डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को उनके शोध पत्र के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc) की डिग्री अवॉर्ड हुई थी, जबकि केआर नारायणन को ये मानद उपाधि के तौर पर मिली थी। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन की डिग्री को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि डॉक्टर ऑफ साइंस दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा है और भारत से केवल डॉक्टर अंबेडकर और केआर नारायणन ने ही इसे पास किया है। बिल्कुल यही दावा विश्वास न्यूज़ को फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी फैक्ट चेक के लिए मिला है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में सामने आया है कि पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन को ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि मिली थी, जबकि वायरल पोस्ट में इसे परीक्षा देकर हासिल की गई डिग्री बताया जा रहा है। वहीं, लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में सफलतापूर्वक थीसिस जमा करने पर डॉक्टर अंबेडकर को ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की डिग्री अवॉर्ड हुई थी।
ये दावा फेसबुक के अलावा वॉट्सऐप पर भी शेयर किया जा रहा है। Arvind Kumar नाम के फेसबुक यूजर ने 23 अगस्त को इसी दावे की तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पर पोस्ट किया है। इस पोस्ट में लिखा है, ‘विश्व की सबसे कठिन परीक्षा DOS यानी (डाँक्टर ऑफ साइंस) है। इस परीक्षा को भारत के सिर्फ दो ही लोग पास कर सके पहले बाबा साहब और दूसरे K.R. नारायणन साहब…।’ इस पोस्ट के कुछ हिस्से को यहां ज्यों का त्यों रखा गया है।
पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
संविधान निर्माताओं में से एक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन की पहचान भारत के उत्कृष्ट विद्वानों में से है। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में सबसे पहले ये जानना चाहा कि आखिर इन दोनों मशहूर राजनेताओं के पास कौन-कौन सी शैक्षणिक डिग्रियां रही हैं। इसके लिए हमने भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइटों का सहारा लिया।
अपने पड़ताल के क्रम में हम भारत के उपराष्ट्रपति की आधिकारिक वेबसाइट vicepresidentofindia.nic.in पर पहुंचे। इसके former-vice-president सेक्शन में हमें केआर नारायणन के बारे में जानकारियां मिलीं। आपको बता दें कि भारत के 10वें राष्ट्रपति बनने से पहले केआर नारायणन 9वें उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। यहा दी गई जानकारी के मुताबिक, केआर नारायणन ने त्रावणकोर यूनिवर्सिटी से फर्स्ट क्लास फर्स्ट के साथ इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया था। इसके अलावा उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बीएससी (इकोनॉमिक्स) फर्स्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी।
साइट के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टॉलेडो से डॉक्टर ऑफ साइंस (DOS या D.Se) की मानद (Honoris Causa) उपाधि मिली थी। यानी ये उपाधि उनके सम्मान में दी गई थी, जबकि वायरल पोस्ट में ये दावा किया जा रहा है कि उन्होंने परीक्षा देकर ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की डिग्री हासिल की थी। केआर नारायणन के बारे में विस्तार से जानने के लिए भारत सरकार की इस वेबसाइट पर यहां क्लिक कर जाया जा सकता है।
विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर अंबेडकर की शैक्षणिक डिग्रियों के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। अपनी पड़ताल के क्रम में हम http://drambedkarwritings.gov.in/ पर पहुंचे। यहां हमें एक पीडीएफ फाइल मिली। इसे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 125वीं जन्मतिथि पर डॉक्टर अंबेडकर फाउंडेशन की तरफ से जारी किया गया था। इसमें बताया गया है कि 1920 से 1923 में लंदन रहने के दौरान उन्होंने The Problem of the Rupee टाइटल से एक थिसिस जमा की थी। इसके लिए उन्हें D.Sc. डिग्री अवॉर्ड की गई थी। यानी यहां भी डॉक्टर अंबेडकर को डिग्री अवॉर्ड हुई थी। यहां क्लिक कर इस बारे में विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
हमने इस संबंध में छपरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपित प्रोफेसर हरिकेश सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर अंबेडकर और केआर नारायणन की विद्वता का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। जहां तक डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) का सवाल है तो ये देखना होगा कि कहीं ये Honoris Causa यानी मानद उपाधि के तौर पर तो नहीं दी गई। मानद उपाधि परीक्षा पास कर हासिल नहीं होती। अगर इसे परीक्षा पास कर हासिल की गई डिग्री बताया जा रहा है तो ऐसा कहना भ्रामक है।’
विश्वास न्यूज ने इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) में रिसर्च फेलो डॉक्टर आशीष शुक्ला से भी बात की। उन्होंने बताया कि डॉक्टर अंबेडकर और पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन की विद्वता का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि ऐसा कोई पैमाना नहीं या ऐसी कोई आधिकारिक संस्था नहीं है, जो यह तय करती हो कि दुनिया की कौन सी परीक्षा सबसे कठिन है। अलग-अलग विषयों की परीक्षा का अपना अलग-अलग महत्व है। हम यह नहीं कह सकते कि किसी एक विषय या डिग्री की परीक्षा दूसरे विषय या डिग्री की परीक्षा से कठिन या आसान है। जैसा वायरल पोस्ट में ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा बताया जा रहा है, वैसे कैटेगराइजेशन का कोई मैकनिज्म है ही नहीं। कुछ संस्थाएं हैं, जो शैक्षणिक संस्थाओं की रैंकिंग करती हैं, लेकिन ये रैंकिंग भी सर्वमान्य नहीं होती है और हर साल बदलती रहती हैं। जहां तक ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की डिग्री का सवाल है तो ये रिसर्च सबमिट कर अवॉर्ड होती है और मानद भी दी जाती है। किसी के सम्मान में या मानद दी गई डिग्री को परीक्षा देकर हासिल बताया जाना भ्रामक है। एक शोध छात्र के तौर पर जब हम अपनी थिसिस जमा करते हैं तो डॉक्टरेट अवॉर्ड होने से पहले संबंधित संस्थान, जो इसकी जांच करता है उसे ही एक शोध छात्र की परीक्षा के रूप में समझा जा सकता है।’
हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर Arvind Kumar की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर ने अपनी प्रोफाइल पर निजी जानकारियों को पब्लिक नहीं कर रखा है।
निष्कर्ष: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को उनके शोध पत्र के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc) की डिग्री अवॉर्ड हुई थी, जबकि केआर नारायणन को ये मानद उपाधि के तौर पर मिली थी। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है।
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