Fact Check: मुस्लिम समुदाय के खिलाफ NIA ने नहीं जारी किया यह मैसेज, फर्जी पोस्ट फिर से वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट फर्जी है। हालांकि, इस मैसेज में दिए गए तमाम नंबर एनआईए के दिल्‍ली हेडक्‍वार्टर के हैं, लेकिन एजेंसी की तरफ से ऐसा कोई मैसेज जारी नहीं किया है।

Fact Check: मुस्लिम समुदाय के खिलाफ NIA ने नहीं जारी किया यह मैसेज, फर्जी पोस्ट फिर से वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर एक बार फिर से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के हवाले से कथित तौर पर एक मैसेज वायरल किया जा रहा है। मेसज में दी गई जानकारी के मुताबिक, एनआईए ने कुछ फ़ोन नंबर जारी किये हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय के जरिये लगाए जा रहे आपत्तिजनक नारों की शिकायत की जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट फर्जी है। हालांकि, इस मैसेज  में दिए गए तमाम नंबर एनआईए के दिल्‍ली हेडक्‍वार्टर के हैं, लेकिन एजेंसी की तरफ से किसी विशेष समुदाय के लिए ऐसा कोई मैसेज जारी नहीं किया है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ”NIA ने जारी किया नंबर* आपकी जानकारी के अनुसार आतंकी मुसलमानों की रिपोर्ट करने के लिए एक विशेष नंबर। जो मुसलमान सर तन से जुदा का नारा लगाता दिखाई दे जाए, फेसबुक कमेंट में या ट्विटर पर कहीं भी, सीधा उसका स्क्रीनशॉट लें, लिंक कॉपी करें या इस नंबर पर कॉल करें! 011-24368800 Email Id of NIA : info.nia@gov.in, Mobile No. 9654447345 WhatsApp No. 8585931100 Landline No. 011-24368800 Fax No. 011-24368801 इस जानकारी को अपने अपने परिचित लोगों को देकर आप भी अपने नैतिक दायित्व का पालन अवश्य ही करें! *जय हिंद जय भारत।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने ‘एनआईए नंबर मुस्लिम’ कीवर्ड के साथ गूगल ओपन सर्च किया। सर्च में हमें कई  आधिकारिक हैंडल पर इस मामले से जुड़े  एक दस्तावेज का लिंक मिला।

7 जुलाई 2022 की इस प्रेस रिलीज में दी गई जानकारी के मुताबिक,”यह देखने में आया है कि एनआईए द्वारा कथित तौर पर जारी किए गए कुछ भ्रामक संदेश विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित किए जा रहे हैं। सभी को सूचित किया जाता है कि एनआईए ने ऐसा कोई संदेश जारी नहीं किया है। ऐसे संदेश पूरी तरह से फर्जी और दुर्भावनापूर्ण हैं और जनता को गुमराह करने की शरारतपूर्ण साजिश का हिस्सा हैं। पिछले साल एनआईए की जांच के दौरान यह पता चला था कि आईएस (इस्लामिक स्टेट) भोले-भाले युवाओं को निशाना बना रहा है और अपने हिंसक मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए झूठे प्रचार के जरिए उन्हें कट्टरपंथी बना रहा है। तदनुसार, सितंबर 2021 में एक अपील की गई थी कि ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना एनआईए सहित अधिकारियों को उसके लैंडलाइन नंबर: 011-24368800 पर दी जा सकती है। हम लोगों से अपील करते हैं कि ऐसे फर्जी और झूठे मैसेज से गुमराह न हों। हालांकि , आतंकवादी गतिविधियों और तत्वों के बारे में जानकारी साझा करके हमारे देश और इसके लोगों को आतंकवाद से बचाने के लिए एनआईए के साथ हाथ मिलाने के लिए उनका स्वागत है।”

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने  वायरल किये जा रहे मैसेज में दिए गए नंबरों की जांच की। एनआईए की आधिकारिक वेबसाइट पर ये नंबर एजेंसी के दिल्‍ली स्थित हेडक्‍वार्टर के निकले।

एनआईए की वेबसाइट पर कॉन्टैक्ट अस सेक्‍शन में लिखा हुआ है, “यह फोरम किसी भी संदिग्ध आतंकवादी गतिविधि/आतंकवादी अपराध या ऐसी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति या नकली भारतीय मुद्रा नोट तस्करी नेटवर्क पर जानकारी से संबंधित कोई भी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए है। हम इस पोर्टल के माध्यम से किसी भी अन्य जानकारी पर विचार नहीं करते हैं और यह आश्वासन दिया जाता है कि आपकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। आप जानकारी से संबंधित कोई भी दस्तावेज/फोटो अपलोड कर सकते हैं, जिसे यदि आवश्यक हो तो भेजा जा सकता है। (केवल डीओसी/पीडीएफ/जेपीजी प्रारूप स्वीकार किए जाते हैं)।” 

यह पोस्ट इससे पहले भी वायरल हो चुकी है और उस वक्त हमने अधिक पुष्टि के लिए तत्कालीन एनआईए की सीनियर अधिकारी डीआईजी डॉ. संजुक्ता पराशर से संपर्क किया था और उनका कहना था, “यह मैसेज एनआईए ने नहीं भेजा है।“

वहीं, दैनिक जागरण की तरफ से गृह मंत्रालय कवर करने वाले विशेष संवददाता नीलू रंजन ने भी इस मैसेज को फर्जी बताया था।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि इस यूजर की तरफ से ज्यादातर विचारधारा प्रेरित पोस्ट शेयर की जाती हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट फर्जी है। हालांकि, इस मैसेज में दिए गए तमाम नंबर एनआईए के दिल्‍ली हेडक्‍वार्टर के हैं, लेकिन एजेंसी की तरफ से ऐसा कोई मैसेज जारी नहीं किया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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