Fact Check: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के नाम से फर्जी मैसेज वायरल कर शेयर हो रहा फिशिंग लिंक
1990 से 2021 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को 155,000 रुपये मिलने के अधिकार वाला मैसेज फर्जी है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ऐसी कोई योजना नहीं है। इसके साथ फिशिंग लिंक शेयर किया जा रहा है। इस पर क्लिक करने से आपका डाटा हैक हो सकता है।
- By: Sharad Prakash Asthana
- Published: Jun 17, 2022 at 04:07 PM
- Updated: Jun 17, 2022 at 04:48 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। साइबर ठग सोशल मीडिया पर सरकारी योजनाओं के नाम पर फिशिंग लिंक वायरल कर लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं। इसी तरह का एक लिंक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के नाम से वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड इम्प्लॉयमेंट की तरफ से 1990 से 2021 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को 155,000 रुपये लेने का अधिकार है। पोस्ट में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के लोगो के साथ एक लिंक दिया गया है। जिस पर क्लिक कर अपना नाम देखने को कहा गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ऐसी कोई योजना नहीं चलाई हुई है। फेक मैसेज के साथ फिशिंग लिंक को वायरल किया जा रहा है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक यूजर Murali Mahalingam (आर्काइव लिंक) ने 14 जून को लोगो के साथ लिंक पोस्ट करते हुए लिखा है,
The workers who worked between 1990 and 2021, Have the right to receive the benefit of (Rs 155,000) from Ministry Of Labour And Employment. Check if your name is in the list of the people who have the rights to withdraw this benefits
(1990 से 2021 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को श्रम और रोजगार मंत्रालय से (155,000 रुपये) का लाभ प्राप्त करने का अधिकार है। जांचें कि क्या आपका नाम उन लोगों की सूची में है, जिनके पास इस लाभ को वापस लेने का अधिकार है।)
पड़ताल
वायरल मैसेज की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले लिंक INFJYTRAN.BLOGSPOT.COM को ध्यान से देखा। यह किसी सरकारी वेबसाइट का लिंक नहीं है, मतलब संदेहास्पद है। इस पर क्लिक करने पर जो विंडो खुली, उसमें चेतावनी लिखी हुई थी कि इससे आपकी निजी जानकारी चुराई जा सकती है।
हमने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इस योजना को सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई स्कीम नहीं मिली। मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर भी इस तरह की योजना का कोई ट्वीट नहीं है।
6 जून को PIB ने ट्वीट करके इस मैसेज को फर्जी बताया है। इसके मुताबिक, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ऐसी कोई योजना नहीं चलाई है। इससे पहले फरवरी 2021 में भी इससे मिलता-जुलता मैसेज फिशिंग लिंक के साथ वायरल हुआ था। उस समय भी PIB ने इसे फर्जी बताते हुए ट्वीट किया था।
इस बारे में गौतमबुद्ध नगर की लेबर कमिश्नर वंदना का कहना है, ‘इस तरह की कोई योजना नहीं है। अगर होती तो शासनादेश जरूर आता। यह एक फर्जी मैसेज है। आजकल इस तरह के बहुत से फर्जी मैसेज वायरल होते हैं। उन पर क्लिक करने से पहले उसके यूआरएल को ध्यान से देख लें और उसकी जांच-पड़ताल कर लें।‘
वहीं, साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल का कहना है, ‘साइबर ठग इस तरह के लुभावने मैसेज के साथ फिशिंग लिंक भेजकर लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं। इस पर क्लिक करने से यूजर की पर्सनल जानकारी चोरी हो सकती है। अगर इस तरह की कोई योजना चलाई गई होती तो आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल्स पर जानकारी जरूर मिलती।‘
फेक मैसेज को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘मुरली महालिंगम‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह श्रीरंगम में रहते हैं और मुन्नार में काम करते हैं।
इससे पहले भी कई फिशिंग लिंक वायरल हो चुके हैं, जिनकी विश्वास न्यूज ने पड़ताल की है।
निष्कर्ष: 1990 से 2021 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को 155,000 रुपये मिलने के अधिकार वाला मैसेज फर्जी है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ऐसी कोई योजना नहीं है। इसके साथ फिशिंग लिंक शेयर किया जा रहा है। इस पर क्लिक करने से आपका डाटा हैक हो सकता है।
- Claim Review : 1990 से 2021 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से 155000 रुपये लेने का अधिकार है।
- Claimed By : FB User- Murali Mahalingam
- Fact Check : झूठ
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