विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। रवींद्रनाथ टैगोर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा की यह तस्वीर 2023 की है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। कोटा सिस्टम के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन चल रहे हैं। इन हमलों में हिन्दुओं को भी निशाना बनाये जाने की खबरें सामने आयीं हैं। अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा को जमीन पर पड़े देखा जा सकता है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि तस्वीर हालिया बांग्लादेश हिंसा से सम्बंधित है, जहां रवींद्रनाथ टैगोर के हिन्दू होने के कारण उनकी प्रतिमा को तोड़ दिया गया।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की और यह दावा भ्रामक साबित हुआ। यह तस्वीर 2023 की है, जब ढाका विश्वविद्यालय में मौजूद टैगोर की इस प्रतिमा को अज्ञात लोगों द्वारा तोड़ दिया गया था।
फेसबुक यूजर Adesh Kumar Tiwari ने 7 अगस्त 2024 को टैगोर की प्रतिमा के टूटे हुए धड़ की तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा, “आज 7 अगस्त रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि : दुनिया में रवींद्रनाथ टैगोर अकेले एसे कवि हैं, जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान लिखे हैं, भारत का “जन गण मन” और बांग्लादेश का ‘आमार सोनार बांग्ला’ आज के दिन बांग्लादेश के लोगों ने उन्हें कैसे याद किया आप उनकी प्रतिमा की ये हालत देखकर ही समझ सकते हो। पुण्य आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।”
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर के बारे में जानने के लिए सबसे पहले गूगल लेंस टूल का इस्तेमाल किया। यह तस्वीर हमें फरवरी 2023 की कई ख़बरों में मिली।
18 फरवरी 2023 को पुणे मिरर में छपी खबर के अनुसार, “ढाका विश्वविद्यालय के परिसर से हटाई गई नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति का खंडित सिर कुछ राहगीरों को ‘अमर एकुशे’ पुस्तक मेले के परिसर में मिला है। यह बात ढाका विश्वविद्यालय के बांग्लादेश छात्र संघ के नेता शिमुल कुंभकार ने शनिवार को बताई। गुरुवार को ढाका विश्वविद्यालय (डीयू) के अधिकारियों ने कथित तौर पर टैगोर की मूर्ति हटा दी थी, जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों ने राजू मेमोरियल मूर्ति के बगल में बनाया था।”
इस खंडित प्रतिमा को लेकर 2023 में छपी और खबरें यहाँ और यहाँ पढ़ी जा सकती हैं।
हमने इस विषय में बांग्लादेश के एक पत्रकार शिराजुज्जमन से संपर्क किया। उन्होंने बताया, “ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने फरवरी 2023 में पुस्तक सेंसरशिप के विरोध में यूनिवर्सिटी में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापित की थी, जिसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अनधिकृत स्थान और सौंदर्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए हटा दिया था। बाद में इस मूर्ति का खंडित सिर ‘अमर एकुशे’ पुस्तक मेले में पाया गया था। तस्वीर वहीं की है।”
बांग्लादेश में चल रही हिंसा पर ज्यादा जानकारी इन ख़बरों में पढ़ी जा सकती है। यहाँ और यहाँ।
पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला कि Adesh Kumar Tiwari नाम के इस यूजर को 2 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर ग्वालियर का रहने वाला है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। रवींद्रनाथ टैगोर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा की यह तस्वीर 2023 की है।
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