तीसरी तिमाही के जीडीपी ग्रोथ रेट के आंकड़ों के सामने के बाद आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने इसके ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ के करीब जाने का दावा किया था, जिसे एसबीआई ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में खारिज कर दिया था। राजन ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिसमें उन्होंने यह कहा हो कि भारत में श्रीलंका जैसै हालात बन रहे हैं, इसलिए लोगों को अपने पैसे बचाकर रखने चाहिए।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़ों के सामने आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ दिनों पहले भारतीय अर्थव्यवस्था के ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ (‘हिंदू वृद्धि दर’) के करीब पहुंचने की आशंका जताई थी। इसी संदर्भ में सोशल मीडिया पर उनके नाम से एक बयान वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत के हालात श्रीलंका जैसे बनते दिख रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल हो रहा बयान मनगढ़ंत और बेतुका है। भारतीय अर्थव्यवस्था के तीसरी तिमाही के आंकड़ों के सामने आने के बाद रघुराम राजन ने एक न्यूज एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि जीडीपी वृ्द्धि के आंकड़ें इसके खतरनाक रूप से ‘हिंदू वृद्धि दर’ के बेहद करीब जाने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि भारत में श्रीलंका जैसी स्थिति के आसार बन रहे हैं।
गौरतलब है कि श्रीलंका के सॉवरेन डिफॉल्ट के बाद इस तरह के दावे वायरल हुए थे कि भारत भी तेजी से समान आर्थिक संकट की तरफ बढ़ रहा है। विश्वास न्यूज ने अपने In-Depth में आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण कर बताया था कि आखिर क्यों भारत में श्रीलंका जैसे हालात बनने के दावे निराधार हैं। विश्वास न्यूज की इस रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
सोशल मीडिया यूजर ‘चौधरी तेजवीर सिंह अलुना’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “लोगों को पैसे बचाकर रखना चाहिए हालात श्री लंका वाले बन रहे हैं।- रघुराम राजन”
कई अन्य यूजर्स ने रघुराम राजन के नाम से इस बयान को समान दावे के साथ शेयर किया है।
कुछ दिनों पहले रघुराम राजन ने न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को इंटरव्यू दिया था। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में तिमाही आधार पर पर आने वाली गिरावट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि जीडीपी वृद्धि के आंकड़ें इसके खतरनाक रूप से ‘हिंदू वृद्धि दर’ के बेहद करीब पहुंच जाने का संकेत दे रहे हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई को ईमेल पर दिए गए इस इंटरव्यू को रघुराम राजन ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल से भी साझा किया है।
इंटरव्यू के दौरान उनसे कुल आठ सवाल पूछे गए थे और इनमें से किसी भी सवाल के जवाब के दौरान उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि भारत में श्रीलंका जैसे हालात बन रहे हैं, इसलिए लोगों को अपने पैसे बचा कर रखने चाहिए। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने निजी निवेश में गिरावट, उच्च ब्याज दरें और धीमी पड़ती वैश्विक वृद्धि दर का हवाला देते हुए मौजूदा वृद्धि दर को ‘हिंदू वृद्धि दर’ के करीब पहुंचने का दावा किया था।
हालांकि, उनके इस दावे को एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में खारिज कर दिया था। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के मुताबिक, तिमाही आंकड़ों के आधार पर जीडीपी वृद्धि को लेकर व्याख्या करना भ्रम फैलाने की कोशिश जैसा है। रिपोर्ट ने रघुराम राजन की व्याख्या को ‘पक्षपातपूर्ण, अपरिपक्व और बिना सोचा समझा’ बताया था।
गौरतलब है कि ‘हिंदू वृद्धि दर’ शब्दावली का इस्तेमाल 1950-80 के दशक में भारत की 3.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर के लिए किया गया था। भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्णा ने सबसे पहले 1978 में ‘हिंदू वृद्धि दर’ शब्दावली का इस्तेमाल किया था।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि रघुराम राजन के नाम से भारत में श्रीलंका जैसे आर्थिक हालात बनने के दावे के साथ वायरल हो रहा बयान मनगढ़ंत है। अतिरिक्त पुष्टि के लिए हमने बिजनस स्टैंडर्ड हिंदी के डिप्टी एडिटर नीलकमल सुंदरम से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले राजन ने भारतीय वृद्धि दर के ‘हिंदू वृद्धि दर’ के करीब पहुंचने का बयान दिया था, जिसे एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट खारिज कर चुकी है।
न्यूज सर्च में हमें ऐसी कई पुरानी रिपोर्ट्स भी मिली, जिसमें राजन ने श्रीलंका में गंभीर कर्ज संकट के बीच उन आशंकाओं को खारिज किया था, जिसमें कहा जा रहा था कि भारत भी श्रीलंका के रास्ते पर है।
वायरल पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब छह हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: तीसरी तिमाही के जीडीपी ग्रोथ रेट के आंकड़ों के सामने के बाद आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने इसके ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ के करीब जाने का दावा किया था, जिसे एसबीआई ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में खारिज कर दिया था। राजन ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिसमें उन्होंने यह कहा हो कि भारत में श्रीलंका जैसै हालात बन रहे हैं, इसलिए लोगों को अपने पैसे बचाकर रखने चाहिए।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।