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Fact Check: खाते में जमा रकम में से मात्र एक लाख रुपये का होता है बीमा, यह नियम निजी, सहकारी व सरकारी सभी बैंकों पर लागू है

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Oct 22, 2019 at 03:14 PM
  • Updated: Oct 22, 2019 at 03:17 PM

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एचडीएफसी बैंक के एक कस्टमर के पासबुक का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि HDFC बैंक ने अपने पासबुक पर स्टाम्प के माध्यम से लिखना आरंभ कर दिया है कि बैंक के दीवालिया होने की स्थिति में ग्राहक को मात्र एक लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि निजी बैंकों में एक लाख रुपये तक की बचत ही सुरक्षित है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गुमराह करने वाला साबित हुआ।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल हो रही पोस्ट में एचडीएएफसी बैंक के किसी ग्राहक के पासबुक की तस्वीर लगी हुई है, जिस पर DICGC का स्टाम्प लगा हुआ है। इसमें लिखा हुआ है कि बैंक के दीवालिया होने की स्थिति में ग्राहकों को एक लाख रुपये ही मिलेंगे, क्योंकि इतनी ही राशि बीमा कवर के दायरे में आती है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही भ्रामक पोस्ट

सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर इस मैसेज को वायरल होते हुए देखा जा सकता है। वायरल पोस्ट में लिखा हुआ है कि एचडीएफसी बैंक पासबुक पर स्टाम्प के जरिए बता रहा है कि दीवालिया होने की स्थिति में वह एक लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि निजी बैंकों में मात्र एक लाख रुपये ही सुरक्षित है।

पड़ताल

सोशल सर्च में हमें पता चला कि DICGC का स्टाम्प लगा एचडीएफसी बैंक के जिस पासबुक की तस्वीर वायरल हो रही है, वह सही है। पासबुक पर नजर आ रहे स्टाम्प में लिखा हुआ है, ‘बैंकों में जमा रकम DICGC के बीमा कवर में सुरक्षित हैं और अगर बैंक दीवालिया होता है, तो DICGC प्रत्येक खाताधारक को भुगतान करेगी। एक लाख रुपये की राशि बीमा के दायरे में आती है और इसका भुगतान दावे के दो महीने के भीतर किया जाएगा।’

एचडीएफसी बैंक ने इस मैसेज के वायरल होने के बाद स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था, ‘पासबुक की इमेज को लेकर जो वॉट्सऐप और सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल हो रहा है, उससे आशंकाएं पैदा हुई हैं। यह जमा रकम की बीमा कवर से जुड़ा हुआ है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि पासबुक पर दी जा रही जानकारी आरबीआई के 22 जून 2017 के सर्कुलर के मुताबिक है, जिसमें सभी व्यावसायिक बैंकों, छोटे वित्तीय बैंकों और पेमेंट बैंकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही पासबुक के पहले पन्ने पर बीमा कवर की लिमिट के बारे में भी जानकारी देने का निर्देश दिया गया था।’

HDFC बैंक की तरफ से जारी किया गया स्पष्टीकरण

आरबीआई की वेबसाइट पर 22 जून 2017 को जारी अधिसूचना से इसकी पुष्टि होती है। पूरी अधिसूचना को यहां पढ़ा जा सकता है।

22 जून 2017 को RBI की तरफ से सभी बैंकों को जारी किया स्पष्टीकरण

22 जून 2017 की इस अधिसूचना के मुताबिक, आरबीआई ने बैंकों को पासबुक के पहले पन्ने पर ‘’डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर’’ की लिमिट के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया था।

DICGC की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन बिल को 21 अगस्त 1961 को संसद में पेश किया गया और संसद के पारित होने के बाद इस बिल को 7 दिसंबर 1961 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। 1 जनवरी 1962 से डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट 1961, अस्तित्व में आया।

वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, डीआईसीजीसी विदेशी बैंकों के जमा, केंद्र और राज्य सरकारों की जमा रकम, इंटरबैंक डिपॉजिट, स्टेट लैंड डेवलपमेंट बैंक और स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों के जमा जैसे कुछ अन्य अपवादों को छोड़कर सेविंग, करंट, रेकरिंग जैसे सभी डिपॉजिट की बीमा करता है और बीमा के दायरे में कुल रकम एक लाख रुपये है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल है।

DICGC के बीमा दायरे में निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्र के बैंक में आते हैं। यानी बीमा की रकम के मामले में यह नियम सभी बैंकों पर समान रूप से लागू हैं। कमर्शियल बैंकों की सूची में कुल 105 बैंक, 56 आरआरबी बैंक, तीन LAB के अलावा राज्यों में मौजूद को-ऑपरेटिव बैंक आते हैं।

यानी यह कहना कि दीवालिया होने की स्थिति में निजी बैंकों में मात्र एक लाख रुपये ही सुरक्षित है, गुमराह करने वाली जानकारी है। DICGC के दायरे में निजी, सरकारी और सहकारी सभी तरह के बैंक आते हैं। बैंकों की पूरी सूची को यहां देखा जा सकता है।

हाल ही में आई एसबीआई रिपोर्ट में बैंक खाते में जमा रकम का बीमा बढ़ाने की जरूरत का जिक्र किया गया था। पीएमसी संकट के बाद आई इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बैंकों में अभी एक लाख रुपये की डिपॉजिट का बीमा होता है, जिसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘डीआईसीजीसी के बीमा की रकम में बदलाव किया जाना चाहिए। इसे दो हिस्से में बांटते हुए सेविंग अकाउंट्स का बीमा कम से कम एक लाख रुपये का किया जाना चाहिए, जबकि टर्म डिपॉजिट के बीमा की रकम को कम से कम 2 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए।’

निष्कर्ष: एचडीएफसी बैंक अपने ग्राहकों के पासबुक पर डिपॉजिट बीमा को लेकर जो स्टाम्प लगा रहे हैं, वह आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक है। बैंकों में जमा राशि में सिर्फ एक लाख रुपये का ही बीमा होता है और यह बीमा DICGC करती है। DICGC केवल सरकारी नहीं, बल्कि निजी बैंकों में भी मौजूद बचत खाते का बीमा करती है। यह कहना गलत है कि दीवालिया होने की स्थिति में निजी बैंकों में एक लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित है। यह बात सरकारी क्षेत्र के बैंकों पर भी लागू होता है।

  • Claim Review : निजी बैंकों में सुरक्षित है मात्र एक लाख रुपया
  • Claimed By : FB User-Sneh Jetly
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