Fact Check: बेटी से पिता के निकाह करने की पुरानी खबर हालिया बताकर की जा रही है वायरल

विश्वास न्यूज ने जांच में पाया कि वायरल स्क्रीनशॉट में बताई गई खबर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2007 की है, जिसे कुछ लोग हालिया बताकर भ्रामक दावे से शेयर कर रहे हैं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग वायरल हो रही है, जिसमें एक आदमी के साथ दो महिलाओं को देखा जा सकता है। कुछ यूजर्स इसे हालिया बताकर दावा कर रहे हैं कि जलपाईगुड़ी में एक मुस्लिम पिता ने अपनी सगी बेटी के साथ निकाह किया है।

विश्वास न्यूज ने जांच में वायरल दावे को भ्रामक पाया है। असल में वायरल की जा रही खबर साल 2007 की पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी की है। जिसे अब हालिया बताकर शेयर किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

इंस्टाग्राम यूजर ‘sanatani_ladka__28’ ने 29 जून 2024 को वायरल अखबार की कटिंग (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है। जिसमें लिखा हुआ है,”मुस्लिम पिता ने सगी बेटी से किया निकाह, बेटी गर्भवती’

फेसबुक यूजर Monu Sahni ने भी वायरल पोस्ट को शेयर किया है। 2 जुलाई को पोस्ट शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है,”यह है इस्लाम की खूबसूरती”

पड़ताल

वायरल पोस्ट के बारे में जानने के लिए हमने संबंधित कीवर्ड से सर्च किया। हमें वायरल खबर సక్సి నాథ్ చౌదరి नाम के फेसबुक यूजर द्वारा शेयर की हुई मिली। पोस्ट को 19 नवंबर 2007 को किया गया है। जिससे यह बात तो साफ़ होती है कि वायरल मामला हालिया नहीं, बल्कि पुराना है।

वायरल पोस्ट से जुड़ी खबर हमें नवभारत टाइम्स पर मिली। 20 नवंबर 2007 को प्रकाशित खबर में बताया गया, यह मामला पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले का है, जहां अफजुद्दीन अली ने अपनी सगी बेटी से निकाह किया था। जब लड़की गर्भवती हुई, तब गांव वालों को इसका पता चला और इसे लेकर तनाव पैदा हो गया था। पुलिस ने माहौल बिगड़ने के डर से अफज़ुद्दीन अली, उसकी पत्नी सकीना और 15 साल की बेटी को गिरफ्तार भी कर लिया था।”

सर्च के दौरान वायरल दावे से जुड़ी खबर कई अन्य न्यूज वेबसाइट पर भी मिली।

पहले भी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उस समय हमने पुष्टि के लिए बीबीसी रिपोर्टर सुबीर भौमिक से संपर्क किया था। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया था कि यह पुरानी रिपोर्ट है और उन्होंने इस मामले को कवर किया था।

फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

अंत में हमने पोस्ट को शेयर करने वाले इंस्टाग्राम यूजर को स्कैन किया। पता चला कि इंस्टाग्राम पर यूजर को 2 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर एक ख़ास विचारधारा से प्रभावित है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने जांच में पाया कि वायरल स्क्रीनशॉट में बताई गई खबर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2007 की है, जिसे कुछ लोग हालिया बताकर भ्रामक दावे से शेयर कर रहे हैं।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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