, “(फोटो क्रेडिट: बीसीसीएल) 16 दिसंबर, 2012 को पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और यातना ने देश भर में हंगामा खड़ा कर दिया था। बलात्कारियों को फांसी देने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के सामने जमा हो गए।”

चौथी तस्वीर

गूगल लेंस से सर्च करने पर हमें यह तस्वीर द गार्डियन डॉट कॉम की 3 जनवरी 2013 की एक खबर में मिली। खबर दिल्ली में 2012 में हुए रेप के बाद हो रहे प्रदर्शनों के बारे में थी। फोटो के साथ कैप्शन लिखा था, “दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी पर पुलिस ने पानी की बौछार की। फ़ोटोग्राफ़: डेनियल बेरेहुलक।” 

पांचवीं तस्वीर

गूगल रिवर्स इमेज से सर्च करने पर  हमें यह तस्वीर रॉयटर्स डॉट कॉम पर मिली। 22 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित खबर में इस्तेमाल इस तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा था, “22 दिसंबर, 2012 को नई दिल्ली में एक विरोध रैली के दौरान राष्ट्रपति भवन के पास प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें कीं।”

अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के दैनिक जागरण के रिपोर्टर रजनीश पांडेय से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि तस्वीरें दिल्ली की हैं और पुरानी हैं। 

पड़ताल के अंत में हमने इस तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की जांच की। जांच में पता चला कि फेसबुक यूजर shaheen._bagh के 1000 से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीरें साल 2012-13 में दिल्ली में हुए प्रदर्शन की हैं। इनका मणिपुर हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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