Fact Check: रेप के सभी दोषियों को फांसी देने का अध्यादेश पास होने का वायरल दावा झूठा

विश्वास न्यूज की पड़ताल में सभी रेपिस्ट्स को फांसी देने का कानून बनने का दावा झूठा निकला है। सभी रेपिस्ट्स को फांसी देने से जुड़ा ऐसा कोई अध्यादेश राष्ट्रपति ने पास नहीं किया है। एक्सपर्ट्स और मौजूदा कानून के मुताबिक, रेप के रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों या 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में ही मौत की सजा का प्रावधान है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने सभी रेपिस्ट को फांसी देने का अध्यादेश पास कर दिया है। दावे के मुताबिक, राष्ट्रपति ने भी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। सभी रेपिस्ट्स को फांसी देने से जुड़ा ऐसा कोई अध्यादेश पास नहीं किया गया है। एक्सपर्ट्स और मौजूदा कानून के मुताबिक, रेप के रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों या 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में ही मौत की सजा का प्रावधान है।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। कीवर्ड्स से खोजने पर हमें यही दावा फेसबुक पर भी वायरल मिला। फेसबुक यूजर विवेक कैलाश नाथ यादव ने 20 जून 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तस्वीर के साथ इस वायरल दावे को पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘जिसका इंतज़ार था वही मोदी सरकार ने दिया, अब हर बलातकारी को मिलेगी फांसी, राष्ट्रपति ने अध्यादेश को दी मंजूरी।’ इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले गूगल पर ओपन सर्च के माध्यम से इस वायरल दावे की पड़ताल की। हमने जरूरी कीवर्ड्स की मदद से यह जानना चाहा कि क्या हाल-फिलहाल राष्ट्रपति ने ऐसे किसी अध्यादेश को मंजूरी दी है। हमें हालिया ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस बात की पुष्टि करती हो कि भारत में सभी रेपिस्ट्स को फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। इसके उलट हमें 2018 की कुछ रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें बताया गया है कि राष्ट्रपति ने आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी दी है।

एनडीटीवी की वेबसाइट पर 22 अप्रैल 2018 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंजूरी के बाद महिलाओं के साथ रेप करने पर न्यूनतम सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। इसके अलावा 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर विस्तार से पढ़ा जा सकता है।

PRS India की वेबसाइट पर भी मौजूद एक रिपोर्ट में क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अध्यादेश, 2018 के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके मुताबिक भी ’12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप और गैंग रेप मामले में 20 वर्ष का न्यूनतम कारावास होगा, जिसे आजीवन कारावास या मृत्यु दंड तक बढ़ाया जा सकता है।’ यानी यहां भी मृत्युदंड का प्रावधान मैक्सीमम सजा के रूप में है।

विश्वास न्यूज की अबतक की पड़ताल में हमें ऐसी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली, जो रेप के सभी दोषियों को फांसी देने का किसी हालिया अध्यादेश के पास होने की जानकारी देती हो। साथ ही, मौजूदा कानूनों में भी ऐसे कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें रेप की सभी दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान हो।

हमने इस वायरल दावे को दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के सहायक आचार्य डॉक्टर हरीशचंद्र पांडेय के साथ साझा किया। उन्होंने हमें बताया कि अभी ऐसा कोई विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बाद कानून की शक्ल में नहीं आया है, जिसमें सारे रेपिस्ट्स को फांसी की सजा का प्रावधान हो। इस मामले की अधिक जानकारी के लिए हमने इस संबंध में क्रिमिनल लॉयर और HAQ Centre for Child Rights में लीगल कंसल्टेंट स्नेहा सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, ‘ऐसा कोई नया कानून अबतक नहीं आया है। ऐसे में यह कहना गलत है कि रेप के सभी मामलों में फांसी की सजा दी जा सकती है। हालांकि, रेप के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन अक्सर ऐसे मामलों में ही, जिन्हें रेयरेस्ट ऑफ द रेयर माना जाता है। उदाहरण के लिए Pocso एक्ट में सेक्शन 6 या सेक्शन 376DA, 376DB, 376E, लेकिन इन सभी सेक्शंस में भी मौत की सजा, अधिकतम सजा की श्रेणी में आती है। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि रेप के दोषी पाए जाने पर सभी को फांसी की ही सजा मिलेगी।’

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर विवेक कैलाश नाथ यादव की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल जुलाई 2010 में बनाई गई है। यूजर एक पार्टी विशेष से जुड़े हुए हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में सभी रेपिस्ट्स को फांसी देने का कानून बनने का दावा झूठा निकला है। सभी रेपिस्ट्स को फांसी देने से जुड़ा ऐसा कोई अध्यादेश राष्ट्रपति ने पास नहीं किया है। एक्सपर्ट्स और मौजूदा कानून के मुताबिक, रेप के रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों या 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में ही मौत की सजा का प्रावधान है।

False
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