Fact Check: नासा ने नहीं माना कि सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी भारतीय पंचांग से मिलती है, व्यंग्य को सच मान रहे यूजर्स

नासा ने सूर्य ग्रहण की गणना के लिए भारतीय पंचांग को उपयुक्त नहीं बताया है। ऐसी कोई भी रिपार्ट हमें नहीं मिली। इस तरह का एक व्यंग्य द फॉक्सी ने मजाक के तौर पर छापा था, जिसे यूजर्स सच मान बैठे।

Fact Check: नासा ने नहीं माना कि सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी भारतीय पंचांग से मिलती है, व्यंग्य को सच मान रहे यूजर्स

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। नासा और भारतीय पंचांग से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि नासा ने माना है कि भारतीय पंचांग से सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी मिलती है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया। नासा ने यह नहीं माना है कि सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी भारतीय पंचांग से मिलती है। इस तरह की एक रिपोर्ट मजाकिया वेबसाइट ‘द फॉक्सी’ ने छापी थी, जिसे यूजर्स सच मानकर शेयर कर रहे हैं।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर ‘सृष्टि श्रीवास्तव‘ (आर्काइव लिंक) ने 4 दिसंबर को पोस्ट शेयर की,

120 करोड़ खर्च करने और 3 बार बयान बदलने के बाद नासा ने माना है कि सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी भारतीय पंचांग में ही मिलता है।

पड़ताल

नासा को लेकर वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इसे गूगल पर सर्च किया। इसमें हमें ‘द फॉक्सी‘ में 29 जून 2021 को छपी एक रिपोर्ट मिली। इसके अनुसार, नासा के वैज्ञानिकों ने ग्रहण और अन्य खगोलीय घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए हिंदू कैलेंडर ‘पंचांग’ को उपयुक्त माना है। नासा के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि नासा सूर्य और चंद्र ग्रहण सहित विभिन्न खगोलीय घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए हिंदू कैलेंडर पंचांग को उपयुक्त बता रहा है। इसके साथ ही वैज्ञानिक ने नासा हेडक्वार्टर की एक तस्वीर भी शेयर की। इसमें वैज्ञानिक दीवार पर पंचांग देख रहे हैं।

इस वेबसाइट पर हमें काफी अजीबोगरीब खबरें दिखीं। इसमें नीचे डिस्क्लेमर में लिखा है, द फॉक्सी एक एंटरटेनमेंट पोर्टल है। इस वेबसाइट की सामग्री विशुद्ध रूप से मनोरंजन के उद्देश्य से है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे द फॉक्सी के आर्टिकल्स को सच समझकर भ्रमित न हों। मतलब इस वेबसाइट पर मजाकिया आर्टिकल्स छपते हैं।

इसके अलावा हमें किसी भरोसेमंद वेबसाइट पर इस तरह की कोई खबर नहीं मिली। इसके बाद हमने गूगल पर नासा द्वारा ग्रहण की गणना के बारे में सर्च किया। नासा के ही एक पेज पर ग्रहण की गणना के तरीके के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक, जावास्क्रिप्ट सोलर एक्लिप्स एक्सप्लोरर 1500 ईसा पूर्व से 3000 सीई तक किसी भी शहर से दिखाई देने वाले प्रत्येक सूर्य ग्रहण के लिए स्थानीय परिस्थितियों की गणना कर सकता है। पेरिस से अंतिम पूर्ण ग्रहण कब देखा गया था? लॉस एंजिल्स से अगला पूर्ण ग्रहण कब दिखाई देगा? इस नए वेब टूल का उपयोग करके इन सवालों और कई अन्य सवालों के जवाब आसानी से दिए जा सकते हैं। एक्लिप्स एक्सप्लोरर जावास्क्रिप्ट सोलर एक्लिप्स कैलकुलेटर पर आधारित है। इस कैलकुलेटर को क्रिस ओ’बर्न और स्टीफन मैककैन ने बनाया था। मूल कैलकुलेटर यूजर द्वारा दी गई भौगोलिक स्थिति के लिए 1970 से 2039 की अवधि में किसी भी एक ग्रहण के लिए स्थानीय समय की भविष्यवाणी करता है।

नासा के एफएक्यू में दिया गया है कि ग्रहण की गणना वैज्ञानिक तरीके से की जाती है। इसमें भारतीय पंचांग का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने ‘द फॉक्सी’ वेबसाइट से ट्विटर के जरिए संपर्क किया। उनका कहना है, ‘द फॉक्सी में छपा प्रत्येक लेख काल्पनिक है। इस व्यंग्य को पूरी तरह से मनोरंजन के मकसद से लिखा गया है।

फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाली फेसबुक यूजर ‘सृष्टि श्रीवास्तव‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह दिल्ली में रहती हैं।

निष्कर्ष: नासा ने सूर्य ग्रहण की गणना के लिए भारतीय पंचांग को उपयुक्त नहीं बताया है। ऐसी कोई भी रिपार्ट हमें नहीं मिली। इस तरह का एक व्यंग्य द फॉक्सी ने मजाक के तौर पर छापा था, जिसे यूजर्स सच मान बैठे।

False
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