Fact Check : पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र को दिखाने के लिए यूज की गई पुरानी तस्‍वीरें

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी के कार्यकाल में बनारस की स्थिति कितनी बुरी हो गई है। जबकि दूसरी तस्‍वीरों के जरिए कांग्रेस के 60 साल के बारे में बताया गया है। विश्‍वास टीम ने जब इस पोस्‍ट की पड़ताल की तो पता चला कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के नाम पर पुरानी तस्‍वीरों का यूज किया गया है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

युवा देश (@YuvaDesh) नाम के फेसबुक पेज पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र और राहुल गांधी के अमेठी की तस्‍वीरों को पोस्‍ट करते हुए प्रधानमंत्री के कार्यकाल पर निशाना साधा गया है। इस पोस्‍ट को अब तक 171 लोग शेयर कर चुके हैं। जबकि 253 लोगों ने इस पर कमेंट किया है।

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने सबसे पहले वायरल पोस्‍ट में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नाम पर इस्‍तेमाल की गईं दोनों तस्‍वीरों को क्रॉप किया। इसके बाद गंगा घाट की तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। कई पेजों को स्‍कैन करने के बाद हमें वेबसाइट पर घाट की वही तस्‍वीर मिली, जो वायरल पोस्‍ट में यूज की गई है। गूगल पर पुराने पेजों को खंगालने के बाद हमें shutterstock.com पर एक वीडियो मिला। वायरल पोस्‍ट में बनारस के नाम पर जिस तस्‍वीर को यूज किया गया है, वह यहीं से लिया गया है। ओरिजनल वीडियो 20 फरवरी 2015 को अपलोड किया गया है। यानि तस्‍वीर करीब चार साल पुरानी है।

अब बारी थी कि वाराणसी के नाम पर ही वायरल हो रही दूसरी तस्‍वीर के बारे में पता लगाने की। वायरल तस्‍वीर में एक टूटी हुई सड़क नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि यह सड़क मोदी के वाराणसी से संसद बनने के बाद की है। गूगल क्रॉप में इस तस्‍वीर को सर्च करने से हमें Jagran.com की एक खबर मिली। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

यह खबर 1 अक्‍टूबर 2012 को प्रकाशित की गई थी। जबकि मोदी 2014 से वाराणसी के सांसद हैं। यानी दूसरी वायरल तस्‍वीर नरेंद्र मोदी के शासनकाल से पहले की है।

इसके बाद हमें यह जानना था कि अमेठी के नाम पर जो तस्‍वीरें वायरल हो रही हैं, वह कहां की हैं? गूगल रिवर्स इमेज से हमें पता चला कि पहली तस्‍वीर अमेठी के संजय गांधी हॉस्पिटल की है। इसका निर्माण 1982 में शुरू किया गया था।

जबकि दूसरी तस्‍वीर अमेठी के ही राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी की है। इसका निर्माण 2008 में हुआ था।

अंत में हमने वायरल पोस्‍ट करने वाले फेसबुक पेज युवा देश की सोशल स्‍कैनिंग की। Stalkscan की मदद से हमें पता चला कि इस पेज को 18 लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इस पेज को 29 अप्रैल 2012 में बनाया गया। यहां अधिकांश पोस्‍ट एक खास विचारधारा के खिलाफ ही होती है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की जांच में पता चला कि वाराणसी की पहली तस्‍वीर 20 फरवरी 2015 की है। जबकि दूसरी तस्‍वीर 2014 के पहले की है।

पूरा सच जानें…

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Symbols that define nature of fake news
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