Fact Check: वर्ष 2016 की है यह फोटो, ट्रैफिक पुलिसकर्मी के समुदाय का ही है आरोपी, भ्रामक दावा हो रहा वायरल

वायरल फोटो मई 2016 की है। तत्कालीन हेड कॉन्स्टेबल और आरोपी एक ही समुदाय के हैं। इसमें कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

Fact Check: वर्ष 2016 की है यह फोटो, ट्रैफिक पुलिसकर्मी के समुदाय का ही है आरोपी, भ्रामक दावा हो रहा वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। राजस्थान के करौली में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें एक युवक ट्रैफिक पुलिसकर्मी का मुंह पकड़े हुए है। फोटो किसी न्यूजपेपर में छपी हुई है। इसमें कैप्शन लिखा है, घंटाघर में ट्रैफिक पुलिस द्वारा ठेला हटाने की कार्रवाई के विरोध में पहले कुछ लोगों ने विरोध किया। फिर देखते देखते वहां कई लोग जमा हो गए। कुछ लोग पुलिस टीम के माफी मांगने पर अड़ गए। इतने में गुस्साए एक युवक ने हेड कॉन्स्टेबल का मुंह ही पकड़ लिया।

यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह फोटो जोधपुर के घंटाघर क्षेत्र का है। वहां अतिक्रमण हटाने के आदेश पर अव्यवस्थित खड़े ठेलों पर कार्रवाई हुई तो मुस्लिमों ने पुलिस कॉन्स्टेबल को घेर लिया और उनका मुंह पकड़ लिया। ट्रैफिक पुलिसकर्मी हवलदार हैं और उनका नाम शोभाराम है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि फोटो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है। वायरल फोटो मई 2016 की है और ट्रैफिक पुलिसकर्मी का मुंह पकड़ने वाला आरोपी हिंदू है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर ‘दीपक भारद्वाज’ (आर्काइव) ने 5 अप्रैल को फोटो पोस्ट करते हुए लिखा,
आत्मनिर्भर बनिये,संगठित रहिये…
सुरक्षा के लिये पुलिस के भरोसे कतई न रहें…
इस तेवर को गौर से देखो…
चित्र जोधपुर के घंटाघर क्षेत्र का है.. अतिक्रमण हटाने के आदेश पर अव्यवस्थित खड़े ठेलों पर कारवाई हुई तो जिहादियों ने घेर लिया और पुलिस कॉन्स्टेबल के साथ ऐसा व्यवहार हुआ…..
पुलिसकर्मी ट्रैफिक हवलदार है, नाम शोभाराम। डरने के लिए इतना ही पर्याप्त है कि जो तेवर दिखा रहा है वो और आसपास घेरकर खड़े लोग… सरकार के प्राणप्रिय special-72 समुदाय के ही हैं…….
ये हिम्मत कहाँ से आ रही है…? इसकी धार्मिक मान्यता से? या इसके मजबूत सामाजिक कवच से….? एक तरफा वोटिंग से? ये राजस्थान मे केवल 8 % हैं
इसे पता है कि ये कॉन्स्टेबल मारा भी गया तो ये व्यवस्था इसका कोई खास बिगाड़ नहीं सकती है…….।
ये गलत वोट की चोट है।

फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स ने भी इस फोटो को मिलते-जुलते दावों के साथ शेयर किया।

पड़ताल

वायरल फोटो को सबसे पहले पहले गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें हमें 28 मई 2016 को lionexpress पर पब्लिश खबर का लिंक मिला। इसमें वायरल फोटो भी अपलोड की गई है। खबर के मुताबिक, जोधपुर के घंटाघर क्षेत्र में अवैध रूप से खड़े ठेले वालों पर जब कार्रवाई शुरू की गई तो एक युवक ने आंखें दिखाते हुए हेड कॉन्स्टेबल का मुंह पकड़ लिया। मामला बढ़ने पर पुलिस वहां से चली गई।

28 मई 2016 को पत्रिका में छपी खबर के अनुसार, जोधपुर के घंटाघर में जब पुलिसकर्मियों ने ठेले वालों से हटने को कहा तो उन्होंने बदतमीजी शुरू कर दी। ट्रैफिक पुलिसकर्मी शोभाराम ने बताया कि ट्रैफिक में बाधा बन रहे ठेले वालों को हटाने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने जब ठेले वालों को हटने को कहा तो वे नहीं माने। कार्रवाई करने पर लोगों ने हेड कॉन्स्टेबल को घेर लिया। एक युवक ने तो उनका मुंह पकड़ लिया।

छह साल पहले bhaskar में भी इस बारे में खबर छपी है। इसमें लिखा है, हेड कॉन्स्टेबल शोभाराम जब घंटाघर क्षेत्र में रोड के बीच खड़े ठेलों को हटवाने लगे तो एक युवक उनसे मारपीट पर उतारू हो गया। इस मामले में ट्रैफिक पुंलिसकर्मी शोभाराम ने आरोपी ठेका चालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। आरोपी का नाम धमेंद्र पुत्र प्रेमचंद है।

मई 2016 में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी। वह 13 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक सीएम की कुर्सी पर रही हैं।

इस बारे में हमने शोभाराम से बात की। उनका कहना है, ‘मैं अभी जोधपुर पुलिस लाइंस में एएसआई हूं। वायरल फोटो वर्ष 2016 की है। मुझसे बदतमीजी करने वाले युवक का नाम धर्मेंद्र था और वह हिंदू था। उसके खिलाफ मैंने रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी।

फोटो को भ्रामक दावे से वायरल करने वाले फेसबुक यूजर ‘दीपक भारद्वाज’ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। वह एक विचारधारा से प्रेरित हैं।

निष्कर्ष: वायरल फोटो मई 2016 की है। तत्कालीन हेड कॉन्स्टेबल और आरोपी एक ही समुदाय के हैं। इसमें कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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