Fact Check: उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की पुरानी तस्वीर भ्रामक दावे से वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक पाया। वायरल तस्वीर साल 2020 के दौरान उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में हुए दीक्षांत समारोह के आयोजन के दौरान की है। छात्रों-छात्राओं ने दीक्षांत समारोह के लिए भगवा सहित अलग-अलग रंग के स्कार्फ भी पहने थे। तस्वीर हाल -फिलहाल की नहीं है।

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को लेकर युवक-युवतियों की एक तस्वीर शेयर की जा रही है। तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी ने इस साल दीक्षांत समारोह में पारंपरिक काले लिबास की जगह सभी स्टूडेंट्स को भगवा दुपट्टा पहनाकर डिग्रियां दी है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ है। वायरल तस्वीर साल 2020 में उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में हुए दीक्षांत समारोह के आयोजन के दौरान की है। इस दीक्षांत समारोह में छात्रों-छात्राओं के लिए सिर्फ भगवा रंग का ड्रेस कोड नहीं था, बल्कि छात्रों-छात्राओं ने अलग-अलग रंग के स्कार्फ भी पहने हुए थे। तस्वीर को अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल?

फेसबुक पेज ‘ मैं ब्राह्मण हूँ’ ने 8 अप्रैल 2023 को वायरल तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा है, “जय जय श्रीराम

एक नये भारत का उदय हो रहा है मित्रों, उत्तरांचल यूनिवर्सिटी ( उत्तराखंड ) में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा को यूनिवर्सिटी ने खत्म करते हुए दीक्षांत समारोह में इस वर्ष काले कोट और काले टोप की जगह सभी स्टूडेंट को भगवा दुपट्टा पहनाकर डिग्रियां दी गई….”

यहां इस पोस्ट की बातों को ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल लेंस का इस्तेमाल किया। इस दौरान हमें कई वेबसाइट में वायरल तस्वीर पुरानी तारीख में अपलोड मिली , लेकिन ड्रेस कोड के संबंध में यहां कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यहां वायरल तस्वीर को उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह के आयोजन का बताया गया है। वेबसाइट को यहां देख सकते हैं। कई फेसबुक पोस्ट में भी वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती तस्वीर पुरानी तारीख में शेयर की गई थी।

सर्च के दौरान हमें उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह के आयोजन की कई सारी तस्वीरें उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के वेरिफाइड फेसबुक पेज पर 3 मार्च 2020 को अपलोड मिली। हमने सारी तस्वीरों को गौर से देखा। यहां हमें ऐसी भी कई तस्वीरें मिलीं, जिनमें युवक और युवतियां भगवा के अलावा दूसरे रंगों (जैसे नीले रंग) के गमछे भी पहने हुए हैं। तस्वीरों को यहां नीचे देखा जा सकता है।

इन्हीं तस्वीरों में हमें वायरल तस्वीर में नज़र आ रही युवती की भी डिग्री लेते हुए एक तस्वीर मिली। दोनों तस्वीरों को आपस में साथ रखने पर यहां नीचे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि सेल्फी लेती युवती और डिग्री लेती युवती, दोनों एक ही हैं।

विश्वास न्यूज की अबतक की पड़ताल से ये बात साफ हो चुकी थी कि वायरल तस्वीर साल 2020 के दीक्षांत समारोह की है। इस बारे में जानकारी के लिए हमने देहरादून दैनिक जागरण के एजुकेशन कवर करने वाले सीनियर सब एडिटर अशोक केडियाल से संपर्क किया। हमने वायरल तस्वीर को वॉट्सऐप के जरिए उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। तस्वीर उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में साल 2020 में हुए पहले दीक्षांत समारोह के दौरान की है। जिसे अब गलत दावों के साथ लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। पहले भी यह तस्वीर कई बार लोग गलत दावे के साथ कर चुके हैं।

पहले भी ये तस्वीर कई बार समान दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। तब विश्वास न्यूज़ ने इसकी पड़ताल करके सच्चाई सामने रखी थी। उस समय हमने उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के प्रिंसिंपल डॉ. राजेश बहुगुणा से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया था, “वायरल दावा गलत है। तस्वीर उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में दो साल पहले हुए दीक्षांत समारोह के दौरान की है। ” आप हमारी पहले की रिपोर्ट को यहां पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के अंत में हमने दावे को शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘मैं ब्राह्मण हूँ’ की स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि फेसबुक पेज के 168.4K मेंबर हैं।  

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक पाया। वायरल तस्वीर साल 2020 के दौरान उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में हुए दीक्षांत समारोह के आयोजन के दौरान की है। छात्रों-छात्राओं ने दीक्षांत समारोह के लिए भगवा सहित अलग-अलग रंग के स्कार्फ भी पहने थे। तस्वीर हाल -फिलहाल की नहीं है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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