तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी निवासियों पर हमले के दावे के साथ फेक और भ्रामक वीडियो को सोशल मीडिया पर फैलाने के मामले में दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपियों में से मनीष कश्यप की गिरफ्तारी का दावा गलत है। वायरल तस्वीर 2019 की है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि तमिलनाडु में प्रवासी हिंदी भाषी मजदूरों पर हुई हिंसा के दावे के साथ फेक और भ्रामक वीडियो को साझा करने के मामले में बिहार पुलिस की तरफ से दर्ज मुकदमे में शामिल चार मुख्य आरोपियों में से एक मनीष कश्यप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। गिरफ्तारी के दावे के साथ वायरल मनीष कश्यप की तस्वीर पुरानी है, जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। तमिलनाडु से हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों के पलायन के मामले में भ्रामक और फेक वीडियो को साझा करने के आरोपी मनीष कश्यप को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वायरल तस्वीर 2019 की है, जब मनीष कश्यप को पटना के कोतवाली थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
सोशल मीडिया यूजर ‘Shresth Bharat Samachar’ ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, “बिहार के लाखों गरीब और मजदूर भाईओ के अवाज़ को उठाने वाला जाबाज़ पत्रकार मनीष कश्यप को एक अपराधी की तरह कल रात 8 बजे गिरफ्तार कर लिया गया देखिये । हम सभी आज़ाद पत्रकारिता करने वालो को एक होना होगा।shresthbharatsamachar.”
कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ गिरफ्तार किया है।
गौरतलब है कि बिहार पुलिस ने तमिलनाडु में प्रवासी बिहार के निवासियों के साथ हिंसात्मक घटनाओं के दावे के साथ फेक और भ्रामक वीडियो को फैलाने के मामले में चार लोगों को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें से एक आरोपी मनीष कश्यप भी है। बिहार पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, कश्यप यू-ट्यूब चैनल सच तक न्यूज का संचालक है।
न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें मनीष कश्यप की गिरफ्तारी की सूचना हो। जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने मनीष कश्यप पर एक और एफआईआर दर्ज की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह एफआईआर अपने ट्विटर अकाउंट से खुद की गिरफ्तारी की भ्रामक तस्वीर पोस्ट किए जाने के मामले में हुई है। बिहार पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इसकी जानकारी दी है।
बिहार पुलिस ने गिरफ्तारी का दावा करने वाले अकाउंट को मनीष कश्यप का नया ट्विटर हैंडल बताया है। हालांकि, हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं कि यह मनीष कश्यप का ही अकाउंट है।
एक अन्य रिपोर्ट में पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि मनीष कश्यप ने अपनी गिरफ्तारी की जो तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड की है, वह पांच फरवरी 2019 की है, जब पटना कोतवाली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। 2019 की अन्य न्यूज रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होती है।
अतिरिक्त पुष्टि के लिए हमने बिहार पुलिस से संपर्क किया। बिहार पुलिस के एडीजी (पुलिस मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा, “तमिलनाडु प्रकरण में अभी मनीष कश्यप की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मनीष कश्यप समेत अन्य आरोपियों को आर्थिक अपराध इकाई की विशेष टीम लगातार दिल्ली समेत अन्य ठिकानों पर तलाश कर रही है। उसके नए ट्विटर हैंडल से गिरफ्तारी की भ्रामक तस्वीर पोस्ट की गई थी, जिसको लेकर अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है।”
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब दो हजार लोग फॉलो करते हैं।
हाल ही में दक्षिण भारत में हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों के साथ ट्रेन में मारपीट के मामले का वीडियो सामने आया था और इस मामले में पुलिस ने आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर तमिलनाडु में हिंदी भाषी मजदूरों के साथ हुई हिंसा के दावे के साथ कई वीडियो और तस्वीरों को भ्रामक और गलत दावे के साथ साझा किया गया, जिसकी वजह से प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हुआ। विश्वास न्यूज की वेबसाइट और आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इससे संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को देखा और पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी निवासियों पर हमले के दावे के साथ फेक और भ्रामक वीडियो को सोशल मीडिया पर फैलाने के मामले में दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपियों में से मनीष कश्यप की गिरफ्तारी का दावा गलत है। वायरल तस्वीर 2019 की है।
डिस्क्लेमर: फैक्ट चेक रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने तक मनीष कश्यप को गिरफ्तार नहीं किया गया है। संबंधित मामले में पुलिस की कार्रवाई के मुताबिक इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा।
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