पड़ताल में पता चला कि वंदना तिवारी की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां बेनहेमरेज से 7 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। लेकिन यह बात बिलकुल झूठ है कि वे किसी गांव में कोरोना टेस्ट के लिए गई थीं। जहां उन पर हमला हो गया।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। देश में कोरोना वायरस और उससे जुड़ी अफवाहें लगातार बढ़ती जा रही हैं। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फार्मासिस्ट वंदना तिवारी की ब्रेन हेमरेज से हुई मौत को कुछ लोग झूठे सांप्रदायिक दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि वंदना तिवारी की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां ब्रेन हेमरेज से 7 अप्रैल को उनकी मौत हो गई, लेकिन यह बात बिल्कुल झूठ है कि वे किसी गांव में कोरोना टेस्ट के लिए गई थीं। जहां उन पर हमला हो गया। हमारी पड़ताल में पोस्ट फर्जी साबित हुई।
फेसबुक यूजर दीपक कुमार ने 9 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती महिला की तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा : ”मित्रों दुखद खबर.. डॉक्टर वंदना तिवारी जी की मृत्यु हो गई वह पिछले हफ्ते शिवपुरी, एमपी के एक गाँव में कोरोना टेस्ट के लिए गई थीं, जहां जिहादियों ने हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। मेडिकल जांच के दौरान उन्हें ब्रेन हैमरेज होने की पुष्टि हुई थी। तदुपरांत उन्हें ग्वालियर के बिरला हॉस्पिटल रेफर किया गया। जहां लोगों का जीवन बचाने वाली एक योद्धा पिछले सात दिन से स्वयं अपना जीवन बचाने के लिए मौत से लड़ते लड़ते हार गई और कल रात उसकी मृत्यु हो गई।”
कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि वंदना तिवारी पर यूपी के गांव में हमला हुआ था। ऐसे कई फर्जी दावों के साथ वंदना तिवारी की मौत को वायरल किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्वीर को Yandex टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। हमें सबसे पुरानी तस्वीर भोपाल समाचार नाम की एक वेबसाइट पर मिली। 6 अप्रैल को अपलोड एक खबर में वंदना तिवारी की अस्पताल में भर्ती वाली तस्वीर पब्लिश की गई थी।
खबर में बताया गया कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फार्मासिस्ट वंदना तिवारी ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गईं। ग्वालियर के हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण वंदना तिवारी कोमा में चली गई। पूरी खबर को आप यहां पढ़ सकते हैं।
सर्च के दौरान हमें पत्रिका डॉट कॉम पर 8 अप्रैल को प्रकाशित एक खबर मिली। इसमें बताया गया कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में पदस्थ फार्मासिस्ट वंदना तिवारी का ग्वालियर में उपचार के दौरान निधन हो गया। वंदना को ब्रेन हेमरेज हुआ था। पूरी खबर को आप यहां पढ़ सकते हैं।
पड़ताल के अगले चरण में हमने ग्वालियर के ई-पेपर को खंगालना शुरू किया। हमें नईदुनिया के ग्वालियर संस्करण के 8 अप्रैल के ई-पेपर में वंदना तिवारी की मौत से जुड़ी एक खबर मिली। इसमें बताया गया, ”शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फार्मासिस्ट की ग्वालियर में मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। 31 मार्च को तबीयत बिगड़ने के बाद फार्मासिस्ट को इलाज के लिए ग्वालियर लाया गया था।”
इसके बाद विश्वास न्यूज ने Twitter पर वंदना तिवारी की मौत से जुड़ी खबरों को सर्च करना शुरू किया। हमें उत्तर प्रदेश पुलिस के ऑफिशियल हैंडल पर एक ट्वीट मिला। इसमें बताया गया कि वंदना तिवारी का संबंध मप्र से है। इसे यूपी से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। यह फेक है।
इसी दौरान हमें मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग का एक ट्वीट मिला। इसमें बताया गया कि इस प्रकरण के संबंध में CMHO कार्यालय, शिवपुरी ने जानकारी दी है कि श्रीमती वंदना तिवारी जी को बिरला हॉस्पिटल में ब्रेन हेमरेज डायग्नोस किया गया। 7 अप्रैल को उनका दुःखद निधन हो गया। हॉस्पिटल ने उनकी कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट नेगेटिव पाई।
पड़ताल के अगले चरण में हम शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक केवी वर्मा के पास पहुंचे। उन्होंने विश्वास न्यूज से बातचीत में कहा, ”वंदना तिवारी पर कोई हमला नहीं हुआ था। उनकी मौत ब्रेन हेमरेज के कारण हुई थी। वायरल पोस्ट में किए गए दावे एकदम बेबुनियाद हैं।”
अंत में हमने फर्जी पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि दीपक कुमार एक धर्म विशेष और विपक्ष के खिलाफ काफी पोस्ट करते हैं। यूपी के नैनी के रहने वाले इस यूजर को 14 हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: पड़ताल में पता चला कि वंदना तिवारी की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां बेनहेमरेज से 7 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। लेकिन यह बात बिलकुल झूठ है कि वे किसी गांव में कोरोना टेस्ट के लिए गई थीं। जहां उन पर हमला हो गया।
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