प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक स्थिति के दावे के साथ वायरल हो रहा अमित शाह का वायरल वीडियो क्लिप उनके दो अलग-अलग इंटरव्यू क्लिप को एडिट कर तैयार किया गया है, जिसे फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। अमित शाह ने अशिक्षा को लेकर जो बयान दिया था, वह किसी व्यक्ति विशेष पर केंद्रित न होकर गुजरात की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में ड्रॉप आउट की समस्या के संदर्भ में था, जिसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुधारने का काम किया गया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है, जिसके एक हिस्से में उन्हें 15 लाख रुपये दिए जाने वाले बयान को ‘जुमला’ और दूसरे हिस्से में अशिक्षा के बारे में बोलते हुए सुना जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने यह बयान कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए दिया।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है और इसके साथ वायरल हो रहा वीडियो एडिटेड है, जिसमें अमित शाह के दो अलग-अलग मौकों पर दिए गए इंटव्यू के चुनिंदा अंश को जोड़कर उसे फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
सोशल मीडिया यूजर ‘nasirturk315’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें अमित शाह को शिक्षा की स्थिति और 15 लाख रुपये लौटाए जाने के बयान को ‘जुमला’ बताते हुए सुना जा सकता है।
वायरल वीडियो क्लिप में एक पत्रकार अमित शाह से सवाल पूछ रहे हैं, “….कि 15 लाख रुपये अकाउंट में क्यों नहीं आ रहे।” इसके जवाब में अमित शाह कहते हैं, “….15 लाख रुपये जुमला है,….किसी के अकाउंट में 15 लाख रुपया नहीं जाता। ये उनको भी मालूम है, आपको भी मालूम है और देश की जनता को भी मालूम है।” इसके बाद अमित शाह का एक दूसरा क्लिप नजर आता है, जिसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है, “……एक अनपढ़ आदमी देश पर कितना बड़ा बोझ बनता है।” इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर आती है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर यह बयान दिया।
अमित शाह के बयान के आधार पर की-वर्ड सर्च में 15 लाख रुपये के बयान वाला उनका ऑरिजिनल इंटरव्यू मिला, जो करीब आठ साल पहले का है। इस इंटरव्यू में अमित शाह ने स्पष्ट किया था पंद्रह लाख रुपये का बयान चुनावी जुमला था, क्योंकि जो ब्लैक मनी या काला धन देश में वापस आएगा, वह किसी के खाते में नहीं जाएगा, बल्कि देश के विकास में लगेगा।
इस पूरे इंटरव्यू में उन्होंने कहीं भी अशिक्षा या अनपढ़ व्यक्ति से संबंधित बयान नहीं दिया। इसी की-वर्ड से सर्च करने पर न्यूज चैनल ‘आज तक एचडी’ के वेरिफाइड यू-ट्यूब प्रोफाइल पर ऑरिजिनल वीडियो मिला, जिसे दो साल पहले अपलोड किया गया है। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह “सत्ता में मोदी के 20 साल पूरे होने पर अमित शाह से खास बातचीत” का है।
करीब छह मिनट लंबे इंटरव्यू में अमित शाह गुजरात की उपलब्धियों और वहां किए गए बदलावों का जिक्र करते हुए बताते हैं कि गुजरात में सबसे बड़ी समस्या (प्राइमरी शिक्षा के क्षेत्र में) एनरॉलमेंट और ड्रॉप आउट की थी। इसी दौरान प्राथमिक शिक्षा की अहमियत का जिक्र करते हुए शाह बताते हैं,”…..एक अनपढ़ आदमी देश पर कितना बड़ा बोझ बनता है….न जो संविधान के दिए हुए अपने अधिकारों को जानता है, न संविधान ने जो हमसे अपेक्षा करी है, वो दायित्व को जानता है। वो कैसे एक अच्छा नागरिक बन सकता है।”
हमारी जांच से स्पष्ट है कि अमित शाह ने अशिक्षा को लेकर जो बयान दिया था, वह किसी व्यक्ति विशेष पर केंद्रित न होकर गुजरात की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में ड्रॉप आउट की समस्या के संदर्भ में था। इसी वीडियो क्लिप को 15 लाख रुपये वाले इंटरव्यू क्लिप से जोड़कर इस संदर्भ में शेयर किया जा रहा है कि उन्होंने ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में कहा था।
शाह का यह इंटरव्यू पत्रकार प्रदीप कुमार ने लिया था। विश्वास न्यूज ने इस इंटरव्यू को लेकर उनसे संपर्क किया है और उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा।
वायरल क्लिप को लेकर विश्वास न्यूज ने बीजेपी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से संपर्क किया। वायरल क्लिप में किए गए दावे को फेक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह दोनों अलग-अलग बयान है, जिसका आपस में कोई संबंध नहीं है। “चुनावी दुष्प्रचार की मंशा से ऐसे क्लिप को शेयर किया जा रहा है।”
वायरल वीडियो क्लिप को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब 100 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक स्थिति के दावे के साथ वायरल हो रहा अमित शाह का वायरल वीडियो क्लिप उनके दो अलग-अलग इंटरव्यू क्लिप को एडिट कर तैयार किया गया है, जिसे फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। अमित शाह ने अशिक्षा को लेकर जो बयान दिया था, वह किसी व्यक्ति विशेष पर केंद्रित न होकर गुजरात की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में ड्रॉप आउट की समस्या के संदर्भ में था, जिसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुधारने का काम किया गया था।
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