FACT CHECK: महाराष्ट्र में नहीं पढ़ाए जा रहे हैं ‘दहेज के फायदे’
- By: Pallavi Mishra
- Published: Jul 17, 2019 at 07:43 PM
- Updated: Jul 18, 2019 at 11:45 AM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक डॉक्युमेंट देखा जा सकता है। इस पेज पर लिखा है ” दहेज के फायदे।” इस डॉक्युमेंट में लिखा है कि दहेज़ के क्या फायदे हैं। पोस्ट में दावा किया गया है कि यह महाराष्ट्र बोर्ड के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह डॉक्युमेंट असल में बेंगलुरु के एक कॉलेज के पाठ्यक्रम का हिस्सा था।
CLAIM
वायरल फोटो में एक डॉक्युमेंट देखा जा सकता है। इस पेज पर लिखा है ” दहेज के फायदे।” वायरल डॉक्युमेंट्स में बताया गया है कि लोग दहेज देना क्यों पसंद करते हैं। इस पोस्ट के डिस्क्रिप्शन में लिखा है: “#महाराष्ट्र सरकार की #पाठ्यक्रम में #दहेज पर पाठ। इसमें बताया गया है कि दहेज प्रथा जारी रखने वाले दहेज के लिए क्या तर्क देते हैं।
● कुरूप कन्या जो अविवाहित रह जाए उसका विवाह दहेज के कारण सम्भव हो जाता है।
●सुंदर, आकर्षक और कभी-कभी जो विवाह के इच्छुक न हो, ऐसे लड़के को आकर्षित करने का उपयोगी साधन दहेज है।
● नव दम्पति के लिए दहेज उपयोगी है, इससे वे अपना जीवन शुरू करते हैं, खुद का कोई काम-धंधा शुरू कर सकते हैं।
● दहेज के कारण योग्य किन्तु गरीब लड़के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
● दहेज लाने वाली लड़की का ससुराल में मान-सम्मान बढ़ जाता है। पति ज्यादा प्यार करता है । जो लड़की दहेज नहीं ला पाती उसे इन सब से वंचित रहना पड़ता है।”
FACT CHECK
इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस पोस्ट में शेयर किये गए पेज को ठीक से पढ़ा। इस पेज में लिखा है । हालांकि, दहेज प्रथा एक गलत प्रथा है मगर इसे समर्थन देने वाले भी बहुत-से लोग हैं। इन लोगों के अनुसार दहेज़ के फायदे निम्नलिखित हैं।” इसके नीचे क्लेम में बताये गए प्वाइंट्स लिखे हैं।
हमने इस पेज में लिखे कीवर्ड्स को इस फोटो ने साथ गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। इस सर्च में हमारे हाथ टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 2017 की एक खबर लगी जिसमें बताया गया था कि यह असल में बेंगलुरु के एक कॉलेज सेंट जोसफ के सोशियोलॉजी सब्जेक्ट के एक चैप्टर का है।
हमने इस सिलसिले में महारष्ट्र स्टेट बोर्ड में भी बात की जहाँ हमें बताया गया कि यह पेज उनके सिलेबस का नहीं है।
इस पोस्ट को Anil Dadwal नाम के एक फेसबुक यूजर ने शेयर किया था। इनके कुल 16,004 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह डॉक्युमेंट असल में बेंगलुरु के एक कॉलेज के पाठ्यक्रम का हिस्सा था जिसे अब हटा दिया गया है। इसका महाराष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है।
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- Claimed By : Anil Dadwal
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