Fact Check: तुर्किये के इमाम की नहीं है यह तस्वीर, पुरानी फोटो को एडिट करके तुर्किये में आए भूकंप के बाद किया गया वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें तुर्किये के इमाम की लिबास में नजर आरहे शख्स एक डॉग के हाथों पर किस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस फोटो को तुर्किये में हाल ही में आए खौफनाक भूकंप से जोड़ते हुए शेयर किया जा रहा है और यूजर दावा कर रहे हैं कि इस डॉग ने फंसे हुए तीन लोगों की जान बचाई, जिसके बाद तुर्किये की जामिया मस्जिद के इमाम ने उसके हाथों पर किस किया।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि तुर्किये के इमाम की लिबास में नजर आरहे शख्स की तस्वीर एडिटेड है, पूर्व पादरी की तस्वीर को एडिट किया गया है। इसके अलावा असल फोटो का भी तुर्किये के भूकंप से कोई लेना-देना नहीं है। यह तस्वीर 2011 से सोशल मीडिया पर मौजूद है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘This pic is some of those best rare pics I’ve ever seen. This is Imam e Jamia mosque in Turkey kissing hand of the dog which rescued and saved lives of 3 people tangled in debris. Last line is the theme “only being a man doesn’t matter, what matters is sincere service, no matter by whom”.

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिए फोटो को सर्च किया। सर्च में हमें यह फोटो डॉग प्राइड टुडे की वेबसाइट पर मिली। हालांकि, शख्स को पादरी के कपड़ों में देखा जा सकता है। यहां तस्वीर के साथ दी गई जानकारी की मुताबिक, ‘टॉमस जाश्के एक ऑस्ट्रियाई पादरी और पशु अधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्होंने चर्च को जानवरों के अधिकारों और शर्तों के बारे में जागरूक करने के लिए अपना व्यक्तिगत “क्रूसेड” लॉन्च किया है।

इसी बुनियाद पर हमने पड़ताल को आगे बढ़ाया और यह तस्वीर हमें एक फेसबुक पेज पर 27 मई 2016 को अपलोड हुई मिली। कैप्शन में दी गई जानकारी के मुताबिक, ये फोटो ‘टोमाज़ जैशके की है, जो एक ऑस्ट्रियाई पादरी और पशुवादी हैं।’

न्यूज़ सर्च किया जाने पर हमें यही तस्वीर 27 अक्टूबर 2011 को पोलिश न्यूज़ वेबसाइट पर अपलोड हुई मिली। यहाँ खबर के मुताबिक, ‘पोलैंड के पोज़नान के पूर्व पादरी टोमाज़ जैशके ने डॉग्स के अधिकारों के लिए चर्च को छोड़ दिया और उन्होंने एक व्यक्तिगत धर्मयुद्ध भी शुरू किया है।

वायरल फोटो और असल फोटो के दरमियान फर्क को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए हमने मेल के जरिए तुर्किये की फॉरेन मीडिया एसोसिएशन से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। वायरल की जा रही तस्वीर एडिटेड है और तुर्किये के इमाम की नहीं है।

भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर ख्वाजा नोमान मक़बूल लाहौर के रहने वाले हैं।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि तुर्किये के इमाम की लिबास में नजर आरहे शख्स की तस्वीर एडिटेड है, पूर्व पादरी की तस्वीर को एडिट किया गया है। इसके अलावा असल फोटो का भी तुर्किये के भूकंप से कोई लेना-देना नहीं है। यह तस्वीर 2011 से सोशल मीडिया पर मौजूद है।

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