हाल ही में संसद ने "द टेलीकम्युनिकेशंस बिल, 2023" को पारित किया है। यह बिल इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 और इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 की जगह लेगा। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक, निश्चित आधार पर ही दो या अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाले मैसेज को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या ब्लॉक किया जाएगा। इन आधारों में राज्य की सुरक्षा, अन्य देशों के साथ मित्रवत संबंध, कानून-व्यवस्था और हिंसा भड़काने से रोका जाना शामिल है और इन्हीं आधारों पर टेलीकॉम सेवाओं को निलंबित भी किया जा सकता है। साथ ही इंटरसेप्शन के लिए इस बिल में वहीं प्रावधान है, जो पहले इंडियन टेलीग्राफ एक्ट , 1885 में था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स एक इन्फोग्राफिक्स को शेयर कर रहे हैं, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि सरकार नए संचार नियमों को लागू करने जा रही है और इस नए नियम के तहत सभी तरह के कॉल की रिकॉर्डिंग, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निगरानी होगी। साथ ही कहा गया है कि अगर किसी मैसेज को संज्ञान में ले रही है, तो वॉट्सऐप पर वह मैसेज तीन नीली लाइन से मार्क हो जाएगा। जबकि आम तौर पर वॉट्सऐप पर कोई मैसेज डिलीवर होने पर उसके साथ डबल टिक नजर आता है।
वायरल मैसेज का सारांश यह है कि सरकार “नए संचार नियमों” के तहत सोशल मीडिया पर फोन कॉल की निगरानी करने जा रही है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि न तो संचार के नए नियम जैसा कुछ लागू होने जा रहा है और न ही वॉट्सऐप मैसेजिंग में इस तरह के बदलाव होने वाले हैं। केंद्र सरकार की तरफ से ऐसा कोई नियम लागू नहीं किया गया है।
सोशल मीडिया यूजर ‘law_is_supreme_official’ ने वायरल इन्फोग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें लिखा हुआ है, “कल से लागू होंगे व्हाट्सएप और फोन कॉल के नए संचार नियम।”
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 95992 99372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का आग्रह किया है।
वायरल ग्राफिक्स में पहला दावा यह किया गया है कि सरकार “संचार के नए नियम” लागू करने जा रही है। यहां सरकार का मतलब केंद्र सरकार से है, क्योंकि संविधान (अनुच्छेद 246) की सातवीं अनुसूची के तहत संचार केंद्रीय सूची में आता है।
न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई भी रिपोर्ट्स नहीं मिली, जिसमें संचार के “नए नियम” को अगले कुछ दिनों में लागू किए जाने का जिक्र हो। गौरतलब है कि हाल ही में संसद ने “द टेलीकम्युनिकेशंस बिल, 2023” को पारित किया है। लोकसभा में यह विधेयक 18 दिसंबर 2023 को पेश किया गया था, जिसे 20 दिसंबर 2023 को पारित किया गया, वहीं राज्यसभा ने इस विधेयक को 21 दिसंबर 2023 को पारित किया।
पीआरएस इंडिया.ओआरजी की वेबसाइट पर इस बिल और उसके प्रावधानों का जिक्र है।
यह बिल इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 और इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 की जगह लेगा। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक, निश्चित आधार पर ही दो या अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाले मैसेज को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या ब्लॉक किया जाएगा। इन आधारों में राज्य की सुरक्षा, अन्य देशों के साथ मित्रवत संबंध, कानून-व्यवस्था और हिंसा भड़काने से रोका जाना शामिल है और इन्हीं आधारों पर टेलीकॉम सेवाओं को निलंबित भी किया जा सकता है।
इंटरसेप्शन के लिए इस बिल में वही प्रावधान है, जो पहले इंडियन टेलीग्राफ एक्ट , 1885 में था।
संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन चुका है और आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी होने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा।
यानी निगरानी, कॉल रिकॉर्डिंग और उसे ब्लॉक किए जाने के मामले में उन्हीं प्रावधानों को इस कानून में जगह दी गई है, जो पहले के कानून में थे और जिन कानूनों की जगह यह नया कानून लेने जा रहा है। साथ ही ऐसा करने के लिए निश्चित आधार है, जिसका जिक्र ऊपर किया गया है।
सरकार की तरफ से भी इस दावे का खंडन किया गया है।
वायरल ग्राफिक्स में वॉट्सऐप ग्रुप को लेकर नए नियमों के तौर पर निम्नलिखित प्रावधानों का जिक्र है:
“1. = संदेश भेजा गया
2. = संदेश प्राप्त
3. दो नीले = संदेश पढ़ें
4. तीन नीले = सरकार को संदेश नोट
5. दो नीले और एक लाल = सरकार आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
6. एक नीला और दो लाल = सरकार आपकी जानकारी सत्यापित कर सकती है।
7. तीन लाल = सरकार ने आपके खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी है, और आपको जल्द अदालत का समन मिलेगा।”
हमने अपनी जांच में इस दावे को भी निराधार और फेक पाया। वॉट्सऐप की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, ट्रिपल टिक जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। सिंगल टिक का मतलब, मैसेज सफलतापूर्वक भेजा गया, डबल टिक का मतलब मैसेज डिलीवर हुआ और डबल टिक के नीला होने का मतलब, मैसेज को पढ़ लिया गया।
यानी वायरल ग्राफिक्स में वॉट्सऐप मैसेज को लेकर जो दावा किया गया है, वह भी पूरी तरह से फेक और निराधार है।
वहीं, वॉट्सऐप पर मैसेजिंग के दौरान ट्रिपल टिक का दावा भी गलत और तथ्यों से परे है। साथ ही वॉट्सऐप एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन पर काम करता है, जिसका मतलब है कि जब आप किसी व्यक्ति को मैसेज भेज रहे होते हैं या उससे कम्युनिकेट कर रहे होते हैं तो उस बीच में कोई और नहीं होता है, क्योंकि यह मैसेज सिक्योर और लॉक होता है।
वायरल मैसेज में किए गए दावे को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण में मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशंस को कवर करने वाले विशेष संवाददाता राजीव कुमार से संपर्क किया। उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया कि ऐसा कोई नियम लाए जाने का दावा गलत है। उन्होंने कहा, “जहां तक निगरानी की बात है तो हाल ही में पारित टेलीकम्युनिकेशंस बिल में इससे संबंधित प्रावधान पुराने कानून के ही प्रावधान हैं और उन्हें लागू किए जाने का निश्चित आधार है।”
यह पहली बार नहीं है, जब यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इससे पहले भी अयोध्या मामले में सु्प्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ऐसा मैसेज वायरल हुआ था, जिसे अपनी जांच में फेक पाया था। संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वायरल पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब पांच लाख लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: फोन कॉल्स, मैसेज और सोशल मीडिया की निगरानी का अधिकार देने वाले “नए संचार नियमों” के लागू होने का दावा फेक और मनगढ़ंत है।
हाल ही में संसद ने “द टेलीकम्युनिकेशंस बिल, 2023” को पारित किया है। यह बिल इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 और इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 की जगह लेगा। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक, निश्चित आधार पर ही दो या अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाले मैसेज को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या ब्लॉक किया जाएगा। इन आधारों में राज्य की सुरक्षा, अन्य देशों के साथ मित्रवत संबंध, कानून-व्यवस्था और हिंसा भड़काने से रोका जाना शामिल है और इन्हीं आधारों पर टेलीकॉम सेवाओं को निलंबित भी किया जा सकता है। साथ ही इंटरसेप्शन के लिए इस बिल में वहीं प्रावधान है, जो पहले इंडियन टेलीग्राफ एक्ट , 1885 में था।
वहीं, वॉट्सऐप पर मैसेजिंग के दौरान ट्रिपल टिक का दावा भी गलत और तथ्यों से परे है। साथ ही वॉट्सऐप एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन पर काम करता है, जिसका मतलब है कि जब आप किसी व्यक्ति को मैसेज भेज रहे होते हैं या उससे कम्युनिकेट कर रहे होते हैं, तो उस बीच में कोई और नहीं होता है, क्योंकि यह मैसेज सिक्योर और लॉक होता है।
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